थामा मूवी रिव्यू 2025: रोमांस चमका, लेकिन कहानी ने तोड़ा दिल
दिवाली के मौके पर रिलीज हुई थामा फिल्म भारतीय लोककथाओं को आधुनिक टच देती है। यह 'स्त्री', 'भेड़िया' और 'मुंज्या' जैसी हिट्स के बाद वैम्पायर मिथक पर बनी है। आयुष्मान एक साधारण लड़के का रोल निभाते हैं, जो रश्मिका नाम की रहस्यमयी लड़की से प्यार कर बैठते हैं। लेकिन कहानी में ट्विस्ट्स के साथ हॉरर-कॉमेडी का मिश्रण ठीक से नहीं उतरता। निर्देशक आदित्य सारपोतदार ने कोशिश तो की, पर स्क्रिप्ट ने सब बिगाड़ दिया।
कहानी का आकर्षण और कमियां
फिल्म की शुरुआत सिकंदर काल से होती है, जहां बेतालों का राज था। आज के समय में अलोक गोयल का किरदार निभा रहें आयुष्मान जंगल में घायल हो जाते है और रश्मिका उसे बचाती है। दिल्ली आकर दोनों को प्यार हो जाता है, लेकिन रश्मिका का राज खुलता है कि वह कोई सुपरनैचुरल प्राणी है। नवाजुद्दीन बेतालों के सरदार बने हैं, जो पीछा करते हैं। रोमांटिक हिस्सा भावुक है और भारतीय मिथकों से जोड़ना नया लगता है। लेकिन पहला भाग जल्दबाजी भरा है, डायलॉग्स भारी लगते हैं। दूसरा भाग कमियों से भरा है, जो उलझन बढ़ाता है। "थामा में वैम्पायर लव स्टोरी का आइडिया ताजा है, लेकिन स्क्रिप्ट की कमजोरी इसे फीका कर देती है।"
कलाकारों का प्रदर्शन
आयुष्मान खुराना का किरदार आम लड़के जैसा है, जो प्यार में खो जाता है। उनकी एक्टिंग भावनाओं को अच्छे से दिखाती है। रश्मिका मंदाना रहस्यमयी भूमिका में चमकती हैं और उनकी खूबसूरती कहानी को सहारा देती है। "रश्मिका मंदाना की एक्टिंग भी तारीफ करने वाली है।" "आयुष्मान खुराना की एक्टिंग भी कमाल की लगने वाली है।" लेकिन नवाजुद्दीन सिद्दीकी का रोल बर्बाद हो गया। "नवाजुद्दीन सिद्दीकी का यक्षासन रोल बेकार लिखा गया है।" परेश रावल को भी ठीक से इस्तेमाल नहीं किया गया। "परेश रावल को भी बेकार यूज किया गया।" जोड़ी की केमिस्ट्री पूरी नहीं जम पाई।
फिल्म के विजुअल्स लाजवाब हैं। वेयरवुल्फ और बेतालों की लड़ाई के दृश्य स्क्रीन पर जकड़ लेते हैं। "वेयरवुल्फ और बेतालों की फाइट सीन कमाल के हैं।" "विजुअल्स इतने शानदार हैं कि स्क्रीन पर आंखें टिक जाती हैं।" एक सीन में लड़कियों की सुरक्षा पर तंज कसा गया है, जो हंसाता भी है और सोचने पर मजबूर करता है। "दिल्ली की सड़कों पर लड़कियों की सेफ्टी को लेकर एक सीन में मजेदार तंज भी है, जो हंसाता भी है और सोचने पर मजबूर करता है।" लेकिन हॉरर सीन कमजोर हैं, डर नहीं लगता। हंसी के पल भी आधे-अधूरे हैं। "हंसी के मोमेंट्स भी कमजोर हैं। कुछ जोक्स हंसाते हैं, बाकी फुस्स।" क्लाइमेक्स में जोरदार अंत नहीं है। "क्लाइमेक्स में वो धमाका नहीं होता, जो इस फिल्म और कमजोर बना रहा है।"
थामा का रोमांटिक एंगल ताकत है। "फिल्म थामा की सबसे बड़ी ताकत इसका रोमांटिक एंगल है, जो यूनिवर्स की पिछली फिल्मों से अलग खड़ी होती है। स्त्री और भेड़िया में हॉरर-कॉमेडी का दम था, लेकिन यहां प्यार की कहानी में इमोशंस हैं।" लेकिन कमजोर स्क्रिप्ट ने नुकसान किया। "फिल्म थामा में अच्छाई से ज्यादा बुराई है। सबसे बड़ी दिक्कत है स्क्रिप्ट, जो कमजोर और बिखरी हुई है।" "पहला हाफ जल्दबाजी में लगता है, डायलॉग्स बोझिल हैं, और आयुष्मान-रश्मिका की केमिस्ट्री पूरी तरह नहीं जम पाती।" "यूनिवर्स को जोड़ने की कोशिश में सेकंड हाफ में ढेर सारे कैमियो ठूंस दिए गए हैं, जो कहानी को भारी बनाते हैं।" "स्त्री 2 के बाद उम्मीदें थीं, लेकिन ये कनेक्शन्स कहानी को उलझाते हैं।" "डराने वाले सीन भी न के बराबर हैं और जो हैं वो डराते नहीं।" अगर मैडॉक यूनिवर्स के दीवाने हैं, तो कैमियो देखने जाएं, वरना वेट करें। "आयुष्मान और रश्मिका की जोड़ी देखने लायक है पर बाकी चीजें अधूरी लगती हैं।" "अगर आप मैडॉक यूनिवर्स के फैन हैं, तो कैमियो के लिए देख सकते हैं, वरना स्किप करें।"
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कहानी का आकर्षण और कमियां
फिल्म की शुरुआत सिकंदर काल से होती है, जहां बेतालों का राज था। आज के समय में अलोक गोयल का किरदार निभा रहें आयुष्मान जंगल में घायल हो जाते है और रश्मिका उसे बचाती है। दिल्ली आकर दोनों को प्यार हो जाता है, लेकिन रश्मिका का राज खुलता है कि वह कोई सुपरनैचुरल प्राणी है। नवाजुद्दीन बेतालों के सरदार बने हैं, जो पीछा करते हैं। रोमांटिक हिस्सा भावुक है और भारतीय मिथकों से जोड़ना नया लगता है। लेकिन पहला भाग जल्दबाजी भरा है, डायलॉग्स भारी लगते हैं। दूसरा भाग कमियों से भरा है, जो उलझन बढ़ाता है। "थामा में वैम्पायर लव स्टोरी का आइडिया ताजा है, लेकिन स्क्रिप्ट की कमजोरी इसे फीका कर देती है।"
कलाकारों का प्रदर्शन
आयुष्मान खुराना का किरदार आम लड़के जैसा है, जो प्यार में खो जाता है। उनकी एक्टिंग भावनाओं को अच्छे से दिखाती है। रश्मिका मंदाना रहस्यमयी भूमिका में चमकती हैं और उनकी खूबसूरती कहानी को सहारा देती है। "रश्मिका मंदाना की एक्टिंग भी तारीफ करने वाली है।" "आयुष्मान खुराना की एक्टिंग भी कमाल की लगने वाली है।" लेकिन नवाजुद्दीन सिद्दीकी का रोल बर्बाद हो गया। "नवाजुद्दीन सिद्दीकी का यक्षासन रोल बेकार लिखा गया है।" परेश रावल को भी ठीक से इस्तेमाल नहीं किया गया। "परेश रावल को भी बेकार यूज किया गया।" जोड़ी की केमिस्ट्री पूरी नहीं जम पाई।
तकनीकी पक्ष और सिनेमैटोग्राफी
फिल्म के विजुअल्स लाजवाब हैं। वेयरवुल्फ और बेतालों की लड़ाई के दृश्य स्क्रीन पर जकड़ लेते हैं। "वेयरवुल्फ और बेतालों की फाइट सीन कमाल के हैं।" "विजुअल्स इतने शानदार हैं कि स्क्रीन पर आंखें टिक जाती हैं।" एक सीन में लड़कियों की सुरक्षा पर तंज कसा गया है, जो हंसाता भी है और सोचने पर मजबूर करता है। "दिल्ली की सड़कों पर लड़कियों की सेफ्टी को लेकर एक सीन में मजेदार तंज भी है, जो हंसाता भी है और सोचने पर मजबूर करता है।" लेकिन हॉरर सीन कमजोर हैं, डर नहीं लगता। हंसी के पल भी आधे-अधूरे हैं। "हंसी के मोमेंट्स भी कमजोर हैं। कुछ जोक्स हंसाते हैं, बाकी फुस्स।" क्लाइमेक्स में जोरदार अंत नहीं है। "क्लाइमेक्स में वो धमाका नहीं होता, जो इस फिल्म और कमजोर बना रहा है।"
देखें या छोड़ें?
थामा का रोमांटिक एंगल ताकत है। "फिल्म थामा की सबसे बड़ी ताकत इसका रोमांटिक एंगल है, जो यूनिवर्स की पिछली फिल्मों से अलग खड़ी होती है। स्त्री और भेड़िया में हॉरर-कॉमेडी का दम था, लेकिन यहां प्यार की कहानी में इमोशंस हैं।" लेकिन कमजोर स्क्रिप्ट ने नुकसान किया। "फिल्म थामा में अच्छाई से ज्यादा बुराई है। सबसे बड़ी दिक्कत है स्क्रिप्ट, जो कमजोर और बिखरी हुई है।" "पहला हाफ जल्दबाजी में लगता है, डायलॉग्स बोझिल हैं, और आयुष्मान-रश्मिका की केमिस्ट्री पूरी तरह नहीं जम पाती।" "यूनिवर्स को जोड़ने की कोशिश में सेकंड हाफ में ढेर सारे कैमियो ठूंस दिए गए हैं, जो कहानी को भारी बनाते हैं।" "स्त्री 2 के बाद उम्मीदें थीं, लेकिन ये कनेक्शन्स कहानी को उलझाते हैं।" "डराने वाले सीन भी न के बराबर हैं और जो हैं वो डराते नहीं।" अगर मैडॉक यूनिवर्स के दीवाने हैं, तो कैमियो देखने जाएं, वरना वेट करें। "आयुष्मान और रश्मिका की जोड़ी देखने लायक है पर बाकी चीजें अधूरी लगती हैं।" "अगर आप मैडॉक यूनिवर्स के फैन हैं, तो कैमियो के लिए देख सकते हैं, वरना स्किप करें।"