Union Budget 2026: क्या इस बार बढ़ेगी पीएम किसान योजना की राशि? जानिए किसानों की बड़ी उम्मीदें
जैसे-जैसे 1 फरवरी की तारीख करीब आ रही है, देशभर के अन्नदाताओं की निगाहें राजधानी दिल्ली की ओर टिकी हुई हैं। केंद्रीय बजट 2026 केवल आंकड़ों का लेखा-जोखा नहीं है, बल्कि यह करोड़ों किसानों के लिए उम्मीदों की एक नई किरण है। आज जब खेती की लागत आसमान छू रही है और महंगाई ने मुनाफे के अंतर को कम कर दिया है, तब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इस बार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-Kisan) की राशि में वृद्धि की जाएगी।
किसानों का तर्क है कि खेती में इस्तेमाल होने वाले खाद, बीज, कीटनाशक और विशेष रूप से डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है। इसके साथ ही सिंचाई और कृषि उपकरणों का किराया भी बढ़ गया है। ऐसे में कई किसान संगठनों और विशेषज्ञों का मानना है कि 6,000 रुपये की यह सालाना राशि अब पर्याप्त नहीं रह गई है। इस बजट में किसानों की प्रमुख मांग है कि इस सहायता को बढ़ाकर कम से कम 10,000 रुपये सालाना किया जाए।
बढ़ती लागत का बोझ: खेती के इनपुट खर्चों में लगातार हो रही बढ़ोतरी ने किसानों की बचत को प्रभावित किया है। ज्यादा मदद मिलने से वे बिना कर्ज के बोझ के अच्छी गुणवत्ता वाले कृषि उत्पादों का उपयोग कर सकेंगे।
ग्रामीण मांग में तेजी: जब किसानों के हाथ में ज्यादा पैसा होगा, तो ग्रामीण बाजारों में खरीदारी बढ़ेगी। इसका सीधा असर छोटे व्यवसायों और स्थानीय सेवाओं पर पड़ेगा, जिससे पूरी अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
कर्ज पर निर्भरता में कमी: समय पर मिलने वाली सरकारी मदद किसानों को साहूकारों या ऊंचे ब्याज वाले कर्ज से बचाने में सहायक सिद्ध होती है।
कुछ विशेषज्ञों का यह भी सुझाव है कि यदि सरकार पूरी राशि नहीं बढ़ाती, तो वह कुछ विशिष्ट श्रेणियों या विशेष रूप से पिछड़े जिलों के किसानों के लिए अतिरिक्त लाभ की घोषणा कर सकती है। इसके अलावा, डिजिटल कृषि और नए किसान आईडी (Farmer ID) के अनिवार्य होने से योजना में पारदर्शिता भी बढ़ी है, जो भविष्य में लाभ बढ़ाने का एक मजबूत आधार बन सकता है।
देश के विकास का रास्ता खेतों से होकर गुजरता है। 1 फरवरी को पेश होने वाला बजट यह तय करेगा कि सरकार कृषि संकट को दूर करने के लिए कितने बड़े कदम उठाने को तैयार है। अगर पीएम-किसान योजना की राशि में बढ़ोतरी होती है, तो यह न केवल किसानों के आत्मविश्वास को बढ़ाएगा बल्कि भारतीय कृषि को एक नई दिशा भी प्रदान करेगा।
वर्तमान स्थिति और बदलती जरूरतें
दिसंबर 2018 में शुरू की गई पीएम-किसान योजना का मुख्य उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को सीधे नकद सहायता प्रदान करना था। वर्तमान में इसके तहत पात्र किसानों को साल भर में 6,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है। यह राशि तीन बराबर किस्तों में सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जाती है। शुरुआती दौर में इस मदद ने किसानों को बीज और उर्वरक खरीदने में काफी राहत दी थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में जमीनी हालात काफी बदल गए हैं।किसानों का तर्क है कि खेती में इस्तेमाल होने वाले खाद, बीज, कीटनाशक और विशेष रूप से डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है। इसके साथ ही सिंचाई और कृषि उपकरणों का किराया भी बढ़ गया है। ऐसे में कई किसान संगठनों और विशेषज्ञों का मानना है कि 6,000 रुपये की यह सालाना राशि अब पर्याप्त नहीं रह गई है। इस बजट में किसानों की प्रमुख मांग है कि इस सहायता को बढ़ाकर कम से कम 10,000 रुपये सालाना किया जाए।
आखिर क्यों जरूरी है पीएम-किसान राशि में बढ़ोतरी?
योजना की राशि में वृद्धि केवल एक वित्तीय मदद नहीं होगी, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक "बूस्टर डोज" की तरह काम करेगी। इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं:बढ़ती लागत का बोझ: खेती के इनपुट खर्चों में लगातार हो रही बढ़ोतरी ने किसानों की बचत को प्रभावित किया है। ज्यादा मदद मिलने से वे बिना कर्ज के बोझ के अच्छी गुणवत्ता वाले कृषि उत्पादों का उपयोग कर सकेंगे।
You may also like
Kisan Mazdoor Morcha to burn effigies across Punjab on Dec 29 over MGNREGA Overhaul- Santa Claus is Coming to Crossword! Join the Ultimate Christmas Celebration at Kemps Corner and Krishna Curve on December 24th, 25th & 27th
- PM Modi backs VB-G RAM G Act, says new law links income support with long-term rural productivity
- Say Hello to 'Hello Mallows', the Single-origin Chocolate Coated & Gelatine-Free Marshmallows Packed With Unique Flavours
- 'Congress always been in tukde-tukde mood': BJP on Priyanka Gandhi as PM face
ग्रामीण मांग में तेजी: जब किसानों के हाथ में ज्यादा पैसा होगा, तो ग्रामीण बाजारों में खरीदारी बढ़ेगी। इसका सीधा असर छोटे व्यवसायों और स्थानीय सेवाओं पर पड़ेगा, जिससे पूरी अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
कर्ज पर निर्भरता में कमी: समय पर मिलने वाली सरकारी मदद किसानों को साहूकारों या ऊंचे ब्याज वाले कर्ज से बचाने में सहायक सिद्ध होती है।
क्या कहते हैं बजट के संकेत?
बजट 2026 को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। हालांकि सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन नीतिगत गलियारों में इस बात की सुगबुगाहट तेज है कि कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता दी जा सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने चुनौती यह है कि वे राजकोषीय घाटे को संतुलित रखते हुए किसानों की इन जायज मांगों को कैसे पूरा करती हैं।कुछ विशेषज्ञों का यह भी सुझाव है कि यदि सरकार पूरी राशि नहीं बढ़ाती, तो वह कुछ विशिष्ट श्रेणियों या विशेष रूप से पिछड़े जिलों के किसानों के लिए अतिरिक्त लाभ की घोषणा कर सकती है। इसके अलावा, डिजिटल कृषि और नए किसान आईडी (Farmer ID) के अनिवार्य होने से योजना में पारदर्शिता भी बढ़ी है, जो भविष्य में लाभ बढ़ाने का एक मजबूत आधार बन सकता है।
देश के विकास का रास्ता खेतों से होकर गुजरता है। 1 फरवरी को पेश होने वाला बजट यह तय करेगा कि सरकार कृषि संकट को दूर करने के लिए कितने बड़े कदम उठाने को तैयार है। अगर पीएम-किसान योजना की राशि में बढ़ोतरी होती है, तो यह न केवल किसानों के आत्मविश्वास को बढ़ाएगा बल्कि भारतीय कृषि को एक नई दिशा भी प्रदान करेगा।









