शर्मनाक करतूत! मिड-डे मील में बच्चों को अंडा खिलाने के बहाने हेडमास्टर ने किया 'झोल', तस्वीर खींचकर वापस ले लिया अंडा
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी मिड-डे मील योजना (Mid-Day Meal Scheme) का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश के गरीब और ज़रूरतमंद बच्चों को स्कूल में पौष्टिक भोजन मिले, ताकि वे स्वस्थ रहें और पढ़ाई में ध्यान लगा सकें। लेकिन जब इस नेक योजना में भी कुछ लोग शर्मनाक धोखाधड़ी करने लगते हैं, तो दिल दुखता है और गुस्सा आता है।
बिहार के मुंगेर ज़िले से एक ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने शिक्षा और ईमानदारी के रिश्ते पर सवाल खड़ा कर दिया है। यहाँ एक हेडमास्टर पर आरोप है कि उन्होंने बच्चों को अंडा परोसा, फोटो खिंचवाई और फिर वह अंडा बच्चों से वापस ले लिया!
लेकिन जैसे ही फोटो खींचने का काम पूरा हुआ, हेडमास्टर साहब ने बच्चों से वह अंडा वापस ले लिया! कल्पना कीजिए, उन बच्चों पर क्या गुज़री होगी, जिन्हें लगा था कि उन्हें आज एक स्वादिष्ट और पौष्टिक आहार मिला है, लेकिन पल भर में उनकी थाली से वह छीन लिया गया। बच्चों ने घर जाकर अपने माता-पिता को यह पूरी घटना बताई।
प्रधानाध्यापक ने कथित तौर पर यह सफाई देने की कोशिश की कि उन्होंने अंडा सिर्फ़ विभाग को भेजने वाली रिपोर्ट के लिए फोटो खींचने के उद्देश्य से दिया था। लेकिन बच्चों ने लाइन में खड़े होकर साफ-साफ बताया कि उन्हें खाने के लिए अंडा दिया गया था, जिसे बाद में वापस ले लिया गया। इस वीडियो के वायरल होते ही शिक्षा विभाग में खलबली मच गई।
मामले की गंभीरता और प्रधानाध्यापक के अमानवीय कृत्य को देखते हुए, ज़िला शिक्षा पदाधिकारी ने तत्काल प्रभाव से आरोपी प्रधानाध्यापक सुजीत कुमार को निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही, उनके ख़िलाफ़ सख्त विभागीय कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।
यह कार्रवाई एक सख़्त संदेश देती है कि बच्चों के हक पर डाका डालने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि समाज के सबसे कमज़ोर वर्ग के लिए बनी योजनाओं में पारदर्शिता और कड़ी निगरानी की कितनी सख्त ज़रूरत है। उम्मीद है कि जल्द ही इस मामले में कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाएगी, ताकि भविष्य में कोई भी शिक्षक या अधिकारी बच्चों के साथ ऐसा क्रूर मज़ाक न कर सके।
बिहार के मुंगेर ज़िले से एक ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने शिक्षा और ईमानदारी के रिश्ते पर सवाल खड़ा कर दिया है। यहाँ एक हेडमास्टर पर आरोप है कि उन्होंने बच्चों को अंडा परोसा, फोटो खिंचवाई और फिर वह अंडा बच्चों से वापस ले लिया!
लालच की हद: बच्चों के पेट पर लात
यह मामला मुंगेर के प्राथमिक विद्यालय फरीदपुर का है। प्रधानाध्यापक सुजीत कुमार पर ग्रामीणों और छात्रों ने एक बेहद गंभीर और अमानवीय आरोप लगाया है। मिड-डे मील के निरीक्षण या रिपोर्ट भेजने के लिए बच्चों की थाली में अंडा दिया गया। बच्चों ने खुशी-खुशी अपने हिस्से का पौष्टिक भोजन देखा। हेडमास्टर ने उसी समय बच्चों की फोटो खिंचवाई, ताकि वह विभागीय अधिकारियों को यह दिखा सकें कि योजना का क्रियान्वयन पूरी ईमानदारी से किया जा रहा है।You may also like
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लेकिन जैसे ही फोटो खींचने का काम पूरा हुआ, हेडमास्टर साहब ने बच्चों से वह अंडा वापस ले लिया! कल्पना कीजिए, उन बच्चों पर क्या गुज़री होगी, जिन्हें लगा था कि उन्हें आज एक स्वादिष्ट और पौष्टिक आहार मिला है, लेकिन पल भर में उनकी थाली से वह छीन लिया गया। बच्चों ने घर जाकर अपने माता-पिता को यह पूरी घटना बताई।
वीडियो हुआ वायरल, मची खलबली
बच्चों के माता-पिता और ग्रामीणों को जब इस शर्मनाक हरकत की जानकारी मिली, तो वे स्कूल पहुँचे और प्रधानाध्यापक से जमकर सवाल किए। ग्रामीणों ने इस पूरी घटना का एक वीडियो भी बना लिया। इस वीडियो में ग्रामीण हेडमास्टर से पूछ रहे थे कि उन्होंने अंडा बच्चों को दिया और फिर वापस क्यों ले लिया।प्रधानाध्यापक ने कथित तौर पर यह सफाई देने की कोशिश की कि उन्होंने अंडा सिर्फ़ विभाग को भेजने वाली रिपोर्ट के लिए फोटो खींचने के उद्देश्य से दिया था। लेकिन बच्चों ने लाइन में खड़े होकर साफ-साफ बताया कि उन्हें खाने के लिए अंडा दिया गया था, जिसे बाद में वापस ले लिया गया। इस वीडियो के वायरल होते ही शिक्षा विभाग में खलबली मच गई।
तत्काल निलंबन और विभागीय कार्रवाई शुरू
मामले की गंभीरता को समझते हुए ज़िला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) ने तुरंत संज्ञान लिया। उन्होंने मामले की जाँच के आदेश दिए। जाँच अधिकारी ने पाया कि छात्रों और ग्रामीणों के आरोप पूरी तरह से सही थे।मामले की गंभीरता और प्रधानाध्यापक के अमानवीय कृत्य को देखते हुए, ज़िला शिक्षा पदाधिकारी ने तत्काल प्रभाव से आरोपी प्रधानाध्यापक सुजीत कुमार को निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही, उनके ख़िलाफ़ सख्त विभागीय कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।
यह कार्रवाई एक सख़्त संदेश देती है कि बच्चों के हक पर डाका डालने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन यह घटना एक बार फिर दर्शाती है कि समाज के सबसे कमज़ोर वर्ग के लिए बनी योजनाओं में पारदर्शिता और कड़ी निगरानी की कितनी सख्त ज़रूरत है। उम्मीद है कि जल्द ही इस मामले में कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाएगी, ताकि भविष्य में कोई भी शिक्षक या अधिकारी बच्चों के साथ ऐसा क्रूर मज़ाक न कर सके।









