दिल्ली-एनसीआर में दमघोंटू हवा, प्रदूषण से बढ़ी चिंता
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में सर्दियों का आगमन होते ही प्रदूषण की समस्या फिर से गंभीर रूप ले रही है। हाल के दिनों में वायु प्रदूषण का स्तर चिंताजनक बन गया है, जिससे स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अलर्ट जारी कर दिया है। मौसम की स्थिति के कारण हवा में मौजूद कण आसानी से फैल नहीं पा रहे, जिससे स्थिति और बिगड़ रही है।
वर्तमान स्थिति: प्रदूषण स्तर में कोई राहत नहीं
दिल्ली में वर्तमान में AQI का स्तर 'मध्यम' से 'खराब' श्रेणी में घूम रहा है। शहर के कई हिस्सों में यह 100 से ऊपर पहुंच चुका है, जो सांस संबंधी बीमारियों को बढ़ावा दे सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगले कुछ दिनों तक यह स्थिति बनी रह सकती है। सड़कों पर वाहनों की संख्या, निर्माण कार्य और पराली जलाने जैसी गतिविधियां मुख्य कारण बनी हुई हैं। वायु गुणवत्ता निगरानी और पूर्वानुमान करने वाली वेबसाइट AQI.in के अनुसार, पिछले सात दिनों से दिल्ली का AQI लगातार उतार-चढ़ाव कर रहा है। 3 अक्टूबर को राजधानी का AQI 99 दर्ज हुआ, जो 3 और 4 अक्टूबर के बीच घटकर 77 तक पहुंच गया। इसके बाद 4 अक्टूबर को यह अचानक बढ़कर 203 हो गया। अगले दिन यानी 5 अक्टूबर को AQI 211 रहा। 6 अक्टूबर की शाम को यह 92 दर्ज किया गया। वहीं, 7 अक्टूबर को दिल्ली ने सात दिनों में सबसे अच्छा AQI 66 दर्ज किया, लेकिन 8 अक्टूबर को यह फिर से बढ़कर 100 (106) के पार पहुंच गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, बुधवार रात 8 बजे तक दिल्ली का औसत AQI 81 रहा, जबकि गुरुवार सुबह वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (EWS) ने इसे 91 दर्ज किया। अनुमान है कि दिन बढ़ने के साथ यह स्तर 103 से 109 के बीच पहुंच सकता है। सीपीसीबी मानकों के मुताबिक, 0-50 को "अच्छा", 51-100 को "संतोषजनक", 101-200 को "मध्यम", 201-300 को "खराब", 301-400 को "बहुत खराब" और 401-500 को "गंभीर" माना जाता है। बीते साल दिल्ली में सबसे अधिक AQI 495 दर्ज हुआ था।
स्वास्थ्य सलाह: खुद को बचाने के उपाय
प्रदूषित हवा से बचने के लिए डॉक्टरों ने सुझाव दिया है कि बच्चे, बुजुर्ग और सांस की समस्या वाले लोग घर के अंदर रहें। एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें और खिड़कियां बंद रखें। बाहर जाते समय N95 मास्क जरूर पहनें। साथ ही, पानी अधिक पिएं और हरी सब्जियां खाएं ताकि शरीर की रक्षा क्षमता मजबूत बने।
दिल्ली सरकार और केंद्र को मिलकर प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त उपाय करने होंगे, जैसे वाहनों पर पाबंदी और पराली प्रबंधन। आम नागरिक भी छोटे-छोटे प्रयासों से योगदान दे सकते हैं। अगर यही स्थिति बनी रही, तो सर्दी के मौसम में हालात और कठिन हो सकते हैं।
वर्तमान स्थिति: प्रदूषण स्तर में कोई राहत नहीं
दिल्ली में वर्तमान में AQI का स्तर 'मध्यम' से 'खराब' श्रेणी में घूम रहा है। शहर के कई हिस्सों में यह 100 से ऊपर पहुंच चुका है, जो सांस संबंधी बीमारियों को बढ़ावा दे सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगले कुछ दिनों तक यह स्थिति बनी रह सकती है। सड़कों पर वाहनों की संख्या, निर्माण कार्य और पराली जलाने जैसी गतिविधियां मुख्य कारण बनी हुई हैं। वायु गुणवत्ता निगरानी और पूर्वानुमान करने वाली वेबसाइट AQI.in के अनुसार, पिछले सात दिनों से दिल्ली का AQI लगातार उतार-चढ़ाव कर रहा है। 3 अक्टूबर को राजधानी का AQI 99 दर्ज हुआ, जो 3 और 4 अक्टूबर के बीच घटकर 77 तक पहुंच गया। इसके बाद 4 अक्टूबर को यह अचानक बढ़कर 203 हो गया। अगले दिन यानी 5 अक्टूबर को AQI 211 रहा। 6 अक्टूबर की शाम को यह 92 दर्ज किया गया। वहीं, 7 अक्टूबर को दिल्ली ने सात दिनों में सबसे अच्छा AQI 66 दर्ज किया, लेकिन 8 अक्टूबर को यह फिर से बढ़कर 100 (106) के पार पहुंच गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, बुधवार रात 8 बजे तक दिल्ली का औसत AQI 81 रहा, जबकि गुरुवार सुबह वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (EWS) ने इसे 91 दर्ज किया। अनुमान है कि दिन बढ़ने के साथ यह स्तर 103 से 109 के बीच पहुंच सकता है। सीपीसीबी मानकों के मुताबिक, 0-50 को "अच्छा", 51-100 को "संतोषजनक", 101-200 को "मध्यम", 201-300 को "खराब", 301-400 को "बहुत खराब" और 401-500 को "गंभीर" माना जाता है। बीते साल दिल्ली में सबसे अधिक AQI 495 दर्ज हुआ था।
स्वास्थ्य सलाह: खुद को बचाने के उपाय
प्रदूषित हवा से बचने के लिए डॉक्टरों ने सुझाव दिया है कि बच्चे, बुजुर्ग और सांस की समस्या वाले लोग घर के अंदर रहें। एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें और खिड़कियां बंद रखें। बाहर जाते समय N95 मास्क जरूर पहनें। साथ ही, पानी अधिक पिएं और हरी सब्जियां खाएं ताकि शरीर की रक्षा क्षमता मजबूत बने।
दिल्ली सरकार और केंद्र को मिलकर प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त उपाय करने होंगे, जैसे वाहनों पर पाबंदी और पराली प्रबंधन। आम नागरिक भी छोटे-छोटे प्रयासों से योगदान दे सकते हैं। अगर यही स्थिति बनी रही, तो सर्दी के मौसम में हालात और कठिन हो सकते हैं।
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