सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की वर्चुअल पेशी की अर्जी, सचिवों की फिजिकल उपस्थिति अनिवार्य

देश में आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाल ही में कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की उस अपील को नामंजूर कर दिया, जिसमें मुख्य सचिवों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेश होने की अनुमति मांगी गई थी। कोर्ट का कहना है कि आदेशों का पालन न करने से न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठते हैं। जस्टिस नाथ ने टिप्पणी की, ‘जब हम उनसे अनुपालन हलफनामा दाखिल करने के लिए कहते हैं तो वे बस, इस पर चुप्पी साधे रहते हैं। अदालत के आदेश के प्रति कोई सम्मान नहीं। तो ठीक है, उन्हें आने दीजिए।’ यह फैसला आवारा कुत्तों के नियंत्रण और पशु कल्याण के मुद्दे पर कोर्ट की गंभीरता को दर्शाता है।
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कोर्ट की नाराजगी का कारण: हलफनामे में देरी


सुप्रीम कोर्ट ने उन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर गुस्सा निकाला, जो आवारा कुत्तों के मामले में जरूरी हलफनामा समय पर जमा नहीं कर पाए। कोर्ट का मानना है कि ऐसी लापरवाही से न सिर्फ घरेलू स्तर पर परेशानी बढ़ रही है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय छवि भी प्रभावित हो रही है। सोमवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर बाकी सभी जगहों के मुख्य सचिवों को 3 नवंबर तक अदालत में मौजूद रहने का सख्त निर्देश दिया। साथ ही, यह भी स्पष्ट करने को कहा कि 22 अगस्त के आदेश के बावजूद हलफनामा क्यों नहीं सौंपा गया। इससे पहले गुरुवार को बिहार सरकार की उस मांग को भी खारिज कर दिया गया था, जिसमें विधानसभा चुनाव के बहाने मुख्य सचिव को छूट मांगी गई थी। बेंच ने बिहार के वकील से कहा, 'निर्वाचन आयोग इसका ध्यान रखेगा। चिंता न करें। मुख्य सचिव को आने दीजिए।'

कोर्ट के मूल आदेश का विस्तार


22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मुद्दे को दिल्ली-एनसीआर से पूरे देश तक फैला दिया था। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में शामिल करने का फैसला लिया। नगर निगमों को हिदायत दी गई कि वे अपने शपथपत्र में संसाधनों का पूरा ब्योरा दें, जैसे पशु चिकित्सकों की संख्या, कुत्तों को पकड़ने वाले स्टाफ, खास वाहन और पिंजरे। इससे पशु जन्म नियंत्रण के नियमों का पालन कैसे हो रहा है, यह साफ हो सकेगा। कोर्ट ने जोर दिया कि एबीसी नियम पूरे भारत में एकसमान तरीके से लागू होने चाहिए। इसलिए, हर राज्य को इस प्रक्रिया का हिस्सा बनना होगा। यह कदम आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने और जन स्वास्थ्य की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।