बिहार पासपोर्ट स्कैम: 10 हजार आवेदन अमान्य, एजेंट गिरोह की 50 हजार की लूट
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भारत के बिहार राज्य में पासपोर्ट प्राप्त करने की प्रक्रिया को लेकर एक गंभीर धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है, जो मुख्य रूप से विदेशी रोजगार की तलाश में निकलने वाले श्रमिकों को निशाना बनाती है। पुलिस जांच के दौरान पता चला कि हजारों आवेदन जाली कागजातों पर आधारित थे, जिसके फलस्वरूप इन्हें रद्द करना पड़ा। यह स्कैम न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाता है बल्कि भविष्य में कानूनी जटिलताओं को भी जन्म दे सकता है। आगामी अनुभागों में हम इस धोखाधड़ी के प्रमुख पहलुओं, प्रभावित मॉडलों और रोकथाम के उपायों पर चर्चा करेंगे, जो प्रवासियों के लिए महत्वपूर्ण सबक प्रदान करते हैं।
पुलिस की जाँच के दौरान बिहार में पासपोर्ट के लिए दाखिल 10 हजार आवेदनों को रद्द करने का आदेश दिया गया है । इनमें से आधे से अधिक, यानी करीब 5 हजार, तत्काल सेवाओं के अंतर्गत थे। श्रमिक वर्ग, जो अरब देशों में नौकरी की आशा में जल्दबाजी करता है, अक्सर एजेंटों के जाल में फंस जाता है। ये एजेंट आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों को गढ़कर आवेदन भरते हैं, जिससे पूरी प्रक्रिया अवैध साबित हो जाती है।
ठग गिरोह की चालाकी: 20 से 50 हजार की लूट
यह संगठित गिरोह श्रमिकों को आसानी से बहलाकर फर्जी प्रक्रिया में शामिल कर लेता है। प्रति व्यक्ति 20 हजार से लेकर 50 हजार रुपये तक की रकम ऐंठी जाती है, और कई बार पीड़ितों को इसकी पूरी जानकारी भी नहीं होती। बिहार से प्रतिवर्ष बड़ी तादाद में मजदूर विदेश जाते हैं, लेकिन ऐसे धोखों के कारण वे न केवल पैसे गंवाते हैं बल्कि विदेश पहुंचने पर अतिरिक्त मुश्किलों का सामना भी करते हैं।
क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय की सलाह: मान्यता प्राप्त एजेंटों पर भरोसा करें
इस धोखाधड़ी को रोकने के लिए क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय ने विशेष दिशानिर्देश जारी किए हैं। श्रमिकों को चेतावनी दी गई है कि वे केवल प्रमाणित एजेंटों के माध्यम से आवेदन करें, वरना आने वाले समय में गंभीर परेशानियां हो सकती हैं। यह कदम प्रवासियों को सुरक्षित रखने का प्रयास है, ताकि वे वैध तरीके से वैश्विक अवसरों का लाभ उठा सकें। विशेषज्ञों का मानना है कि जागरूकता अभियान इस समस्या का समाधान साबित हो सकते हैं।
फर्जी दस्तावेजों की जांच में 10 हजार आवेदनों का सफाया
पुलिस की जाँच के दौरान बिहार में पासपोर्ट के लिए दाखिल 10 हजार आवेदनों को रद्द करने का आदेश दिया गया है । इनमें से आधे से अधिक, यानी करीब 5 हजार, तत्काल सेवाओं के अंतर्गत थे। श्रमिक वर्ग, जो अरब देशों में नौकरी की आशा में जल्दबाजी करता है, अक्सर एजेंटों के जाल में फंस जाता है। ये एजेंट आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों को गढ़कर आवेदन भरते हैं, जिससे पूरी प्रक्रिया अवैध साबित हो जाती है।
ठग गिरोह की चालाकी: 20 से 50 हजार की लूट
यह संगठित गिरोह श्रमिकों को आसानी से बहलाकर फर्जी प्रक्रिया में शामिल कर लेता है। प्रति व्यक्ति 20 हजार से लेकर 50 हजार रुपये तक की रकम ऐंठी जाती है, और कई बार पीड़ितों को इसकी पूरी जानकारी भी नहीं होती। बिहार से प्रतिवर्ष बड़ी तादाद में मजदूर विदेश जाते हैं, लेकिन ऐसे धोखों के कारण वे न केवल पैसे गंवाते हैं बल्कि विदेश पहुंचने पर अतिरिक्त मुश्किलों का सामना भी करते हैं।
क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय की सलाह: मान्यता प्राप्त एजेंटों पर भरोसा करें
इस धोखाधड़ी को रोकने के लिए क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय ने विशेष दिशानिर्देश जारी किए हैं। श्रमिकों को चेतावनी दी गई है कि वे केवल प्रमाणित एजेंटों के माध्यम से आवेदन करें, वरना आने वाले समय में गंभीर परेशानियां हो सकती हैं। यह कदम प्रवासियों को सुरक्षित रखने का प्रयास है, ताकि वे वैध तरीके से वैश्विक अवसरों का लाभ उठा सकें। विशेषज्ञों का मानना है कि जागरूकता अभियान इस समस्या का समाधान साबित हो सकते हैं।
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