बैंकिंग क्षेत्र में बड़ा बदलाव: 2027 तक सिर्फ SBI, PNB, BoB समेत 4 सरकारी बैंक बचेंगे, जानें ग्राहकों पर इसका असर
'कम मगर मज़बूत' बैंकों का लक्ष्य
यह कोई पहली बार नहीं है जब सरकार बैंकिंग क्षेत्र में इस तरह का बड़ा कदम उठा रही है. 2017 से 2020 के बीच भी सरकार ने बड़े विलय किए थे, जिसके परिणामस्वरूप सरकारी बैंकों की संख्या 27 से घटकर 12 रह गई थी. अब, अगला लक्ष्य है इन 12 बैंकों को मिलाकर सिर्फ़ 4 विशालकाय बैंकिंग संस्थान बनाना, जो देश की बढ़ती आर्थिक ज़रूरतों को पूरा कर सकें और वैश्विक बाज़ार में बड़े खिलाड़ियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो सकें.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस बात का कई बार संकेत दिया है कि देश को बहुत सारे बड़े, विश्वस्तरीय बैंकों की ज़रूरत है. यह विचार पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा प्रस्तावित 'कम लेकिन मज़बूत बैंक' (Fewer but Stronger Banks) की अवधारणा पर आधारित है.
कौन से 4 बड़े बैंक रह सकते हैं?
योजना के तहत, अंतिम चार इकाइयाँ जो भारतीय बैंकिंग परिदृश्य में प्रमुखता से बनी रहेंगी, वे निम्नलिखित हो सकती हैं:
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI)
- पंजाब नेशनल बैंक (PNB)
- बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB)
- केनरा बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का नया एकीकृत बैंक (या इस तरह का कोई बड़ा विलय)
इस योजना में छोटे और मध्यम आकार के सरकारी बैंकों जैसे इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI), बैंक ऑफ इंडिया (BoI), बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BoM), यूको बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक को इन चार बड़े बैंकों में समाहित करने की तैयारी की जा रही है.
विलय के पीछे का कारण क्या है?
सरकार का मानना है कि इस तरह के मेगा मर्जर से कई फायदे होंगे:
- बढ़ती पूंजी: बड़े बैंकों के पास पूंजी का आधार मज़बूत होगा, जिससे उनकी ऋण देने की क्षमता बढ़ेगी और वे बड़ी परियोजनाओं को फाइनेंस कर पाएंगे.
- घटता NPA: विलय से छोटे बैंकों के बढ़ते गैर-निष्पादित परिसंपत्तियाँ (NPA) बड़े बैंकों की बैलेंस शीट में समाहित होकर कम हो जाएँगी.
- बेहतर दक्षता: एकीकरण से शाखा नेटवर्क का अनुकूलन होगा, परिचालन लागत कम होगी और पूरे बैंकिंग सिस्टम की दक्षता सुधरेगी.
- विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धा: विलय के बाद बनने वाले बड़े बैंक आकार में इतने बड़े होंगे कि वे वैश्विक स्तर पर अन्य बड़े बैंकों के साथ प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे.
ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा?
बैंक विलय की ख़बरें सुनते ही ग्राहकों के मन में सबसे पहला सवाल आता है कि उनके खातों का क्या होगा.
- खातों पर असर: ग्राहकों के खाते सुरक्षित रहेंगे, लेकिन विलय के बाद उन्हें नई पासबुक, नई चेकबुक और संभवतः एक नया खाता संख्या (Account Number) या ग्राहक आईडी (Customer ID) मिल सकती है.
- IFSC कोड: सबसे महत्वपूर्ण बदलाव IFSC (इंडियन फाइनेंशियल सिस्टम कोड) में आएगा. पुराने बैंकों के IFSC कोड अमान्य हो जाएंगे, जिससे ऑनलाइन लेन देन में दिक्कत आ सकती है. ग्राहकों को नए IFSC कोड का उपयोग करना शुरू करना होगा.
- सेवाएँ: विलय के बाद नए बैंक का टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म और नीतियाँ लागू होंगी, जिससे कुछ नियम जैसे न्यूनतम बैलेंस, ब्याज दरें या सेवा शुल्क बदल सकते हैं.
- सुविधा: लंबी अवधि में, ग्राहकों को एक बड़े और तकनीकी रूप से उन्नत बैंक की बेहतर और व्यापक सेवाओं का लाभ मिलने की उम्मीद है.
हालांकि, ग्राहकों को इन बदलावों के लिए पर्याप्त समय और सूचना दी जाएगी ताकि परिवर्तन की प्रक्रिया सुचारू रूप से पूरी हो सके. यह मेगा मर्जर भारतीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र के लिए एक नई दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है.