अमृतसर जैसा ही राजस्थान का ये शहर भी है गोल्डन सिटी, नजारा देख रह जाएंगे दंग
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भारत में कई शहर अपने अनोखे नाम और खूबसूरती के लिए मशहूर हैं। आमतौर पर जब “गोल्डन सिटी” का नाम आता है तो लोग अमृतसर को याद करते हैं, लेकिन राजस्थान का एक शहर भी इसी नाम से दुनियाभर में पहचान रखता है — जैसलमेर। थार रेगिस्तान के बीच बसा यह शहर अपने सुनहरे नज़ारे, ऐतिहासिक किले और अनूठी संस्कृति के लिए मशहूर है।
बलुआ पत्थर पर बसा सुनहरा शहर
जैसलमेर पीले रंग के बलुआ पत्थर के एक ऊंचे टीले पर बसा है। यहां का जैसलमेर किला, खूबसूरत हवेलियां और जैन मंदिर वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण हैं। यह शहर 1156 ईस्वी में भाटी राजपूत शासक राव जैसल ने बसाया था, और इसी वजह से इसका नाम “जैसलमेर” पड़ा, जिसका अर्थ है — जैसल का पहाड़ी किला।
क्यों कहते हैं ‘गोल्डन सिटी’?
थार रेगिस्तान में फैली पीली रेत और शहर की इमारतों में इस्तेमाल हुआ पीला बलुआ पत्थर, जैसलमेर को एक अलग ही पहचान देता है। जब सूरज की किरणें इन पर पड़ती हैं, तो पूरा शहर सुनहरे रंग में चमक उठता है। यही वजह है कि इसे गोल्डन सिटी कहा जाता है।
सूरज की रोशनी का जादू
सुबह और शाम के समय यहां का नज़ारा सबसे खास होता है। दिन में किले और हवेलियों की दीवारें सुनहरी दिखती हैं, जबकि डूबते सूरज के समय ये नारंगी और सुनहरे रंग में बदल जाती हैं। यह दृश्य फोटोग्राफरों और पर्यटकों के लिए किसी सपने से कम नहीं।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर
जैसलमेर न सिर्फ खूबसूरत है, बल्कि इतिहास का गवाह भी है। जैसलमेर किला, जिसे त्रिकूट गढ़ भी कहते हैं, कई युद्धों और कहानियों का हिस्सा रहा है। यहां की हवेलियां जैसे पटवों की हवेली, नाथमल की हवेली और सालिम सिंह की हवेली अपने नक्काशीदार झरोखों के लिए मशहूर हैं।
जैसलमेर के और नाम
गोल्डन सिटी के अलावा जैसलमेर को हवेलियों का शहर, झरोखों की नगरी, म्यूजियम सिटी और पीले पत्थरों का शहर भी कहा जाता है। यहां की लोक संस्कृति, नृत्य, संगीत और ऊंट की सवारी पर्यटकों को खास अनुभव देते हैं।
बलुआ पत्थर पर बसा सुनहरा शहर
जैसलमेर पीले रंग के बलुआ पत्थर के एक ऊंचे टीले पर बसा है। यहां का जैसलमेर किला, खूबसूरत हवेलियां और जैन मंदिर वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण हैं। यह शहर 1156 ईस्वी में भाटी राजपूत शासक राव जैसल ने बसाया था, और इसी वजह से इसका नाम “जैसलमेर” पड़ा, जिसका अर्थ है — जैसल का पहाड़ी किला।
क्यों कहते हैं ‘गोल्डन सिटी’?
थार रेगिस्तान में फैली पीली रेत और शहर की इमारतों में इस्तेमाल हुआ पीला बलुआ पत्थर, जैसलमेर को एक अलग ही पहचान देता है। जब सूरज की किरणें इन पर पड़ती हैं, तो पूरा शहर सुनहरे रंग में चमक उठता है। यही वजह है कि इसे गोल्डन सिटी कहा जाता है।
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सूरज की रोशनी का जादू
सुबह और शाम के समय यहां का नज़ारा सबसे खास होता है। दिन में किले और हवेलियों की दीवारें सुनहरी दिखती हैं, जबकि डूबते सूरज के समय ये नारंगी और सुनहरे रंग में बदल जाती हैं। यह दृश्य फोटोग्राफरों और पर्यटकों के लिए किसी सपने से कम नहीं।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर
जैसलमेर न सिर्फ खूबसूरत है, बल्कि इतिहास का गवाह भी है। जैसलमेर किला, जिसे त्रिकूट गढ़ भी कहते हैं, कई युद्धों और कहानियों का हिस्सा रहा है। यहां की हवेलियां जैसे पटवों की हवेली, नाथमल की हवेली और सालिम सिंह की हवेली अपने नक्काशीदार झरोखों के लिए मशहूर हैं।
जैसलमेर के और नाम
गोल्डन सिटी के अलावा जैसलमेर को हवेलियों का शहर, झरोखों की नगरी, म्यूजियम सिटी और पीले पत्थरों का शहर भी कहा जाता है। यहां की लोक संस्कृति, नृत्य, संगीत और ऊंट की सवारी पर्यटकों को खास अनुभव देते हैं।