हरियाणा IPS वाई पूरन कुमार के आत्महत्या मामला में DGP और SP पर गंभीर आरोप, पत्नी ने लगाई न्याय की गुहार

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हाल ही में चंडीगढ़ स्थित घर में आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार मृत पाए गए। पुलिस को घटनास्थल से गोली लगने के निशान और एक नौ पन्नों का सुसाइड नोट मिला है। इस नोट में उन्होंने कई वरिष्ठ अधिकारियों के नाम लिए हैं और उन पर जातिगत भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न और सार्वजनिक अपमान जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
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बताया जा रहा है कि हाल ही में उन्हें रोहतक रेंज से हटाकर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र, सुनारिया भेजा गया था। वहीं, कुछ दिन पहले रोहतक में रिश्वतखोरी मामले में एक कांस्टेबल सुशील कुमार की गिरफ्तारी हुई थी, जिसने पूछताछ में वाई पूरन कुमार का नाम भी लिया था। माना जा रहा है कि इस प्रकरण के बाद अधिकारी मानसिक दबाव में थे।

पत्नी ने लगाए गंभीर आरोप


वाई पूरन कुमार की पत्नी आईएएस अमनीत पी. कुमार ने चंडीगढ़ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में उन्होंने कहा है कि उनके पति को लंबे समय से जातिगत भेदभाव और मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा था। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उनके पति को “सिस्टमेटिक टॉर्चर” किया गया, जिसके चलते उन्होंने यह कदम उठाया।

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अमनीत कुमार ने हरियाणा DGP शत्रुजीत कपूर और रोहतक SP नरेंद्र बिजारनिया पर सीधे आरोप लगाते हुए आत्महत्या के लिए उकसाने और SC/ST एक्ट के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक दोषियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक न्याय नहीं मिलेगा।

सुसाइड नोट से उठे सवाल


सुसाइड नोट में वाई पूरन कुमार ने विस्तार से लिखा है कि उन्हें बार-बार अपमानित किया गया और उनकी जाति को लेकर तंज कसे गए। उन्होंने यह भी लिखा कि उन्हें झूठे मामलों में फँसाकर बदनाम किया जा रहा है।


मामले की जांच कर रही चंडीगढ़ पुलिस अब सुसाइड नोट और उसमें दर्ज सभी बयानों की फोरेंसिक जांच करा रही है। साथ ही, जिन अधिकारियों के नाम इसमें दर्ज हैं, उनसे भी पूछताछ की तैयारी की जा रही है।

जांच और आगे की कार्यवाही


इस पूरे प्रकरण ने न केवल हरियाणा पुलिस बल्कि राज्य सरकार पर भी दबाव बढ़ा दिया है। विपक्षी दलों ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग उठाई है, ताकि किसी भी स्तर पर राजनीतिक हस्तक्षेप न हो। वहीं, डीजीपी कार्यालय ने अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

इस पूरे मामले का निष्कर्ष


आईपीएस वाई पूरन कुमार का यह मामला एक अधिकारी की व्यक्तिगत त्रासदी से बढ़कर सिस्टम की खामियों का प्रतीक बन गया है। जातिगत भेदभाव और कार्यस्थल पर मानसिक उत्पीड़न जैसे मुद्दे अब एक बार फिर चर्चा में हैं। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जांच एजेंसियाँ कितनी निष्पक्षता से इस मामले को अंजाम तक पहुँचाती हैं और क्या वाई पूरन कुमार को न्याय मिल पाएगा।

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