किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, बिना जमीन दस्तावेज के अब योजना का लाभ
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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan) के तहत अब तक केवल उन्हीं किसानों को लाभ मिलता था जिनके पास ज़मीन के मालिकाना हक के कागज़ात थे। लेकिन सीमावर्ती इलाकों में बड़ी संख्या में किसान वर्षों से खेती कर रहे हैं, फिर भी दस्तावेज़ों के अभाव में योजना से वंचित रह जाते थे। अब कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि ऐसे किसानों को भी योजना का लाभ मिलेगा, यदि उनकी पहचान राज्य सरकार सत्यापित कर देती है।
अब तक, पीएम किसान योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों के पास उनकी जमीन के वैध मालिकाना हक के दस्तावेज होना अनिवार्य था। इस शर्त की वजह से सीमावर्ती क्षेत्रों के कई किसान, जो पीढ़ियों से खेती कर रहे हैं, इस योजना से बाहर थे। अब सरकार ने इस नियम में ढील दी है। कृषि मंत्रालय जल्द ही राज्य सरकारों को इस संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश भेजेगा, जिसके तहत राज्य सरकारें इन किसानों की पहचान प्रमाणित करेंगी। एक बार राज्य सरकार द्वारा पहचान सत्यापित होने के बाद, इन किसानों को भी योजना का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा:
"सीमावर्ती क्षेत्रों में कई किसान वर्षों से खेती कर रहे हैं, लेकिन उनके पास खेत का स्वामित्व नहीं है। मेरा राज्य सरकार से अनुरोध है कि ऐसे किसानों को प्रमाणित किया जाए, ताकि उन्हें भी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ मिल सके।"
यह निर्णय जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, असम, नागालैंड और मणिपुर जैसे सीमावर्ती राज्यों के किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य देश के छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक मदद पहुंचाना है। इस योजना के तहत पात्र किसानों को हर साल ₹6,000 की आर्थिक सहायता तीन समान किस्तों में सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जाती है। अब तक 12 करोड़ से ज्यादा किसानों को ₹2.80 लाख करोड़ से अधिक की राशि डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण) के माध्यम से भेजी जा चुकी है।
सीमावर्ती किसानों की पुरानी मांग पूरी होगी।
दस्तावेज़ न होने पर भी किसानों को योजना का लाभ मिलेगा।
राज्य सरकारों की ज़िम्मेदारी बढ़ेगी कि वे सही पहचान सुनिश्चित करें।
योजना की पहुंच और प्रभाव और बढ़ेगा।
योजना का लाभ बिना किसी रुकावट के पाने के लिए ई-केवाईसी (e-KYC) अनिवार्य है। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि वित्तीय सहायता सीधे सही लाभार्थी तक पहुंचे और किसी भी तरह की धोखाधड़ी न हो। जिन किसानों ने अभी तक ई-केवाईसी नहीं कराई है, उनकी किस्तें रोकी जा सकती हैं।
ऑनलाइन प्रक्रिया: किसान pmkisan.gov.in पर जाकर e-KYC लिंक पर क्लिक करके अपना आधार नंबर और ओटीपी डालकर सत्यापन कर सकते हैं।
सीएससी केंद्र: जिन किसानों के पास इंटरनेट या आधार से लिंक मोबाइल नंबर नहीं है, वे अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर जाकर बायोमेट्रिक सत्यापन के जरिए ई-केवाईसी करवा सकते हैं।
नई व्यवस्था का विवरण
अब तक, पीएम किसान योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों के पास उनकी जमीन के वैध मालिकाना हक के दस्तावेज होना अनिवार्य था। इस शर्त की वजह से सीमावर्ती क्षेत्रों के कई किसान, जो पीढ़ियों से खेती कर रहे हैं, इस योजना से बाहर थे। अब सरकार ने इस नियम में ढील दी है। कृषि मंत्रालय जल्द ही राज्य सरकारों को इस संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश भेजेगा, जिसके तहत राज्य सरकारें इन किसानों की पहचान प्रमाणित करेंगी। एक बार राज्य सरकार द्वारा पहचान सत्यापित होने के बाद, इन किसानों को भी योजना का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।
कृषि मंत्री का बयान
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा:
"सीमावर्ती क्षेत्रों में कई किसान वर्षों से खेती कर रहे हैं, लेकिन उनके पास खेत का स्वामित्व नहीं है। मेरा राज्य सरकार से अनुरोध है कि ऐसे किसानों को प्रमाणित किया जाए, ताकि उन्हें भी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ मिल सके।"
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किन राज्यों को होगा फायदा?
यह निर्णय जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, असम, नागालैंड और मणिपुर जैसे सीमावर्ती राज्यों के किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा।
पीएम किसान योजना: एक संक्षिप्त परिचय
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य देश के छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक मदद पहुंचाना है। इस योजना के तहत पात्र किसानों को हर साल ₹6,000 की आर्थिक सहायता तीन समान किस्तों में सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जाती है। अब तक 12 करोड़ से ज्यादा किसानों को ₹2.80 लाख करोड़ से अधिक की राशि डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण) के माध्यम से भेजी जा चुकी है।
नए फैसले से क्या होंगे लाभ?
सीमावर्ती किसानों की पुरानी मांग पूरी होगी।
दस्तावेज़ न होने पर भी किसानों को योजना का लाभ मिलेगा।
राज्य सरकारों की ज़िम्मेदारी बढ़ेगी कि वे सही पहचान सुनिश्चित करें।
योजना की पहुंच और प्रभाव और बढ़ेगा।
ई-केवाईसी क्यों है ज़रूरी?
योजना का लाभ बिना किसी रुकावट के पाने के लिए ई-केवाईसी (e-KYC) अनिवार्य है। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि वित्तीय सहायता सीधे सही लाभार्थी तक पहुंचे और किसी भी तरह की धोखाधड़ी न हो। जिन किसानों ने अभी तक ई-केवाईसी नहीं कराई है, उनकी किस्तें रोकी जा सकती हैं।
ऑनलाइन प्रक्रिया: किसान pmkisan.gov.in पर जाकर e-KYC लिंक पर क्लिक करके अपना आधार नंबर और ओटीपी डालकर सत्यापन कर सकते हैं।
सीएससी केंद्र: जिन किसानों के पास इंटरनेट या आधार से लिंक मोबाइल नंबर नहीं है, वे अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर जाकर बायोमेट्रिक सत्यापन के जरिए ई-केवाईसी करवा सकते हैं।