बिलासपुर हादसे का दिल दहला देने वाला मंजर: घायल कराहते रहे, लाशों के बीच लुटेरे जेवर और मोबाइल ले उड़े

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बिलासपुर में हुए भयावह रेल हादसे ने एक तरफ गहन त्रासदी का मंजर पेश किया, वहीं दूसरी ओर इंसानियत के दो ध्रुवों को सामने ला दिया। एक तरफ रात-दिन जुटी राहत टीमें थीं, जो जिंदगियां बचाने के लिए जूझ रही थीं, तो दूसरी तरफ कुछ 'हैवान' थे, जिन्होंने इसी मौके को लूट का अड्डा बना लिया। यह घटना बताती है कि संकट के समय भी कुछ लोग अपनी नीचता दिखाने से बाज नहीं आते।
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भीषण मंजर और लूट की काली करतूत


ट्रेन के डिब्बे एक-दूसरे पर चढ़ चुके थे, चीख-पुकार और लाशों का ढेर था। जहां अब तक 11 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, वहीं घायलों को निकालने का काम जारी था। इसी बीच, दुर्घटनास्थल के पास खड़े कुछ लोगों ने मानवता की सारी हदें पार कर दीं। उन्होंने घायलों के पर्स और बैग खाली कर दिए। इससे भी ज़्यादा रोंगटे खड़े कर देने वाली बात यह थी कि मृत महिलाओं के शरीर से जेवर गायब थे।

मासूम के आँसू और मंगलसूत्र की चोरी


हादसे की सबसे दर्दनाक कहानी दो साल के हरीश यादव से जुड़ी है। हरीश गंभीर रूप से घायल है और उसने अपनी माँ को खो दिया। लेकिन इस दुःख के बीच भी एक हृदयविदारक घटना हुई - किसी ने उसकी मृत माँ के गले से मंगलसूत्र उतार लिया। हद तो तब हो गई जब एक महिला ने माँ का मोबाइल भी छीन लिया और मौके से भाग गई।


परिजनों का गुस्सा और पुलिस से गुहार


मृत महिला के शोकसंतप्त परिजनों ने जब बेटी का पता लगाने के लिए उसके मोबाइल पर 80 बार कॉल किया, तो उसे एक अज्ञात महिला ने उठाया। उसने न केवल अपशब्द कहे, बल्कि यह भी कहा कि "यह फोन मेरा पति लाए हैं, वापस नहीं देंगे।" परिवार का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने अपराधियों को सख्त सज़ा दिलाने और जल्द पकड़ने का वादा किया है।

बिलासपुर की यह घटना केवल एक रेल हादसा नहीं, बल्कि उस सामाजिक पतन का आईना है, जहाँ लोग संकट में लाभ देखते हैं। जब लोग जिंदगी और मौत से लड़ रहे थे, तब लुटेरों ने कोई रहम नहीं दिखाया। उम्मीद है कि क़ानून जल्द ही इन शर्मनाक अपराधियों पर शिकंजा कसेगा, ताकि भविष्य में इस तरह की इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटनाएँ न हों।


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