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चांदी की कीमतों में भारी गिरावट: 2025 के आखिरी दिन 15,000 रुपये सस्ता हुआ 'सफेद सोना'


साल 2025 विदा हो रहा है, लेकिन जाते-जाते इसने कमोडिटी बाजार में एक बड़ी हलचल मचा दी है। चांदी, जिसने इस साल निवेशकों को 150% से ज्यादा का रिटर्न देकर हैरान कर दिया था, साल के आखिरी कारोबारी दिन अचानक धराशायी हो गई। एमसीएक्स (MCX) पर चांदी की कीमतों में करीब 15,000 रुपये प्रति किलोग्राम की बड़ी गिरावट देखी गई। इस अचानक आए 'क्रैश' ने उन लोगों को चिंता में डाल दिया है जिन्होंने हाल ही में ऊंचे स्तरों पर निवेश किया था।

आखिर क्यों आई चांदी में इतनी बड़ी गिरावट?

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इस गिरावट के पीछे कोई एक कारण नहीं, बल्कि कई कारकों का मेल है। सबसे प्रमुख कारण 'प्रॉफिट बुकिंग' (Profit Booking) को माना जा रहा है। चूंकि चांदी ने साल भर में जबरदस्त बढ़त दिखाई थी, इसलिए साल के अंत में बड़े निवेशकों और ट्रेडर्स ने अपना मुनाफा वसूलने के लिए बिकवाली शुरू कर दी।
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इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डॉलर इंडेक्स में मजबूती और शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज (CME) द्वारा मार्जिन आवश्यकताओं में बढ़ोतरी ने भी कीमतों पर दबाव बनाया। साथ ही, भू-राजनीतिक मोर्चे पर कुछ तनाव कम होने की खबरों ने सुरक्षित निवेश के तौर पर चांदी की मांग को अस्थायी रूप से कम कर दिया। पतले ट्रेडिंग वॉल्यूम (Thin Volume) के कारण भी बाजार में उतार-चढ़ाव काफी बढ़ गया।

2025 का सफर: ऐतिहासिक बढ़त और आखिरी झटका

अगर हम पूरे साल पर नजर डालें, तो चांदी के लिए 2025 एक 'गोल्डन ईयर' रहा है। साल की शुरुआत में जो चांदी काफी नीचे थी, उसने दिसंबर आते-आते 2.50 लाख रुपये प्रति किलो के स्तर को पार कर लिया था। 1 जनवरी 2025 को किया गया 1 लाख रुपये का निवेश साल के अंत तक लगभग 3 लाख रुपये के करीब पहुंच गया था। ऐसे में 15,000 रुपये की यह गिरावट एक बड़े उछाल के बाद आने वाला एक 'नेचुरल करेक्शन' (Natural Correction) भी माना जा सकता है।


निवेशकों को अब क्या करना चाहिए?

बाजार के जानकारों का कहना है कि इस गिरावट से घबराने की जरूरत नहीं है। यदि आप एक लंबी अवधि के निवेशक हैं, तो ऐसी गिरावट खरीदारी के बेहतरीन अवसर प्रदान करती है। चांदी का भविष्य अब केवल एक कीमती धातु के रूप में नहीं, बल्कि एक औद्योगिक धातु के रूप में भी बहुत मजबूत है।

विशेषज्ञों के अनुसार, सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और नई तकनीक में चांदी की बढ़ती खपत इसे 2026 में फिर से नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है। कई विश्लेषकों का अनुमान है कि 2026 के मध्य तक चांदी 3 लाख रुपये के स्तर को भी छू सकती है। इसलिए, यदि आपके पास पहले से निवेश है, तो उसे 'होल्ड' करना समझदारी हो सकती है।


2026 के लिए रणनीति: सावधानी के साथ कदम बढ़ाएं

अगले साल के लिए चांदी में निवेश करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। चांदी में सोने के मुकाबले अस्थिरता (Volatility) ज्यादा होती है, इसलिए एक साथ सारा पैसा लगाने के बजाय 'किश्तों में खरीदारी' (SIP mode) करना बेहतर होगा।

साथ ही, वैश्विक परिस्थितियों और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीति पर नजर रखना भी आवश्यक है। यदि 2026 में ब्याज दरों में कटौती होती है, तो चांदी की चमक और भी बढ़ सकती है। कुल मिलाकर, 2025 का यह आखिरी झटका बाजार का एक हिस्सा है, और चांदी की लंबी रेस की चमक अभी फीकी नहीं पड़ी है।