ATM मशीनों में फेवीकॉल से ठगी का नया तरीका: पुलिस ने गिरोह को पकड़ा
एटीएम फ्रॉड के मामले बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन मध्य प्रदेश में एक नया तरीका सामने आया है जो लोगों को चौंका रहा है। भिंड जिले के उमरी थाना क्षेत्र में 15 सितंबर को एक शिकार ने 36 हजार रुपये गंवा दिए, जब ठगों ने उसके कार्ड का आदान-प्रदान कर लिया। इस घटना की जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के इंटोरा गांव के चार युवक इस धंधे में लिप्त थे। गिरोह ने फेवीकॉल का इस्तेमाल कर एटीएम को जाम किया और लोगों को निशाना बनाया। पुलिस ने 5 अक्टूबर को इन्हें धर दबोचा, जिससे ठगी का बड़ा राज खुला। यह ट्रेंड न केवल भिंड बल्कि आसपास के इलाकों में भी फैल चुका था, और अब अन्य जिलों से भी शिकायतें आ रही हैं।
ठगी का तरीका
गिरोह का फॉर्मूला बेहद चालाकी भरा था। वे पहले एटीएम मशीन में फेवीकॉल लगी नकली कार्ड डालते थे, जो सेंसर को ब्लॉक कर देता था। इससे मशीन ठीक से काम नहीं करती। फिर वे आसपास घूमते और बुजुर्गों, महिलाओं या बच्चों जैसे कमजोर लोगों का इंतजार करते। जब असली कार्ड भी फंस जाता या काम नहीं करता, तो ठग मदद का बहाना बनाकर पास आते। वे पिन नंबर देख लेते और चुपके से असली कार्ड बदल देते। बाद में दूसरे एटीएम से पैसे निकाल लेते। फेवीकॉल, जो आमतौर पर चीजें जोड़ने के लिए इस्तेमाल होता है, यहां जाम करने के हथियार के रूप में काम आया। पुलिस इस नवीन तकनीक से हैरान रह गई। इस तरह की चालाकी से लोग अनजाने में अपना पैसा गंवा देते हैं।
5 अक्टूबर को उमरी थाना क्षेत्र के एक ढाबे के पास संदिग्ध कार देखकर पुलिस ने कार्रवाई की। उमरी थाने की टीम ने राजेश राठौर, अवधेश राठौर, बाबूजी राठौर और रवि वर्मा को हिरासत में लिया। पूछताछ में एटीएम पर ही उन्होंने अपना तरीका दिखाया और 40 ठगी कबूल कीं। पुलिस ने 16 मामलों की पुष्टि की, जो 15 शिकायतों पर आधारित थे। उनके पास से 54 एटीएम कार्ड और 1.63 लाख नकद बरामद हुए। गिरोह पैसे से कार खरीदकर अन्य शहरों में धंधा फैलाने की योजना बना रहा था। आरोपी उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के इंटोरा गांव के रहने वाले हैं।
ठगी के दायरे और पुलिस की अपील
यह गिरोह मध्य प्रदेश के भिंड, मुरैना, ग्वालियर के अलावा राजस्थान के धौलपुर और उत्तर प्रदेश के इटावा, मैनपुरी, आगरा, फिरोजाबाद, औरैया, कानपुर में सक्रिय था। कुल 40 घटनाओं में से कई अभी सामने आ रही हैं। पुलिस अन्य जिलों से जानकारी मांग रही है ताकि ज्यादा मामले उजागर हों। यह घटना एटीएम पर पैसे निकालते समय सतर्क रहने की सीख देती है। लोग अजनबियों की मदद से बचें और पिन छिपाकर रखें। ठगी का यह नया ट्रेंड लोगों को जागरूक होने के लिए मजबूर कर रहा है, क्योंकि तकनीक का दुरुपयोग अपराध को आसान बना रहा है।
ठगी का तरीका
गिरोह का फॉर्मूला बेहद चालाकी भरा था। वे पहले एटीएम मशीन में फेवीकॉल लगी नकली कार्ड डालते थे, जो सेंसर को ब्लॉक कर देता था। इससे मशीन ठीक से काम नहीं करती। फिर वे आसपास घूमते और बुजुर्गों, महिलाओं या बच्चों जैसे कमजोर लोगों का इंतजार करते। जब असली कार्ड भी फंस जाता या काम नहीं करता, तो ठग मदद का बहाना बनाकर पास आते। वे पिन नंबर देख लेते और चुपके से असली कार्ड बदल देते। बाद में दूसरे एटीएम से पैसे निकाल लेते। फेवीकॉल, जो आमतौर पर चीजें जोड़ने के लिए इस्तेमाल होता है, यहां जाम करने के हथियार के रूप में काम आया। पुलिस इस नवीन तकनीक से हैरान रह गई। इस तरह की चालाकी से लोग अनजाने में अपना पैसा गंवा देते हैं।
गिरोह की गिरफ्तारी और बरामदगी
5 अक्टूबर को उमरी थाना क्षेत्र के एक ढाबे के पास संदिग्ध कार देखकर पुलिस ने कार्रवाई की। उमरी थाने की टीम ने राजेश राठौर, अवधेश राठौर, बाबूजी राठौर और रवि वर्मा को हिरासत में लिया। पूछताछ में एटीएम पर ही उन्होंने अपना तरीका दिखाया और 40 ठगी कबूल कीं। पुलिस ने 16 मामलों की पुष्टि की, जो 15 शिकायतों पर आधारित थे। उनके पास से 54 एटीएम कार्ड और 1.63 लाख नकद बरामद हुए। गिरोह पैसे से कार खरीदकर अन्य शहरों में धंधा फैलाने की योजना बना रहा था। आरोपी उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के इंटोरा गांव के रहने वाले हैं।
ठगी के दायरे और पुलिस की अपील
यह गिरोह मध्य प्रदेश के भिंड, मुरैना, ग्वालियर के अलावा राजस्थान के धौलपुर और उत्तर प्रदेश के इटावा, मैनपुरी, आगरा, फिरोजाबाद, औरैया, कानपुर में सक्रिय था। कुल 40 घटनाओं में से कई अभी सामने आ रही हैं। पुलिस अन्य जिलों से जानकारी मांग रही है ताकि ज्यादा मामले उजागर हों। यह घटना एटीएम पर पैसे निकालते समय सतर्क रहने की सीख देती है। लोग अजनबियों की मदद से बचें और पिन छिपाकर रखें। ठगी का यह नया ट्रेंड लोगों को जागरूक होने के लिए मजबूर कर रहा है, क्योंकि तकनीक का दुरुपयोग अपराध को आसान बना रहा है।
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