Success Story: चायवाले के बेटे ने किया कमाल बिना कोचिंग के तीनों बार क्रैक की परीक्षा, और बन गया IAS अधिकारी
आइए जानते है एक ऐसे वयक्ति की कहानी जिसने कुछ ऐसा कर दिखाया जो हम जैसे आम आदमी के लिए करना मुमकिन नहीं लगता तो चलिए जानते है IAS हिमांशु गुप्ता की सफलता की कहानी, गरीबी से IAS तक का संघर्षपूर्ण सफर
उत्तराखंड के सितारगंज छोटे से कस्बे से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु ने सिद्ध कर दिया कि दृढ़ संकल्प और अथक परिश्रम के आगे आर्थिक अभाव या कोई बाधा टिक नहीं सकती। उनकी यह यात्रा न सिर्फ व्यक्तिगत विजय की मिसाल है, बल्कि उन सभी के लिए संदेश है जो सपनों को हकीकत में बदलने का जज्बा रखते हैं।
हिमांशु का प्रारंभिक जीवन गरीबी की कठोर पड़ताल से गुजरा। उनके पिता सड़क किनारे चाय की छोटी-सी दुकान चलाकर परिवार का पालन-पोषण करते थे, जिसके कारण घर में हमेशा आर्थिक संकट का साया मंडराता रहता। परिवार को कई बार भुखमरी जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा, लेकिन हिमांशु का पढ़ाई के प्रति जुनून कभी कम न हुआ। उन्होंने हर मुश्किल को चुनौती के रूप में स्वीकार किया और आगे बढ़ते रहे।
बचपन में स्कूल पहुंचना उनके लिए सबसे बड़ी परीक्षा था। एक दौर ऐसा आया जब हिमांशु को रोजाना 70 किलोमीटर लंबी दूरी पैदल तय करनी पड़ती थी, ताकि पढ़ाई जारी रख सकें। थकान और भूख की परवाह किए बिना, उन्होंने कभी किताबों से मुंह न मोड़ा। यह दृढ़ता ही थी जिसने उनके भविष्य की नींव मजबूत की।
दिल्ली विश्वविद्यर्सिटी के प्रतिष्ठित हिंदू कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद, उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। यूपीएससी की तैयारी के दौरान भी आर्थिक दबाव कम न हुआ, इसलिए हिमांशु ने एक सरकारी कॉलेज में रिसर्च स्कॉलर के तौर पर काम किया, ताकि परिवार का बोझ कम हो सके।
सपनों को साकार करने का फैसला लेते हुए, हिमांशु ने कोचिंग क्लासेस पर निर्भर न रहकर पूरी तरह सेल्फ-स्टडी पर भरोसा जताया। उनकी यह स्मार्ट रणनीति कारगर साबित हुई। बिना किसी बाहरी सहायता के, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा को तीन बार लगातार पास किया – एक ऐसा रिकॉर्ड जो आज भी प्रेरित करता है।
हिमांशु गुप्ता की यह प्रेरक गाथा साबित करती है कि सफलता का असली मंत्र मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास है। चाहे कितनी ही रुकावटें क्यों न आएं – गरीबी, दूरी या संसाधनों की कमी – सच्ची लगन से सब कुछ संभव है। अगर आप भी UPSC की तैयारी कर रहे हैं, तो यह कहानी आपको नई ऊर्जा देगी। हिमांशु जैसे लाखों युवा साबित कर चुके हैं कि सपने छोटे-बड़े नहीं, बल्कि उन्हें पूरा करने वाले हौसले बड़े होते हैं।
उत्तराखंड के सितारगंज छोटे से कस्बे से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु ने सिद्ध कर दिया कि दृढ़ संकल्प और अथक परिश्रम के आगे आर्थिक अभाव या कोई बाधा टिक नहीं सकती। उनकी यह यात्रा न सिर्फ व्यक्तिगत विजय की मिसाल है, बल्कि उन सभी के लिए संदेश है जो सपनों को हकीकत में बदलने का जज्बा रखते हैं।
हिमांशु का प्रारंभिक जीवन गरीबी की कठोर पड़ताल से गुजरा। उनके पिता सड़क किनारे चाय की छोटी-सी दुकान चलाकर परिवार का पालन-पोषण करते थे, जिसके कारण घर में हमेशा आर्थिक संकट का साया मंडराता रहता। परिवार को कई बार भुखमरी जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा, लेकिन हिमांशु का पढ़ाई के प्रति जुनून कभी कम न हुआ। उन्होंने हर मुश्किल को चुनौती के रूप में स्वीकार किया और आगे बढ़ते रहे।
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बचपन में स्कूल पहुंचना उनके लिए सबसे बड़ी परीक्षा था। एक दौर ऐसा आया जब हिमांशु को रोजाना 70 किलोमीटर लंबी दूरी पैदल तय करनी पड़ती थी, ताकि पढ़ाई जारी रख सकें। थकान और भूख की परवाह किए बिना, उन्होंने कभी किताबों से मुंह न मोड़ा। यह दृढ़ता ही थी जिसने उनके भविष्य की नींव मजबूत की।
दिल्ली विश्वविद्यर्सिटी के प्रतिष्ठित हिंदू कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद, उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। यूपीएससी की तैयारी के दौरान भी आर्थिक दबाव कम न हुआ, इसलिए हिमांशु ने एक सरकारी कॉलेज में रिसर्च स्कॉलर के तौर पर काम किया, ताकि परिवार का बोझ कम हो सके।
सपनों को साकार करने का फैसला लेते हुए, हिमांशु ने कोचिंग क्लासेस पर निर्भर न रहकर पूरी तरह सेल्फ-स्टडी पर भरोसा जताया। उनकी यह स्मार्ट रणनीति कारगर साबित हुई। बिना किसी बाहरी सहायता के, उन्होंने यूपीएससी परीक्षा को तीन बार लगातार पास किया – एक ऐसा रिकॉर्ड जो आज भी प्रेरित करता है।
- पहला प्रयास: रेलवे ट्रैफिक सर्विस (IRTS) में चयन, जहां उन्होंने सेवा की शुरुआत की।
- दूसरा प्रयास: इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) में सफलता, जो उनके समर्पण का प्रमाण था।
- तीसरा प्रयास (2020): ऑल इंडिया रैंक (AIR) 139 हासिल कर IAS अधिकारी बनने का सपना साकार किया।
हिमांशु गुप्ता की यह प्रेरक गाथा साबित करती है कि सफलता का असली मंत्र मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास है। चाहे कितनी ही रुकावटें क्यों न आएं – गरीबी, दूरी या संसाधनों की कमी – सच्ची लगन से सब कुछ संभव है। अगर आप भी UPSC की तैयारी कर रहे हैं, तो यह कहानी आपको नई ऊर्जा देगी। हिमांशु जैसे लाखों युवा साबित कर चुके हैं कि सपने छोटे-बड़े नहीं, बल्कि उन्हें पूरा करने वाले हौसले बड़े होते हैं।