वायरल वीडियो: बेंगलुरु की सड़कों पर रोबोट डॉग 'PARAM' का जलवा, देखकर लोग रह गए हैरान
बेंगलुरु. यह शहर अपनी तकनीकी प्रगति के लिए हमेशा सुर्खियों में रहा है, लेकिन हाल ही में जिस नजारे ने सबका ध्यान खींचा, वह कोई इंसान या नई आईटी कंपनी नहीं है, बल्कि एक रोबोट डॉग है. यह कुत्ता धातुओं, सर्किट और दमदार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बना है. जी हां, हम बात कर रहे हैं 'PARAM' की.
PARAM एक स्वदेशी रोबोट डॉग है, जो हाल ही में एचएसआर लेआउट की व्यस्त सड़कों पर चहलकदमी करता दिखा. इस नजारे ने वहां के स्थानीय निवासियों को एक पल के लिए अचंभित कर दिया और उत्सुकता से भर दिया. लोगों ने पहली बार किसी ऐसी तकनीक को इतनी सहजता से अपने बीच घूमते देखा.
इस रोबोट कुत्ते का वजन 35 किलोग्राम है और यह आठ घंटे का दमदार बैटरी बैकअप देता है. इसमें हॉट-स्वैपेबल सेल लगे हैं, जिसका मतलब है कि इसे तुरंत चार्ज या बदला जा सकता है, जिससे यह लंबे और निरंतर मिशन के लिए पूरी तरह से तैयार रहता है. इसकी मजबूती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे IP67 रेटिंग मिली है, यानी यह धूल और पानी से सुरक्षित है. साथ ही, यह माइनस 20 डिग्री सेल्सियस से लेकर प्लस 55 डिग्री सेल्सियस तक के विषम तापमान में भी सफलतापूर्वक काम कर सकता है.
हालांकि, कुछ लोगों ने इस रोबोटिक सिस्टम को 30 दिनों में विकसित करने की समय सीमा पर सवाल भी उठाए. उनका मानना था कि एक इतने परिष्कृत रोबोटिक प्रणाली को विकसित करने के लिए 30 दिन का समय बहुत कम है. दूसरी ओर, कई तकनीक प्रेमियों ने PARAM की तुलना वैश्विक दिग्गजों जैसे बोस्टन डायनेमिक्स के रोबोट से करनी शुरू कर दी. उन्होंने जानना चाहा कि क्या यह रोबोट भविष्य में वैश्विक बाजार में उन्हें टक्कर दे पाएगा, खासकर अगर इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर और किफायती दरों पर किया जाए.
कुल मिलाकर, इंटरनेट पर एक सकारात्मक और ऊर्जावान माहौल बना. यह दर्शाता है कि भारत अब अपनी रोबोटिक्स और तकनीकी क्षमताओं को पहचान रहा है. यह एक ऐसा समय है जब हर भारतीय को यह महसूस हो रहा है कि देश की प्रतिभा अब वैश्विक मंच पर धूम मचाने के लिए तैयार है.
PARAM का सड़कों पर दिखना सिर्फ एक वायरल वीडियो नहीं है. यह एक संकेत है कि भविष्य की टेक्नोलॉजी की दौड़ में भारत अब सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि एक सक्रिय और शक्तिशाली खिलाड़ी बनने को तैयार है. रोबोटिक्स के क्षेत्र में भारत की यात्रा इस घटना के बाद और भी रोमांचक हो गई है.
PARAM एक स्वदेशी रोबोट डॉग है, जो हाल ही में एचएसआर लेआउट की व्यस्त सड़कों पर चहलकदमी करता दिखा. इस नजारे ने वहां के स्थानीय निवासियों को एक पल के लिए अचंभित कर दिया और उत्सुकता से भर दिया. लोगों ने पहली बार किसी ऐसी तकनीक को इतनी सहजता से अपने बीच घूमते देखा.
सड़क पर सामान्य चहलकदमी
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक छोटे से वीडियो क्लिप में यह चार पैरों वाली मशीन बिल्कुल सामान्य और शांत तरीके से सड़क पर चलती नजर आ रही है. उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो वह वर्षों से उसी जगह का निवासी हो, अपने हर कदम को स्थिरता और सटीकता के साथ उठाता हुआ. PARAM की यह आकस्मिक सैर तुरंत सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई और देखते ही देखते यह रोबोट पूरे देश की नजरों में आ गया.You may also like
- School Holiday on December 11: Check the states where schools will remain closed & the latest update
- Playing ILT20 a key boost for Afghanistan players ahead of T20 WC, says DC all-rounder Nabi
- Goa nightclub fire: 'While rescuers battled the blaze, Luthra brothers were busy booking flights out of India'
- DGCA sets up 8-member team to monitor IndiGo amid widespread disruptions
Delhi Govt signs MoU with IOCL to make the capital beautiful, healthy, and well-organised
इस रोबोट कुत्ते का वजन 35 किलोग्राम है और यह आठ घंटे का दमदार बैटरी बैकअप देता है. इसमें हॉट-स्वैपेबल सेल लगे हैं, जिसका मतलब है कि इसे तुरंत चार्ज या बदला जा सकता है, जिससे यह लंबे और निरंतर मिशन के लिए पूरी तरह से तैयार रहता है. इसकी मजबूती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे IP67 रेटिंग मिली है, यानी यह धूल और पानी से सुरक्षित है. साथ ही, यह माइनस 20 डिग्री सेल्सियस से लेकर प्लस 55 डिग्री सेल्सियस तक के विषम तापमान में भी सफलतापूर्वक काम कर सकता है.
इंटरनेट पर बहस: स्वदेशी पर गर्व और ग्लोबल चुनौती
जैसे ही PARAM का वीडियो इंटरनेट पर वायरल हुआ, तकनीकी जगत में जोरदार बहस छिड़ गई. एक तरफ, लोगों ने इस स्वदेशी नवाचार की जमकर तारीफ की और इसे 'मेक इन इंडिया' पहल की बड़ी सफलता बताया. कई यूजर्स ने इस इनोवेशन को भारतीय तकनीक के लिए एक गौरवशाली क्षण कहा.हालांकि, कुछ लोगों ने इस रोबोटिक सिस्टम को 30 दिनों में विकसित करने की समय सीमा पर सवाल भी उठाए. उनका मानना था कि एक इतने परिष्कृत रोबोटिक प्रणाली को विकसित करने के लिए 30 दिन का समय बहुत कम है. दूसरी ओर, कई तकनीक प्रेमियों ने PARAM की तुलना वैश्विक दिग्गजों जैसे बोस्टन डायनेमिक्स के रोबोट से करनी शुरू कर दी. उन्होंने जानना चाहा कि क्या यह रोबोट भविष्य में वैश्विक बाजार में उन्हें टक्कर दे पाएगा, खासकर अगर इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर और किफायती दरों पर किया जाए.
कुल मिलाकर, इंटरनेट पर एक सकारात्मक और ऊर्जावान माहौल बना. यह दर्शाता है कि भारत अब अपनी रोबोटिक्स और तकनीकी क्षमताओं को पहचान रहा है. यह एक ऐसा समय है जब हर भारतीय को यह महसूस हो रहा है कि देश की प्रतिभा अब वैश्विक मंच पर धूम मचाने के लिए तैयार है.
PARAM का सड़कों पर दिखना सिर्फ एक वायरल वीडियो नहीं है. यह एक संकेत है कि भविष्य की टेक्नोलॉजी की दौड़ में भारत अब सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि एक सक्रिय और शक्तिशाली खिलाड़ी बनने को तैयार है. रोबोटिक्स के क्षेत्र में भारत की यात्रा इस घटना के बाद और भी रोमांचक हो गई है.









