अहमदाबाद विमान हादसे की जांच पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र और DGCA को नोटिस

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अहमदाबाद में हुए दर्दनाक एअर इंडिया विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। इस हादसे में पायलट और को-पायलट समेत कई लोगों की जान चली गई थी। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ी सुनवाई की है। हादसे में मारे गए पायलट के पिता ने स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और DGCA को नोटिस जारी किया है और पायलट के पिता को दिलासा दी है कि उनके बेटे को दुर्घटना के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है।
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सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी: पायलट दोषी नहीं


पायलट कैप्टन सुमीत सभरवाल के 91 वर्षीय पिता पुष्कराज सभरवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने साफ कहा कि पायलट को इस हादसे के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है। कोर्ट ने पिता से कहा, "आपको खुद पर बोझ नहीं लेना चाहिए। पायलट को इस हादसे के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है। यह एक दुर्घटना थी। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में भी उनके खिलाफ कोई संकेत नहीं है।" यह टिप्पणी उन खबरों के बाद आई है, जिनमें पायलट पर आरोप लगाने की कोशिश की गई थी।

केंद्र सरकार और DGCA को नोटिस


सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। पायलट के पिता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण ने दलील दी कि एक अमेरिकी अखबार में प्रकाशित खबर में पायलट पर आरोप लगाने की कोशिश की गई थी, जिस पर अदालत ने उसे 'भारत को बदनाम करने वाली' खबर बताया।

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AAIB रिपोर्ट में पायलट को नहीं बताया गया दोषी


अदालत ने विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की प्रारंभिक रिपोर्ट का हवाला दिया, जो 12 जुलाई को आई थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट में कहीं भी पायलट को दोषी नहीं बताया गया है। रिपोर्ट में केवल दोनों पायलटों के बीच हुई बातचीत का जिक्र है। पीठ ने कहा, "एएआईबी का काम किसी को दोषी ठहराना नहीं बल्कि भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के उपाय सुझाना है। जरूरत पड़ी तो हम यह स्पष्ट कर देंगे कि पायलट को दोषी नहीं माना जा सकता।" इस मामले की अगली सुनवाई अब 10 नवंबर को होगी।

स्वतंत्र जांच की मांग


पिछले महीने, पुष्कराज सभरवाल और फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस हादसे की जांच पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में कराने की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि "अधूरी या पक्षपाती जांच न केवल इस हादसे के असली कारणों को छिपाएगी, बल्कि भविष्य के यात्रियों की जान को भी खतरे में डालेगी। यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिलने वाले जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।" याचिका में केंद्र सरकार, DGCA और AAIB को पक्षकार बनाया गया है और एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग की गई है, जिसमें तकनीकी और विमानन विशेषज्ञ भी शामिल हों।


हादसे का विवरण


याचिका के अनुसार, विमान का आपातकालीन लोकेटर ट्रांसमीटर (ELT) भी सक्रिय नहीं हुआ था। यह भीषण हादसा 12 जून को हुआ था, जब एअर इंडिया की उड़ान संख्या एआई-171 अहमदाबाद से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट जा रही थी। अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद विमान दुर्घटना का शिकार हो गया था। इस हादसे के दौरान विमान में कुल 241 लोग (229 यात्री, 12 क्रू सदस्य) सवार थे। दुखद रूप से, इस दुर्घटना में पायलट-इन-कमांड कैप्टन सुमीत सभरवाल और को-पायलट कैप्टन क्लाइव कुंदर समेत कुल 261 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें 241 यात्री और क्रू सदस्य के साथ-साथ जमीन पर मौजूद 19 अन्य लोग भी मारे गए थे। हालांकि, चमत्कारिक रूप से विमान में सवार एक यात्री बच गया था।


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