बेंगलुरु: शक की आग और सनक ने उजाड़ा हंसता-खेलता परिवार, बीच सड़क पर पत्नी की हत्या

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बेंगलुरु जैसे आधुनिक शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी में एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने मानवीय रिश्तों और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक तरफ जहाँ हम तकनीक और विकास की बातें करते हैं, वहीं दूसरी तरफ व्यक्तिगत कुंठा और गहरे संदेह किस कदर किसी इंसान को अपराधी बना सकते हैं, यह इस घटना से साफ झलकता है।
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मंगलवार की शाम जब बेंगलुरु के राजाजीनगर औद्योगिक क्षेत्र की सड़कें दफ्तर से घर लौटते लोगों से भरी थीं, तभी अचानक गोलियों की गूँज ने सबको दहला दिया। एक ४० वर्षीय सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल, बालमुरुगन ने अपनी अलग रह रही पत्नी भुवनेश्वरी पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं। ३९ वर्षीय भुवनेश्वरी यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत थीं। चश्मदीदों के अनुसार, हमला इतना अचानक था कि किसी को संभलने का मौका ही नहीं मिला। बालमुरुगन ने भुवनेश्वरी पर चार राउंड फायरिंग की, जिसमें से दो गोलियां उनके सिर में लगीं और उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

पुलिस जांच में जो बातें सामने आई हैं, वे किसी फिल्मी पटकथा से कम खौफनाक नहीं हैं। बालमुरुगन और भुवनेश्वरी की शादी साल २०११ में हुई थी और उनके दो बच्चे भी हैं। करीब डेढ़ साल पहले उनके बीच अनबन इतनी बढ़ गई कि वे अलग रहने लगे। बालमुरुगन को अपनी पत्नी के चरित्र पर गहरा संदेह था। वह इस कदर जुनून की हद तक पहुँच गया था कि उसने चार महीने पहले अपनी अच्छी-खासी आईटी की नौकरी सिर्फ इसलिए छोड़ दी ताकि वह अपनी पत्नी पर नजर रख सके।

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भुवनेश्वरी अपने बच्चों की सुरक्षा और शांति के लिए अपना पता बदलकर राजाजीनगर में रहने लगी थीं, लेकिन बालमुरुगन ने उन्हें ढूँढ निकाला और उनके घर के पास ही रहने लगा।

रिश्तों में कड़वाहट उस समय चरम पर पहुँच गई जब करीब एक सप्ताह पहले भुवनेश्वरी ने बालमुरुगन को कानूनी तौर पर तलाक का नोटिस भेजा। बालमुरुगन इस अलगाव को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था। पुलिस के अनुसार, इसी नोटिस ने उसके गुस्से को भड़का दिया और उसने इस खौफनाक वारदात को अंजाम देने की योजना बना ली। हत्या करने के बाद आरोपी खुद पिस्टल लेकर थाने पहुँच गया और आत्मसमर्पण कर दिया।


यह घटना सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के बदलते स्वरूप का एक काला चेहरा भी है। एक उच्च शिक्षित व्यक्ति का अपनी पत्नी के प्रति इतना हिंसक हो जाना यह दर्शाता है कि शिक्षा और पेशेवर सफलता हमेशा मानसिक स्थिरता की गारंटी नहीं होती। संदेह की बीमारी जब सनक बन जाती है, तो वह न केवल एक जीवन समाप्त करती है बल्कि पीछे छूट गए मासूम बच्चों का भविष्य भी अंधकार में डाल देती है।

आज के समय में जब वैवाहिक विवाद बढ़ रहे हैं, तब इस तरह की चरम हिंसा यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम रिश्तों को संभालने के लिए पर्याप्त संवाद और मानसिक परामर्श का सहारा ले रहे हैं? कानून अपना काम करेगा और अपराधी को सजा मिलेगी, लेकिन जो शून्य उन बच्चों के जीवन में पैदा हुआ है, उसकी भरपाई कभी नहीं हो पाएगी।

बेंगलुरु पुलिस फिलहाल मामले की गहराई से जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आरोपी के पास हथियार कहाँ से आया। शहर के व्यस्त इलाके में हुई इस वारदात ने सुरक्षा और महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है।



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