जेके की हंसी के पीछे छिपा दर्द: ‘फैमिली मैन 3’ के सितारे शारिब हाशमी की संघर्ष भरी कहानी

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‘द फैमिली मैन 3’ में जो किरदार दर्शकों को सबसे ज्यादा जोड़ता है, वह है जेके—वह इंसान जो हर सिचुएशन में थोड़ा हास्य, थोड़ा तंज और ढेर सारा रिलेटेबल एंटरटेनमेंट ले आता है। पर्दे पर मनोज बाजपेयी और शारिब हाशमी की दोस्ती किसी कृष्ण-सुदामा जैसी लगती है। पर दर्शक यह नहीं जानते कि पर्दे पर हर वक्त मुस्कुराने वाले जेके की रियल लाइफ बेहद मुश्किलों और दर्द से भरी रही है।
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हाल ही में ‘गुस्ताख इश्क’ में नजर आए शारिब इस वक्त ‘फैमिली मैन 3’ की सफलता के चलते सुर्खियों में हैं। लेकिन इस सफलता तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं था। उनकी असली कहानी उतनी ही भावनात्मक है जितनी प्रेरणादायक।


30 साल की उम्र में लिया जोखिम भरा फैसला, परिवार की जिम्मेदारी सिर पर

शारिब हाशमी ने फिल्मों की दुनिया में आने का फैसला काफी देर से लिया। तब तक वह शादीशुदा थे और उनका बच्चा भी हो चुका था।
ऐसे समय पर नौकरी छोड़ देना किसी भी इंसान के लिए बड़ा रिस्क होता है, लेकिन उन्होंने अपनी दिल की आवाज सुनी और एक्टिंग को अपना रास्ता चुना।


यह ऐसा फैसला था जिसे परिवार, रिश्तेदार और दोस्त—लगभग सभी ने गलत बताया। मगर साथ खड़ी रहीं उनकी पत्नी नसरीन, जिन्होंने उनके सपने पर भरोसा किया।


पर्सनल लाइफ में दर्द का समंदर, लेकिन हिम्मत नहीं छोड़ी

एक्टर होने के बावजूद शारिब ने अपने संघर्ष में कभी शिकायत नहीं की। ‘असुर’, ‘द फैमिली मैन 3’, ‘जब तक है जान’, ‘मिशन मजनू’, ‘तरला’, ‘धाकड़’ जैसी फिल्मों में अलग-अलग किरदार निभाने वाले शारिब एक ऐसे दौर से गुजरे जब उन्हें पता ही नहीं होता था कि अगले दिन घर कैसे चलेगा।


उन्होंने खुद बताया था कि एक वक्त ऐसा भी आया जब उन्हें समझ नहीं आता था कि कल का खाना कहाँ से आएगा, किससे पैसे मांगे जाएं।


'बुरे दिनों में बीवी ने जेवर तक बेच दिए'

शारिब बताते हैं कि जब उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी, तब घर चलाना मुश्किल हो गया था। उसी समय उनकी पत्नी ने बिना कुछ कहे अपने जेवर बेचकर घर की जिम्मेदारी उठाई।

उनकी पत्नी का कहना था—
"कम से कम कोशिश तो करनी चाहिए, वरना जिंदगी भर मलाल रहेगा।"

यह वह भावनात्मक सहारा था जिसने शारिब को टूटने नहीं दिया।

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एक वक्त ऐसा भी जब घर चलाने के लिए पैसा तक नहीं था

एक इंटरव्यू में शारिब ने बताया कि वह फोन पर एक-एक दोस्त को कॉल करते थे, काम ढूंढते थे। इसी दौरान उन्होंने अपने मित्र वैभव मोदी को फोन किया। वैभव उस समय 'जोर का झटका' शो के लिए राइटर खोज रहे थे।

उन्हें तुरंत काम मिला और साइनिंग अमाउंट ने 3–4 महीनों का राशन-पानी दे दिया।
इस छोटी शुरुआत ने शारिब को फिर से खड़ा होने की ताकत दी।


'फैमिली मैन' बना जिंदगी का सहारा, पर उसी समय आया बड़ा सदमा

जब ‘फैमिली मैन’ मिला तो शारिब को लगा कि अब उनके संघर्ष खत्म हो रहे हैं। काम अच्छा था, पहचान मिल रही थी और पैसे भी स्थिर होने लगे थे।
लेकिन उसी समय उनकी जिंदगी में एक ऐसा झटका लगा जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी—

उनकी पत्नी को कैंसर हो गया।

शारिब कहते हैं,
"एक तरफ काम मिलना शुरू हुआ और दूसरी तरफ बीवी के कैंसर की शुरुआत हुई। इसे मैं अपनी किस्मत की विडंबना मानता हूं।"


किसी से पैसे नहीं मांगने पड़े, लेकिन दर्द बहुत बड़ा था

कर्ज और संघर्ष के दिनों में शारिब मदद मांगते-मांगते थक चुके थे। लेकिन ‘फैमिली मैन’ की कमाई से पत्नी के इलाज का खर्च चल गया। उन्हें किसी से पैसे नहीं मांगने पड़े।
पर मानसिक और भावनात्मक लड़ाई बहुत बड़ी थी।

पत्नी को हो चुका है चार बार कैंसर—विल पावर पत्थर की तरह मजबूत

शारिब बताते हैं कि उनकी पत्नी नसरीन चार बार कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ चुकी हैं। कई सर्जरी हुई हैं, कठिन इलाज हुए हैं, मगर उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

शारिब गर्व से कहते हैं—
"वो मुझे नहीं, बल्कि वो मुझे संभालती हैं। उनका विल पावर बहुत मजबूत है।"


आज जहां हैं, वहां पहुंचने के पीछे पत्नी का प्यार और त्याग

‘द फैमिली मैन 3’ में जेके की हंसी हमें खूब हंसाती है, लेकिन उसके पीछे एक आदमी का दर्द, संघर्ष और परिवार की अनकही कहानी है।
आज शारिब हाशमी जिस मुकाम पर हैं, उसमें उनकी मेहनत के साथ-साथ पत्नी के त्याग, विश्वास और संघर्ष की भी बड़ी भूमिका है।

















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