आवारा कुत्तों से डर खत्म होगा? सुप्रीम कोर्ट 7 नवंबर को देगा देशव्यापी दिशा-निर्देश
नई दिल्ली। पिछले कुछ महीनों में भारत के विभिन्न हिस्सों में आवारा कुत्तों के हमले की कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं सामने आई हैं - कहीं बच्चों पर हमला हुआ है तो कहीं बुजुर्गों को निशाना बनाया गया है। इस गंभीर समस्या ने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर एक बड़ी चिंता पैदा कर दी है। इसी पृष्ठभूमि में, सुप्रीम कोर्ट अब इस ज्वलंत मुद्दे पर अपना अंतिम आदेश पारित करने जा रहा है, जिसका सभी को बेसब्री से इंतजार है। यह आदेश 7 नवंबर 2025 को आने वाला है, और उम्मीद है कि यह आवारा कुत्तों के नियंत्रण और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित करेगा।
विवाद की शुरुआत: राज्यों की लापरवाही और कोर्ट की नाराजगी
यह पूरा मामला 22 अगस्त 2025 को शुरू हुआ था, जब सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से आवारा कुत्तों की संख्या और उनके जन्म नियंत्रण (ABC नियम) को नियंत्रित करने के उपायों पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। हालांकि, अधिकांश राज्यों ने इस महत्वपूर्ण आदेश का पालन करने में लापरवाही बरती। इस पर नाराज़ होकर, अदालत ने कड़ा रुख अपनाया और सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से तलब किया। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि "अगर आप लोग आदेशों का पालन नहीं करेंगे तो व्यक्तिगत तौर पर जवाब देना होगा।”
कोर्ट में माफीनामा और देशव्यापी दायरा
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित हुए और बिना शर्त माफी मांगी। उन्होंने स्वीकार किया कि वे समय पर कंप्लायंस एफिडेविट (रिपोर्ट) दाखिल नहीं कर पाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मुद्दा अब केवल दिल्ली-NCR तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका फैसला पूरे देश पर लागू होगा।
27 अक्टूबर की सुनवाई में, अदालत ने लगातार हो रही घटनाओं पर गहरी नाराज़गी व्यक्त की थी। जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने चिंता जताते हुए कहा कि इन घटनाओं से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब हो रही है। कोर्ट ने इसे केवल प्रशासनिक चूक नहीं माना, बल्कि जोर देते हुए कहा, “यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि मानवीय सुरक्षा का गंभीर मुद्दा है।”
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की विशेष बेंच अब 7 नवंबर को इस मामले में अपना अंतिम आदेश पारित करेगी। इस आदेश में मुख्य रूप से यह तय किया जाएगा कि:
राज्यों को ABC नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कौन-कौन से अनिवार्य कदम उठाने होंगे। पूरे देश की निगाहें इस फैसले पर टिकी हैं। नागरिकों को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट एक ऐसा ठोस आदेश देगा जिससे डॉग बाइट की घटनाओं और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच एक नई नीति की शुरुआत होगी, और राज्यों की जिम्मेदारी सुनिश्चित हो सकेगी।
क्या बदलेगी स्थिति? समाधान या सिर्फ कानूनी प्रक्रिया?
अंतिम सवाल यही है - क्या यह बहुप्रतीक्षित फैसला वाकई देशभर में आवारा कुत्तों की समस्या का ठोस समाधान ला पाएगा? या यह भी उन मामलों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा, जिनकी फाइलें अदालती रिकॉर्ड में धूल खाती रहती हैं? राज्यों की माफी और कोर्ट की सख्ती के बीच अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या कोई ठोस और क्रियान्वयन योग्य समाधान निकलेगा या मामला फिर से खिंच जाएगा। यह फैसला न केवल पशु कल्याण (Animal Welfare), बल्कि जन सुरक्षा (Public Safety) का भी सवाल है।
विवाद की शुरुआत: राज्यों की लापरवाही और कोर्ट की नाराजगी
यह पूरा मामला 22 अगस्त 2025 को शुरू हुआ था, जब सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से आवारा कुत्तों की संख्या और उनके जन्म नियंत्रण (ABC नियम) को नियंत्रित करने के उपायों पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था। हालांकि, अधिकांश राज्यों ने इस महत्वपूर्ण आदेश का पालन करने में लापरवाही बरती। इस पर नाराज़ होकर, अदालत ने कड़ा रुख अपनाया और सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से तलब किया। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि "अगर आप लोग आदेशों का पालन नहीं करेंगे तो व्यक्तिगत तौर पर जवाब देना होगा।”
कोर्ट में माफीनामा और देशव्यापी दायरा
सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव सुप्रीम कोर्ट में उपस्थित हुए और बिना शर्त माफी मांगी। उन्होंने स्वीकार किया कि वे समय पर कंप्लायंस एफिडेविट (रिपोर्ट) दाखिल नहीं कर पाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मुद्दा अब केवल दिल्ली-NCR तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका फैसला पूरे देश पर लागू होगा।
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सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणी: "देश की छवि को नुकसान"
27 अक्टूबर की सुनवाई में, अदालत ने लगातार हो रही घटनाओं पर गहरी नाराज़गी व्यक्त की थी। जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने चिंता जताते हुए कहा कि इन घटनाओं से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब हो रही है। कोर्ट ने इसे केवल प्रशासनिक चूक नहीं माना, बल्कि जोर देते हुए कहा, “यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि मानवीय सुरक्षा का गंभीर मुद्दा है।”
7 नवंबर को क्या होगा फैसला?
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की विशेष बेंच अब 7 नवंबर को इस मामले में अपना अंतिम आदेश पारित करेगी। इस आदेश में मुख्य रूप से यह तय किया जाएगा कि:
राज्यों को ABC नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कौन-कौन से अनिवार्य कदम उठाने होंगे। पूरे देश की निगाहें इस फैसले पर टिकी हैं। नागरिकों को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट एक ऐसा ठोस आदेश देगा जिससे डॉग बाइट की घटनाओं और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच एक नई नीति की शुरुआत होगी, और राज्यों की जिम्मेदारी सुनिश्चित हो सकेगी।
क्या बदलेगी स्थिति? समाधान या सिर्फ कानूनी प्रक्रिया?
अंतिम सवाल यही है - क्या यह बहुप्रतीक्षित फैसला वाकई देशभर में आवारा कुत्तों की समस्या का ठोस समाधान ला पाएगा? या यह भी उन मामलों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा, जिनकी फाइलें अदालती रिकॉर्ड में धूल खाती रहती हैं? राज्यों की माफी और कोर्ट की सख्ती के बीच अब नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या कोई ठोस और क्रियान्वयन योग्य समाधान निकलेगा या मामला फिर से खिंच जाएगा। यह फैसला न केवल पशु कल्याण (Animal Welfare), बल्कि जन सुरक्षा (Public Safety) का भी सवाल है।









