DDLJ की 30वीं वर्षगांठ: लंदन में Raj और Simran का जादू, iconic पोज़ में लगी कांस्य प्रतिमा
कुछ प्रेम कहानियाँ सिर्फ़ परदे पर नहीं होती, वे सिनेमा के इतिहास में अमर हो जाती हैं। ऐसी ही एक कहानी है बॉलीवुड की सबसे सफल और सबसे लंबे समय तक चलने वाली फ़िल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे' (DDLJ) की। आज, जब यह फ़िल्म अपने सफ़ल तीस साल पूरे कर रही है, तो फ़ैंस के लिए एक बेहद ख़ास और ऐतिहासिक ख़बर आई है।
राज और सिमरन की इस अमर प्रेम कहानी को एक अविस्मरणीय सम्मान देते हुए, अब लंदन में दोनों कलाकारों की कांस्य प्रतिमा (Bronze Statue) का अनावरण किया गया है। यह प्रतिमा फ़िल्म के उस iconic 'सिग्नेचर पोज़' पर आधारित है, जिसने करोड़ों दर्शकों को रोमांस करना सिखाया।
यह प्रतिमा सिर्फ़ कला का एक नमूना नहीं है, बल्कि यह बताती है कि कैसे इस फ़िल्म ने भारतीय संस्कृति और रोमांस को वैश्विक स्तर पर पहुँचाया। यह उन करोड़ों लोगों के प्यार का प्रतीक है, जिन्होंने इस फ़िल्म को सिर आँखों पर बिठाया और इसकी हर एक कहानी को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बना लिया। अब DDLJ के फ़ैंस लंदन जाकर अपने पसंदीदा फ़िल्मी कपल को उनके सबसे प्यारे अंदाज़ में देख सकेंगे।
इस फ़िल्म ने शाह रुख़ ख़ान को 'किंग ऑफ़ रोमांस' बनाया और भारतीय युवाओं को सिखाया कि कैसे अपनी परंपराओं को न छोड़ते हुए भी आधुनिक प्रेम को अपनाया जा सकता है। यह कांस्य प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को भी याद दिलाती रहेगी कि सच्चे प्यार की कहानी कभी पुरानी नहीं होती और DDLJ का जादू हमेशा बरक़रार रहेगा।
यह सम्मान सिर्फ़ एक फ़िल्म को नहीं, बल्कि उस भारतीय भावना को दिया गया है, जो प्यार में सादगी, समर्पण और परिवार के मूल्यों को सबसे ऊपर रखती है।
राज और सिमरन की इस अमर प्रेम कहानी को एक अविस्मरणीय सम्मान देते हुए, अब लंदन में दोनों कलाकारों की कांस्य प्रतिमा (Bronze Statue) का अनावरण किया गया है। यह प्रतिमा फ़िल्म के उस iconic 'सिग्नेचर पोज़' पर आधारित है, जिसने करोड़ों दर्शकों को रोमांस करना सिखाया।
लंदन में दिखा राज और सिमरन का प्यार भरा अंदाज़
लंदन शहर, जहाँ राज और सिमरन (शाह रुख़ ख़ान और काजोल) की मुलाक़ात हुई थी और जहाँ उनकी प्रेम कहानी ने पहली करवट ली थी, वहीं अब उनकी यादों को हमेशा के लिए ज़िंदा कर दिया गया है। कांस्य प्रतिमा में शाह रुख़ ख़ान अपने जाने-पहचाने अंदाज़ में दोनों बाहें फैलाए हुए हैं, तो वहीं काजोल ख़ूबसूरत मुस्कान के साथ उनकी ओर देख रही हैं।You may also like
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यह प्रतिमा सिर्फ़ कला का एक नमूना नहीं है, बल्कि यह बताती है कि कैसे इस फ़िल्म ने भारतीय संस्कृति और रोमांस को वैश्विक स्तर पर पहुँचाया। यह उन करोड़ों लोगों के प्यार का प्रतीक है, जिन्होंने इस फ़िल्म को सिर आँखों पर बिठाया और इसकी हर एक कहानी को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बना लिया। अब DDLJ के फ़ैंस लंदन जाकर अपने पसंदीदा फ़िल्मी कपल को उनके सबसे प्यारे अंदाज़ में देख सकेंगे।
क्यों ख़ास है DDLJ का यह 30 साल का सफ़र?
तीन दशक गुज़र गए, लेकिन 'राज' और 'सिमरन' की केमिस्ट्री आज भी ताज़ी है। DDLJ ने बॉलीवुड में एक नया ट्रेंड सेट किया। फ़िल्म ने सिखाया कि प्यार सिर्फ़ विद्रोह नहीं है, बल्कि परिवार की इज़्ज़त और सहमति से भी अपने प्यार को पाया जा सकता है। "जा सिमरन जा, जी ले अपनी ज़िन्दगी" डायलॉग हो या फ़िर खेत में बाहें फैलाकर मिलना, हर सीन, हर गाना आज भी लोगों के दिल में बसा हुआ है।इस फ़िल्म ने शाह रुख़ ख़ान को 'किंग ऑफ़ रोमांस' बनाया और भारतीय युवाओं को सिखाया कि कैसे अपनी परंपराओं को न छोड़ते हुए भी आधुनिक प्रेम को अपनाया जा सकता है। यह कांस्य प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को भी याद दिलाती रहेगी कि सच्चे प्यार की कहानी कभी पुरानी नहीं होती और DDLJ का जादू हमेशा बरक़रार रहेगा।
यह सम्मान सिर्फ़ एक फ़िल्म को नहीं, बल्कि उस भारतीय भावना को दिया गया है, जो प्यार में सादगी, समर्पण और परिवार के मूल्यों को सबसे ऊपर रखती है।









