सीईओ निथिन कामथ ने 'Zerodha Scam' के आरोपों का दिया जवाब; कहा- सिस्टम की सुरक्षा के लिए जरूरी
ब्रोकरेज कंपनी ज़ेरोधा के सीईओ निथिन कामथ ने सोशल मीडिया पर लगे एक निवेशक के 'स्कैम' आरोपों का सीधा जवाब दिया है। डॉक्टर अनिरुद्ध मालपानी ने X (पूर्व ट्विटर) पर दावा किया कि ज़ेरोधा उन्हें अपना पैसा निकालने नहीं दे रही, क्योंकि रोजाना 5 करोड़ रुपये की निकासी सीमा है। उन्होंने इसे 'स्कैम' बताते हुए कंपनी पर सवाल उठाए। निथिन ने तुरंत क्लैरिफाई किया कि मालपानी के पेमेंट रिक्वेस्ट पहले ही प्रोसेस हो चुके हैं, और यह सीमा सिस्टम की सुरक्षा के लिए है। यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जहां लोगों की राय बंटी हुई है।
डॉक्टर अनिरुद्ध मालपानी, एक निवेशक, ने X पर पोस्ट कर ज़ेरोधा को निशाना बनाया। उन्होंने स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा: "ज़ेरोधा स्कैम! वे मुझे अपना पैसा अकाउंट से निकालने नहीं दे रहे, कह रहे हैं कि रोजाना निकासी की सीमा 5 करोड़ रुपये है। वे मेरा पैसा फ्री में इस्तेमाल कर रहे हैं! @zerodhaonline । यह अनफेयर है @nikhilkamathcio ।" उनका कहना था कि यह सीमा उनके पैसे तक पहुंच को रोक रही है, और कंपनी इसका फायदा उठा रही है। पोस्ट को काफी लाइक्स और रीट्वीट मिले, जिससे डिबेट शुरू हो गया।
ज़ेरोधा के को-फाउंडर और सीईओ निथिन कामथ ने मालपानी के पोस्ट का रिप्लाई करते हुए सफाई दी। उन्होंने कहा: "हाय डॉक्टर, आपके पेमेंट रिक्वेस्ट कल ही प्रोसेस हो चुके हैं। हमें सिस्टम की सनिटी के लिए (जैसे बाकी फाइनेंशियल फर्म्स करती हैं) निकासी के समय कुछ चेक रखने पड़ते हैं। सोचिए, निकासी प्रोसेस में कई प्रॉब्लम आ सकती हैं, और एक बार पैसे निकल जाएं तो रिकवर नहीं कर सकते। इसलिए 5 करोड़ रुपये की थ्रेशोल्ड पर हम कस्टमर्स से टिकट क्रिएट करने को कहते हैं।" निथिन ने जोर दिया कि यह पॉलिसी सभी फाइनेंशियल सर्विसेज में कॉमन है, जो सिक्योरिटी और ऑपरेशनल इश्यूज से बचाती है।
निथिन के जवाब पर डॉक्टर मालपानी ने रिप्लाई किया: "हां, मैं समझता हूं। मेरा पॉइंट यह है कि आप यूजर पर बोझ डाल रहे हैं। आपका सिस्टम हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन को आसानी से फ्लैग कर सकता है, और कस्टमर सर्विस टीम यूजर को ईमेल या फोन से कन्फर्म कर सकती है। मुझे काम क्यों करना पड़ रहा है?" यह एक्सचेंज दिखाता है कि मालपानी पॉलिसी समझते हैं, लेकिन प्रोसेस को यूजर-फ्रेंडली बनाना चाहते हैं।
यह मामला X पर हॉट टॉपिक बन गया। कुछ यूजर्स ने कहा: "रिस्क मैनेजमेंट जरूरी है, लेकिन क्लाइंट फंड्स को फ्रीज करना ओवररीच लगता है। ट्रस्ट जल्दी टूट जाता है जब अपना पैसा न मिले।" वहीं, दूसरे ने सपोर्ट किया: "यह स्कैम नहीं है। ये कंट्रोल्स कस्टमर की सेफ्टी के लिए हैं। ज़ेरोधा को तारीफ मिलनी चाहिए, क्रिटिसिज्म नहीं।" बहस में ज़ेरोधा की ट्रांसपेरेंसी पर भी बात हुई।
ज़ेरोधा भारत की बड़ी ब्रोकरेज फर्म्स में से एक है, जो लो-कॉस्ट ट्रेडिंग के लिए जानी जाती है। 5 करोड़ रुपये से ज्यादा निकासी पर टिकट सिस्टम एक स्टैंडर्ड चेक है, जो फ्रॉड या एरर से बचाता है। कंपनी का कहना है कि यह सभी फाइनेंशियल प्लेटफॉर्म्स की प्रैक्टिस है। इस केस में मालपानी के रिक्वेस्ट प्रोसेस हो चुके, तो तुरंत रिजॉल्यूशन हो गया। लेकिन यह घटना निवेशकों में पॉलिसी जागरूकता बढ़ा सकती है।
यह वाकया दिखाता है कि सोशल मीडिया पर छोटी शिकायत कैसे बड़ी बहस बन जाती है। निथिन का क्विक रिस्पॉन्स ज़ेरोधा की कस्टमर केयर को हाइलाइट करता है। निवेशक सलाह: हमेशा पॉलिसी पढ़ें और बड़े ट्रांजेक्शन के लिए अडवांस प्लान करें।
डॉक्टर मालपानी का आरोप: क्या कहा उन्होंने?
डॉक्टर अनिरुद्ध मालपानी, एक निवेशक, ने X पर पोस्ट कर ज़ेरोधा को निशाना बनाया। उन्होंने स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा: "ज़ेरोधा स्कैम! वे मुझे अपना पैसा अकाउंट से निकालने नहीं दे रहे, कह रहे हैं कि रोजाना निकासी की सीमा 5 करोड़ रुपये है। वे मेरा पैसा फ्री में इस्तेमाल कर रहे हैं! @zerodhaonline । यह अनफेयर है @nikhilkamathcio ।" उनका कहना था कि यह सीमा उनके पैसे तक पहुंच को रोक रही है, और कंपनी इसका फायदा उठा रही है। पोस्ट को काफी लाइक्स और रीट्वीट मिले, जिससे डिबेट शुरू हो गया।
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निथिन कामथ का जवाब: निकासी सीमा क्यों?
ज़ेरोधा के को-फाउंडर और सीईओ निथिन कामथ ने मालपानी के पोस्ट का रिप्लाई करते हुए सफाई दी। उन्होंने कहा: "हाय डॉक्टर, आपके पेमेंट रिक्वेस्ट कल ही प्रोसेस हो चुके हैं। हमें सिस्टम की सनिटी के लिए (जैसे बाकी फाइनेंशियल फर्म्स करती हैं) निकासी के समय कुछ चेक रखने पड़ते हैं। सोचिए, निकासी प्रोसेस में कई प्रॉब्लम आ सकती हैं, और एक बार पैसे निकल जाएं तो रिकवर नहीं कर सकते। इसलिए 5 करोड़ रुपये की थ्रेशोल्ड पर हम कस्टमर्स से टिकट क्रिएट करने को कहते हैं।" निथिन ने जोर दिया कि यह पॉलिसी सभी फाइनेंशियल सर्विसेज में कॉमन है, जो सिक्योरिटी और ऑपरेशनल इश्यूज से बचाती है।
मालपानी की प्रतिक्रिया: यूजर पर बोझ क्यों?
निथिन के जवाब पर डॉक्टर मालपानी ने रिप्लाई किया: "हां, मैं समझता हूं। मेरा पॉइंट यह है कि आप यूजर पर बोझ डाल रहे हैं। आपका सिस्टम हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन को आसानी से फ्लैग कर सकता है, और कस्टमर सर्विस टीम यूजर को ईमेल या फोन से कन्फर्म कर सकती है। मुझे काम क्यों करना पड़ रहा है?" यह एक्सचेंज दिखाता है कि मालपानी पॉलिसी समझते हैं, लेकिन प्रोसेस को यूजर-फ्रेंडली बनाना चाहते हैं।
सोशल मीडिया पर बहस: स्कैम या सिक्योरिटी?
यह मामला X पर हॉट टॉपिक बन गया। कुछ यूजर्स ने कहा: "रिस्क मैनेजमेंट जरूरी है, लेकिन क्लाइंट फंड्स को फ्रीज करना ओवररीच लगता है। ट्रस्ट जल्दी टूट जाता है जब अपना पैसा न मिले।" वहीं, दूसरे ने सपोर्ट किया: "यह स्कैम नहीं है। ये कंट्रोल्स कस्टमर की सेफ्टी के लिए हैं। ज़ेरोधा को तारीफ मिलनी चाहिए, क्रिटिसिज्म नहीं।" बहस में ज़ेरोधा की ट्रांसपेरेंसी पर भी बात हुई।
ज़ेरोधा की पॉलिसी: बैकग्राउंड
ज़ेरोधा भारत की बड़ी ब्रोकरेज फर्म्स में से एक है, जो लो-कॉस्ट ट्रेडिंग के लिए जानी जाती है। 5 करोड़ रुपये से ज्यादा निकासी पर टिकट सिस्टम एक स्टैंडर्ड चेक है, जो फ्रॉड या एरर से बचाता है। कंपनी का कहना है कि यह सभी फाइनेंशियल प्लेटफॉर्म्स की प्रैक्टिस है। इस केस में मालपानी के रिक्वेस्ट प्रोसेस हो चुके, तो तुरंत रिजॉल्यूशन हो गया। लेकिन यह घटना निवेशकों में पॉलिसी जागरूकता बढ़ा सकती है।
ट्रस्ट और सेफ्टी का बैलेंस
यह वाकया दिखाता है कि सोशल मीडिया पर छोटी शिकायत कैसे बड़ी बहस बन जाती है। निथिन का क्विक रिस्पॉन्स ज़ेरोधा की कस्टमर केयर को हाइलाइट करता है। निवेशक सलाह: हमेशा पॉलिसी पढ़ें और बड़े ट्रांजेक्शन के लिए अडवांस प्लान करें।









