पोस्ट ऑफिस एजेंट कमीशन लिस्ट 2025: जानिए आरडी और अन्य बचत योजनाओं पर एजेंट को कितना मिलता है पैसा?
भारत में जब बचत की बात आती है, तो आज भी करोड़ों लोगों का सबसे पहला भरोसा 'डाकघर' यानी पोस्ट ऑफिस ही होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गाँव की गलियों से लेकर शहरों के कोनों तक इन सरकारी योजनाओं को घर-घर पहुँचाने वाला असली चेहरा कौन है? ये चेहरा हैं डाकघर के वे हज़ारों-लाखों एजेंट, जो सरकारी योजनाओं और आम जनता के बीच एक मज़बूत पुल का काम करते हैं। इनमें सबसे बड़ी भूमिका हमारी महिला एजेंटों की है, जो न केवल लोगों को निवेश के लिए प्रेरित करती हैं, बल्कि अपनी मेहनत से खुद को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भी बना रही हैं।
हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार ने इन एजेंटों की संख्या और उन्हें मिलने वाले फायदों को लेकर कुछ बहुत ही दिलचस्प और महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। आइए जानते हैं कि पोस्ट ऑफिस एजेंट कैसे काम करते हैं और उन्हें किस योजना पर कितना कमीशन मिलता है।
अगर हम कुल आंकड़ों की बात करें, तो देश भर में लघु बचत योजनाओं को चलाने के लिए छह लाख से भी अधिक एजेंट सक्रिय हैं। ये एजेंट न केवल डाकघर के व्यवसाय को बढ़ाते हैं, बल्कि आम आदमी की मेहनत की कमाई को सुरक्षित निवेश तक पहुँचाने में मदद भी करते हैं।
पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि योजना: पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), सुकन्या समृद्धि योजना और सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (SCSS) पर भी एजेंटों को कोई कमीशन नहीं मिलता है।
गौरतलब है कि साल 2011 से पहले पीपीएफ और वरिष्ठ नागरिक बचत योजनाओं पर भी कमीशन दिया जाता था, लेकिन नई नीतियों के तहत इसे खत्म कर दिया गया है।
पोस्ट ऑफिस के ये एजेंट न केवल एक पेशा अपनाए हुए हैं, बल्कि वे समाज में वित्तीय साक्षरता भी फैला रहे हैं। सरकार के इस ताज़ा अपडेट से स्पष्ट है कि डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ते कदमों के बावजूद, इन एजेंटों की ज़मीनी पकड़ आज भी बेहद महत्वपूर्ण बनी हुई है।
हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार ने इन एजेंटों की संख्या और उन्हें मिलने वाले फायदों को लेकर कुछ बहुत ही दिलचस्प और महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। आइए जानते हैं कि पोस्ट ऑफिस एजेंट कैसे काम करते हैं और उन्हें किस योजना पर कितना कमीशन मिलता है।
महिला शक्ति का बड़ा आधार: 2.66 लाख महिला एजेंट
पोस्ट ऑफिस की लघु बचत योजनाओं को चलाने में महिलाओं का योगदान काबिले तारीफ है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने 15 दिसंबर, 2025 को लोकसभा में बताया कि देश भर में क्षेत्रीय बचत योजना और मानकीकृत एजेंसी प्रणाली के तहत वर्तमान में 2,66,414 महिला एजेंट काम कर रही हैं। ये महिला एजेंट घर-घर जाकर छोटी-छोटी बचतों को जमा करती हैं और सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र लोगों तक पहुँचाती हैं।अगर हम कुल आंकड़ों की बात करें, तो देश भर में लघु बचत योजनाओं को चलाने के लिए छह लाख से भी अधिक एजेंट सक्रिय हैं। ये एजेंट न केवल डाकघर के व्यवसाय को बढ़ाते हैं, बल्कि आम आदमी की मेहनत की कमाई को सुरक्षित निवेश तक पहुँचाने में मदद भी करते हैं।
2011 का बदलाव और डिजिटल ट्रांजैक्शन पर ज़ोर
सरकार का ध्यान अब धीरे-धीरे डिजिटल लेन-देन की ओर बढ़ रहा है। यही वजह है कि साल 2011 में लघु बचत योजनाओं पर मिलने वाले कमीशन की समीक्षा की गई थी। संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, सरकार की डिजिटल क्रांति को बढ़ावा देने की नीति के तहत इन एजेंटों के कमीशन ढांचे में कुछ बदलाव किए गए थे। इस समीक्षा का मुख्य उद्देश्य यह देखना था कि डिजिटल युग में एजेंसी सिस्टम को कैसे प्रासंगिक बनाए रखा जाए। बहुत से लोगों के मन में यह सवाल था कि क्या 2011 के बाद कमीशन में कटौती की गई है, जिस पर सरकार ने अब अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।You may also like
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किस योजना पर कितना मिलता है कमीशन?
पोस्ट ऑफिस की हर स्कीम पर एजेंट को मिलने वाला कमीशन एक जैसा नहीं होता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि योजना किस तरह की है और उसमें निवेश की अवधि क्या है। यहाँ वर्तमान कमीशन दरों का विवरण दिया गया है:- 5 साल की रिकरिंग डिपॉजिट (RD): आरडी योजना पर एजेंटों को सबसे ज़्यादा यानी 4 प्रतिशत का कमीशन मिलता है। यही वजह है कि आरडी एजेंटों के बीच सबसे लोकप्रिय स्कीम है।
- किसान विकास पत्र (KVP) और एनएससी (NSC): इन योजनाओं पर एजेंटों को फिलहाल 0 प्रतिशत कमीशन दिया जा रहा है।
- मंथली इनकम अकाउंट (MIS) और टाइम डिपॉजिट (TD): इन निवेश योजनाओं पर भी कमीशन की दर अब शून्य कर दी गई है।
एजेंटों की कमाई का बढ़ता ग्राफ
भले ही कुछ स्कीमों पर कमीशन को शून्य कर दिया गया हो, लेकिन एजेंटों के ज़रिए होने वाले निवेश की कुल मात्रा में भारी बढ़ोतरी हुई है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, साल 2010-11 में महिला प्रधान क्षेत्र बचत योजना (MPKBY) और एसएएस एजेंटों को कुल 2324.15 करोड़ रुपये का कमीशन दिया गया था। वहीं, साल 2023-24 में यह आंकड़ा बढ़कर 4149 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है। यह दिखाता है कि लोग अब भी डाकघर की योजनाओं में जमकर पैसा लगा रहे हैं और एजेंटों का नेटवर्क लगातार मज़बूत हो रहा है।पोस्ट ऑफिस के ये एजेंट न केवल एक पेशा अपनाए हुए हैं, बल्कि वे समाज में वित्तीय साक्षरता भी फैला रहे हैं। सरकार के इस ताज़ा अपडेट से स्पष्ट है कि डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ते कदमों के बावजूद, इन एजेंटों की ज़मीनी पकड़ आज भी बेहद महत्वपूर्ण बनी हुई है।









