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NPS Gratuity Rules: किन सरकारी कर्मचारियों को दोबारा नहीं मिलेगी ग्रेच्युटी? सरकार ने स्थिति साफ की

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सरकारी सेवा में रहते हुए रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले लाभों में 'ग्रेच्युटी' एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। यह न केवल एक कर्मचारी की सालों की मेहनत का सम्मान है, बल्कि बुढ़ापे की आर्थिक सुरक्षा की एक मजबूत कड़ी भी है। हाल ही में नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के तहत आने वाले कर्मचारियों की ग्रेच्युटी को लेकर सरकार ने कुछ नई गाइडलाइंस और स्पष्टीकरण जारी किए हैं।
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पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा जारी एक आधिकारिक ज्ञापन में इस बात पर जोर दिया गया है कि ग्रेच्युटी को किस नजरिए से देखा जाना चाहिए और किन परिस्थितियों में कर्मचारी दोबारा इस लाभ के हकदार नहीं होंगे।

क्या है सरकार का नया रुख?



सरकार ने साफ किया है कि केंद्रीय सिविल सेवा (NPS के तहत ग्रेच्युटी का भुगतान) संशोधन नियम 2025 के नियम 4A के अनुसार, ग्रेच्युटी को 'वन-टाइम टर्मिनल बेनिफिट' यानी एक बार मिलने वाला अंतिम लाभ माना जाएगा। इसका सीधा मतलब यह है कि अगर किसी कर्मचारी ने अपनी पहली सेवानिवृत्ति (Retirement) के समय ग्रेच्युटी का लाभ उठा लिया है, तो वह दोबारा नियुक्ति की स्थिति में उस सेवा अवधि के लिए अलग से ग्रेच्युटी पाने का पात्र नहीं होगा।

यह स्पष्टीकरण उन कर्मचारियों के लिए बहुत अहम है जो रिटायरमेंट के बाद फिर से किसी सरकारी पद पर नियुक्त होते हैं। सरकार का मानना है कि ग्रेच्युटी सेवा के समापन पर दी जाने वाली एक सम्मान राशि है, जिसे बार-बार नहीं दिया जा सकता।

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इन कर्मचारियों पर लागू होगा यह नियम

नियमों के मुताबिक, यदि कोई सरकारी कर्मचारी नीचे दी गई स्थितियों में रिटायर हुआ है और उसने ग्रेच्युटी प्राप्त कर ली है, तो उसे दोबारा नौकरी मिलने पर उस कार्यकाल के लिए अलग से ग्रेच्युटी नहीं मिलेगी:
  • अधिवर्षिता (Superannuation) पर रिटायरमेंट।
  • स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति।
  • अनिवार्य सेवानिवृत्ति (Compulsory Retirement)।
  • अनुकंपा के आधार पर मिली ग्रेच्युटी (Compassionate Gratuity)।

किन मामलों में मिलेगी छूट?



हालांकि सरकार ने नियमों को सख्त किया है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में राहत भी दी गई है। अगर कोई कर्मचारी पहले किसी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) या स्वायत्त निकाय (Autonomous Body) में कार्यरत था और वहां से उचित अनुमति लेकर सरकारी सेवा में शामिल हुआ, तो उसे सरकारी सेवा के लिए ग्रेच्युटी मिल सकती है।

लेकिन यहाँ भी एक पेंच है। कर्मचारी को मिलने वाली कुल ग्रेच्युटी (PSU और सरकारी सेवा दोनों मिलाकर) उस अधिकतम सीमा से ज्यादा नहीं हो सकती, जो उसे तब मिलती जब वह पूरी सेवा केवल केंद्र सरकार के अधीन करता। यानी कुल राशि पर एक 'कैप' या सीमा निर्धारित कर दी गई है।


राज्य और केंद्र सरकार की सेवा का तालमेल

अक्सर देखा गया है कि कई कर्मचारी पहले राज्य सरकार में काम करते हैं और बाद में केंद्र सरकार की सेवाओं में आ जाते हैं। ऐसे मामलों में भी सरकार ने स्पष्ट किया है कि दोनों सेवाओं की ग्रेच्युटी मिलाकर उस राशि से अधिक नहीं होनी चाहिए जो कर्मचारी को उसकी आखिरी सैलरी के आधार पर निरंतर सेवा की स्थिति में मिलती।

पूर्व सैनिकों के लिए अच्छी खबर

इस पूरे स्पष्टीकरण में पूर्व सैनिकों के लिए एक राहत भरी बात कही गई है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई पूर्व सैनिक अपनी सैन्य सेवा के बाद किसी सिविल (नागरिक) पद पर दोबारा नियुक्त होता है, तो उसे सिविल सेवा के लिए मिलने वाली ग्रेच्युटी पर सैन्य सेवा के दौरान मिली ग्रेच्युटी का कोई असर नहीं पड़ेगा। यानी उन्हें उनकी नागरिक सेवा के लिए अलग से ग्रेच्युटी का लाभ मिल सकेगा।



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