गणेश चतुर्थी 2025: पहली बार कर रहे हैं गणपति स्थापना? जानें नियम, विधि और शुभ मुहूर्त
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प्रत्येक शुभ कार्य से पहले पूजे जाने वाले भगवान गणेश का जन्मोत्सव, गणेश चतुर्थी, हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और हर्ष और उल्लास भरा त्योहार है। यह 10 दिवसीय उत्सव गणपति बप्पा की प्रतिमा की स्थापना से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी पर उनके विसर्जन के साथ समाप्त होता है। इस दौरान भक्त उनकी आराधना करते हैं, मोदक और तरह-तरह के पकवानों का भोग लगाते हैं, और भजन-कीर्तन में लीन रहते हैं।
गणेश चतुर्थी 2025 कब है?
तिथि – 27 अगस्त 2025, बुधवार
गणेश पूजन मुहूर्त – सुबह 11:25 से दोपहर 01:57 बजे तक
चतुर्थी तिथि प्रारंभ – 26 अगस्त, दोपहर 01:54 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त – 27 अगस्त, दोपहर 03:44 बजे
चंद्र दर्शन वर्जित समय – सुबह 09:42 से रात 09:22 तक
गणपति स्थापना और पूजा की सरल विधि
गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करने से पहले पूरे घर को साफ करना चाहिए। पूजा की तैयारी में धूप, अगरबत्ती, दीये, मोदक, दूर्वा घास, लाल फूल और नारियल जैसी सामग्री एकत्रित करें।
दस दिवसीय गणेशोत्सव: एक पौराणिक कथा
गणेशोत्सव का दस दिनों तक चलना महाभारत से जुड़ी एक प्राचीन कथा पर आधारित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महर्षि वेदव्यास को महाभारत की रचना के लिए एक ऐसे विद्वान की आवश्यकता थी जो उनके मुख से निकलने वाली गाथा को बिना रुके लिख सके। इस कार्य के लिए उन्होंने भगवान गणेश से अनुरोध किया।
गणेश जी ने यह शर्त रखी कि वे बिना रुके ही लिखेंगे, लेकिन जैसे ही वेदव्यास बोलना बंद करेंगे, वे लिखना भी बंद कर देंगे। वेदव्यास ने यह शर्त स्वीकार की और लगातार दस दिनों तक महाभारत का लेखन चला। इस दौरान गणेश जी का शरीर अत्यंत गर्म हो गया। जब दस दिन बाद लेखन समाप्त हुआ, तो वेदव्यास ने उन्हें पास के एक जलकुंड में डुबोकर उनके शरीर को ठंडा किया। इसी घटना के बाद से गणेशोत्सव दस दिनों तक मनाया जाने लगा और दसवें दिन उनकी प्रतिमा का विसर्जन किया जाने लगा।
गणेश जी के प्रमुख मंत्र
मनोकामना पूर्ति के लिए – ॐ गं गणपतये नमः
धन प्राप्ति के लिए – ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा
सुख-समृद्धि के लिए – ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात्
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गणेश चतुर्थी 2025 कब है?
तिथि – 27 अगस्त 2025, बुधवार
गणेश पूजन मुहूर्त – सुबह 11:25 से दोपहर 01:57 बजे तक
चतुर्थी तिथि प्रारंभ – 26 अगस्त, दोपहर 01:54 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त – 27 अगस्त, दोपहर 03:44 बजे
चंद्र दर्शन वर्जित समय – सुबह 09:42 से रात 09:22 तक
गणपति स्थापना और पूजा की सरल विधि
गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करने से पहले पूरे घर को साफ करना चाहिए। पूजा की तैयारी में धूप, अगरबत्ती, दीये, मोदक, दूर्वा घास, लाल फूल और नारियल जैसी सामग्री एकत्रित करें।
- मूर्ति आगमन: गणेश जी की मूर्ति को घर लाते समय उनके चेहरे को ढक कर रखें। परिवार के किसी सदस्य को मूर्ति लाने से पहले एक कटोरी चावल छिड़कने चाहिए।
- स्थापना: मूर्ति को एक साफ-सुथरे और ऊँचे स्थान पर स्थापित करें। स्थापना से पहले उस स्थान पर सुपारी, हल्दी और कुमकुम के साथ कुछ कच्चे चावल चढ़ाएं।
- पूजा का आरंभ: मूर्ति स्थापित करने के बाद कपड़े को हटाकर पूजा शुरू करें। अगरबत्ती और धूप जलाएं, और आरती की थाली तैयार करें।
- मंत्र जाप और भोग: परिवार के सभी सदस्य मिलकर "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप करें। गणेश जी को मोदक और लाल फूल विशेष रूप से अर्पित करें।
- दैनिक पूजा: दस दिनों तक सुबह और शाम, पूरे परिवार के साथ भगवान गणेश की आरती और भजन-कीर्तन करें।
दस दिवसीय गणेशोत्सव: एक पौराणिक कथा
गणेशोत्सव का दस दिनों तक चलना महाभारत से जुड़ी एक प्राचीन कथा पर आधारित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महर्षि वेदव्यास को महाभारत की रचना के लिए एक ऐसे विद्वान की आवश्यकता थी जो उनके मुख से निकलने वाली गाथा को बिना रुके लिख सके। इस कार्य के लिए उन्होंने भगवान गणेश से अनुरोध किया।
गणेश जी ने यह शर्त रखी कि वे बिना रुके ही लिखेंगे, लेकिन जैसे ही वेदव्यास बोलना बंद करेंगे, वे लिखना भी बंद कर देंगे। वेदव्यास ने यह शर्त स्वीकार की और लगातार दस दिनों तक महाभारत का लेखन चला। इस दौरान गणेश जी का शरीर अत्यंत गर्म हो गया। जब दस दिन बाद लेखन समाप्त हुआ, तो वेदव्यास ने उन्हें पास के एक जलकुंड में डुबोकर उनके शरीर को ठंडा किया। इसी घटना के बाद से गणेशोत्सव दस दिनों तक मनाया जाने लगा और दसवें दिन उनकी प्रतिमा का विसर्जन किया जाने लगा।
गणेश जी के प्रमुख मंत्र
मनोकामना पूर्ति के लिए – ॐ गं गणपतये नमः
धन प्राप्ति के लिए – ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा
सुख-समृद्धि के लिए – ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात्