विश्व विज्ञान दिवस पर यूनेस्को का संदेश, विज्ञान से सजेगा शांति का संसार

हर साल 10 नवंबर को विश्व स्तर पर 'शांति और विकास के लिए विश्व विज्ञान दिवस' मनाया जाता है। यह दिन समाज में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करने और आम जनता को उभरते वैज्ञानिक मुद्दों पर बहस में शामिल करने के उद्देश्य से समर्पित है। इस दिवस की स्थापना संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन ( UNESCO ) ने 2001 में की थी। यह हमें याद दिलाता है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग मानव कल्याण और एक शांतिपूर्ण दुनिया के निर्माण के लिए किया जाना चाहिए।
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विश्व विज्ञान दिवस का इतिहास और उद्देश्य


विश्व विज्ञान दिवस की जड़ें 1999 में बुडापेस्ट में हुए विज्ञान पर विश्व सम्मेलन में हैं। इस सम्मेलन ने विज्ञान और समाज के बीच एक नई प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नागरिकों को वैज्ञानिक विकास के बारे में जानकारी मिले और विज्ञान संघर्ष-ग्रस्त क्षेत्रों में शांति को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका निभाए। यह दिवस वैज्ञानिक ज्ञान को एक वैश्विक सार्वजनिक भलाई (Global Public Good) के रूप में स्थापित करता है।

सतत विकास और विज्ञान का योगदान


संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में विज्ञान की भूमिका केंद्रीय है। चाहे वह गरीबी उन्मूलन हो, जलवायु परिवर्तन से निपटना हो, या बेहतर स्वास्थ्य और स्वच्छ पानी सुनिश्चित करना हो, हर चुनौती का समाधान विज्ञान और नवाचार में निहित है। यह दिवस वैज्ञानिक सहयोग और उन चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान करता है जिनका सामना विज्ञान आज कर रहा है।


भारत और वैज्ञानिक दृष्टिकोण


भारत में, यह दिन वैज्ञानिक सोच ( Scientific Temper ) को बढ़ावा देने का एक अवसर है। विज्ञान केवल तकनीकी प्रगति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक तर्कसंगत और आलोचनात्मक दृष्टिकोण भी है जो समाज को अंधविश्वास और रूढ़िवादिता से मुक्त करने में मदद करता है। सरकार, शैक्षणिक संस्थानों और नागरिक समाज को मिलकर विज्ञान को लोगों के करीब लाने के लिए काम करना चाहिए।