परेश रावल ने बताया, बिजनेस में एक्टिंग का जादू नहीं चलता, वोकल फॉर लोकल को हमेशा सपोर्ट करें
उन्होंने कहा कि फिल्मी दुनिया के फॉर्मूले बिजनेस में काम नहीं आते। इंसान हर मुश्किल और मौके में खुद को बदल लेता है। वोकल फॉर लोकल को अपना मंत्र बनाएं और हमेशा इसका साथ दें। यह कार्यक्रम एमएसएमई सेक्टर को मजबूत बनाने और वैश्विक बाजार में टक्कर देने का प्लेटफॉर्म है। आइए जानते हैं परेश रावल की इन बातों की पूरी डिटेल।
अमर उजाला द्वारा आयोजित एमएसएमई फॉर भारत कॉन्क्लेव , एक्सपो और अवार्ड्स 2025 भारत मंडपम, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में चल रहा है। यह तीसरा सत्र था, जहाँ फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स ने बताया कि एमएसएमई को फंडिंग कैसे आसान बनाई जाए। इसका लक्ष्य है - छोटे उद्यमों को वैश्विक चुनौतियों के लिए तैयार करना और वोकल फॉर लोकल के सपने को हकीकत बनाना। परेश रावल ने यहां बिजनेस लीडर्स को प्रेरित किया।
परेश रावल ने साफ कहा, "एक्टिंग का फॉर्मूला बिजनेस की दुनिया में नहीं चल सकता।" उन्होंने समझाया कि एक्टर को जिंदगी भर चौंकते हुए रहना पड़ता है, लेकिन बिजनेस में ऐसा नहीं। इंसान हर आपदा में ढल जाता है और हर मौके को पकड़ लेता है। बिजनेस वाले यह सीख लें - जीना है तो हाथ पर हाथ धरे न बैठें। सर्वाइव करने के लिए बदलाव जरूरी है।
वह बोले, "हम बहुत खुशकिस्मत हैं कि हमें नरेंद्र मोदी जैसे लीडर मिले। वे अमेरिका को टक्कर दे सकते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि हम किसी पर निर्भर नहीं रहते।" यह बात सुनकर ऑडियंस ने तालियां बजाईं। परेश रावल ने जोर दिया कि बिजनेस में निष्क्रियता बर्दाश्त नहीं होती।
परेश रावल ने वोकल फॉर लोकल की तारीफ की और कहा, "इसका हमेशा समर्थन करें। यह एमएसएमई सेक्टर का मूल मंत्र होना चाहिए।" अगर किसी चीज पर पर्दा डाल दिया जाए, तो गलतफहमियां फैल जाती हैं। उन्होंने अपने आने वाले प्रोजेक्ट के बारे में बताया, "यह रिसर्च पर आधारित है। सच्चाई कहो तो लोग प्रोपेगैंडा बोल देते हैं। अगर प्रोपेगैंडा है तो मैदान में आओ, विरोध करो। फिल्म देखे बिना बकवास मत करो।"
उन्होंने अपील की, "अपने देश के बारे में सोचो, अपने लोगों के बारे में सोचो। सब मिलकर चलें, सब साथ रहें।" यह शब्द एमएसएमई उद्यमियों के लिए प्रेरणा बने।
परेश रावल ने एक्टिंग और बिजनेस के बीच का अंतर साफ किया। फिल्मों में रोल निभाना आसान लगता है, लेकिन बिजनेस में असली चुनौतियां आती हैं। वोकल फॉर लोकल से छोटे बिजनेस मजबूत होंगे और देश आत्मनिर्भर बनेगा। अगर आप एमएसएमई में हैं, तो यह कॉन्क्लेव आपके लिए गोल्डन चांस है।
परेश रावल की ये बातें न सिर्फ प्रेरक हैं, बल्कि व्यावहारिक भी। वोकल फॉर लोकल अपनाकर आप अपना बिजनेस बढ़ा सकते हैं।
कार्यक्रम का खास मकसद: एमएसएमई को दें नई ताकत
अमर उजाला द्वारा आयोजित एमएसएमई फॉर भारत कॉन्क्लेव , एक्सपो और अवार्ड्स 2025 भारत मंडपम, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में चल रहा है। यह तीसरा सत्र था, जहाँ फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स ने बताया कि एमएसएमई को फंडिंग कैसे आसान बनाई जाए। इसका लक्ष्य है - छोटे उद्यमों को वैश्विक चुनौतियों के लिए तैयार करना और वोकल फॉर लोकल के सपने को हकीकत बनाना। परेश रावल ने यहां बिजनेस लीडर्स को प्रेरित किया।
परेश रावल का दावा: बिजनेस में एक्टिंग स्टाइल फेल हो जाता है
परेश रावल ने साफ कहा, "एक्टिंग का फॉर्मूला बिजनेस की दुनिया में नहीं चल सकता।" उन्होंने समझाया कि एक्टर को जिंदगी भर चौंकते हुए रहना पड़ता है, लेकिन बिजनेस में ऐसा नहीं। इंसान हर आपदा में ढल जाता है और हर मौके को पकड़ लेता है। बिजनेस वाले यह सीख लें - जीना है तो हाथ पर हाथ धरे न बैठें। सर्वाइव करने के लिए बदलाव जरूरी है।
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वह बोले, "हम बहुत खुशकिस्मत हैं कि हमें नरेंद्र मोदी जैसे लीडर मिले। वे अमेरिका को टक्कर दे सकते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि हम किसी पर निर्भर नहीं रहते।" यह बात सुनकर ऑडियंस ने तालियां बजाईं। परेश रावल ने जोर दिया कि बिजनेस में निष्क्रियता बर्दाश्त नहीं होती।
वोकल फॉर लोकल पर सलाह: एमएसएमई का सबसे बड़ा मंत्र
परेश रावल ने वोकल फॉर लोकल की तारीफ की और कहा, "इसका हमेशा समर्थन करें। यह एमएसएमई सेक्टर का मूल मंत्र होना चाहिए।" अगर किसी चीज पर पर्दा डाल दिया जाए, तो गलतफहमियां फैल जाती हैं। उन्होंने अपने आने वाले प्रोजेक्ट के बारे में बताया, "यह रिसर्च पर आधारित है। सच्चाई कहो तो लोग प्रोपेगैंडा बोल देते हैं। अगर प्रोपेगैंडा है तो मैदान में आओ, विरोध करो। फिल्म देखे बिना बकवास मत करो।"
उन्होंने अपील की, "अपने देश के बारे में सोचो, अपने लोगों के बारे में सोचो। सब मिलकर चलें, सब साथ रहें।" यह शब्द एमएसएमई उद्यमियों के लिए प्रेरणा बने।
क्यों है यह संदेश खास? बिजनेस और फिल्मी दुनिया का फर्क
परेश रावल ने एक्टिंग और बिजनेस के बीच का अंतर साफ किया। फिल्मों में रोल निभाना आसान लगता है, लेकिन बिजनेस में असली चुनौतियां आती हैं। वोकल फॉर लोकल से छोटे बिजनेस मजबूत होंगे और देश आत्मनिर्भर बनेगा। अगर आप एमएसएमई में हैं, तो यह कॉन्क्लेव आपके लिए गोल्डन चांस है।
परेश रावल की ये बातें न सिर्फ प्रेरक हैं, बल्कि व्यावहारिक भी। वोकल फॉर लोकल अपनाकर आप अपना बिजनेस बढ़ा सकते हैं।