एआई से भारतीय अर्थव्यवस्था को 8% ग्रोथ: नीति आयोग की नई रिपोर्ट

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भारत की आर्थिक प्रगति को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए नीति आयोग और निति फ्रंटियर टेक हब ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट पेश की, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को विकास का प्रमुख साधन बताया गया है। 'विकसित भारत के लिए एआई: त्वरित आर्थिक विकास के अवसर' शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि एआई के सही इस्तेमाल से 2035 तक देश की जीडीपी में करीब 1.7 ट्रिलियन डॉलर का इजाफा हो सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस पहल का समर्थन करते हुए इसे तकनीकी और नियामकीय संतुलन के साथ आगे बढ़ाने की बात कही। इस लेख में हम रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं, क्षेत्रीय प्रभावों और भविष्य के अवसरों पर नजर डालेंगे।


एआई: भारत की अर्थव्यवस्था के लिए निर्णायक साधन


नई रिपोर्ट 'विकसित भारत के लिए एआई: त्वरित आर्थिक विकास के अवसर' में नीति आयोग और निति फ्रंटियर टेक हब ने एआई को भारत की तेज़तर्रार विकास यात्रा के लिए महत्वपूर्ण करार दिया है। रिपोर्ट का आकलन है कि एआई के जरिए भारत 2035 तक अनुमानित 6.6 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी को बढ़ाकर 8.3 ट्रिलियन डॉलर तक ले जा सकता है।

बैंकिंग और विनिर्माण क्षेत्र में एआई का प्रभाव


रिपोर्ट के अनुसार, बैंकिंग और विनिर्माण जैसे क्षेत्र सबसे पहले एआई के लाभ उठा सकते हैं।


बैंकिंग और वित्तीय सेवाएँ: वित्तीय सेवाओं में एआई का उपयोग ग्राहकों को बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव दे सकता है, धोखाधड़ी को रोक सकता है और समावेशी ऋण सुविधाएँ उपलब्ध करा सकता है। अनुमान है कि 2035 तक यह क्षेत्र एआई से 50-55 अरब डॉलर का अतिरिक्त मूल्य जोड़ सकता है।

विनिर्माण क्षेत्र: इस क्षेत्र में एआई आधारित उत्पादकता, प्रेडिक्टिव मेंटेनेंस (भविष्यवाणी करने वाला रखरखाव) और स्मार्ट प्रोडक्ट डिज़ाइन के ज़रिए 85 से 100 अरब डॉलर का अतिरिक्त मूल्य जोड़ा जा सकता है।


वित्त मंत्री और मंत्रियों की राय


रिपोर्ट जारी करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा –
"हम ऐसे नियमन नहीं चाहते जो नवाचारों को खत्म कर दें। एआई को बेहतर शहरों के लिए समाधान देने में मदद करनी चाहिए।"

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि एआई जीवन के हर पहलू को मौलिक रूप से बदलने जा रहा है। उनका मानना है कि एआई इंटरनेट जितना बड़ा तकनीकी बदलाव साबित होगा और भारत को इसमें अग्रणी भूमिका निभानी होगी।

ऑटोमोबाइल सेक्टर का स्मार्ट विजन


रिपोर्ट में 2035 तक भारतीय सड़कों पर 1.8 से 2 करोड़ सॉफ्टवेयर-असिस्टेड वाहन लाने का रोडमैप पेश किया गया है। स्मार्ट कॉरिडोर और डिजिटल टेस्टिंग पार्क की मदद से भारत को 20-25 अरब डॉलर का निर्यात लाभ और आयात में कमी हासिल हो सकती है।