दिवाली पर जलाएं संस्कारों का दीप, बच्चों को बताए जीवन की 5 अनमोल बातें
दिवाली का त्योहार खुशियों, उमंग और एकता का प्रतीक है। यह वह समय है जब परिवार एक साथ आता है, घर सजाए जाते हैं, और माँ लक्ष्मी की आराधना की जाती है। लेकिन इस उत्सव का असली अर्थ सिर्फ दीप जलाना नहीं, बल्कि बच्चों को जीवन के सही मूल्य सिखाना भी है। आज के दौर में जब बच्चों की परवरिश डिजिटल दुनिया के बीच हो रही है, तब उन्हें भारतीय संस्कृति के संस्कारों से जोड़ना और भी ज़रूरी हो जाता है।
दान और साझा करने का संस्कार
दिवाली के समय ज़रूरतमंदों की मदद करना या मिठाइयाँ बाँटना बच्चों में करुणा और मानवता की भावना जगाता है। उन्हें बताएं कि असली खुशी दूसरों की मदद में है।
बड़े-बुजुर्गों का सम्मान और आशीर्वाद
दिवाली के दिन हम अपने बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं। यह एक बहुत ही सुंदर परंपरा है जो बच्चों को सिखाती है कि हमारे बड़े-बुजुर्ग हमारे परिवार की नींव हैं। उनके अनुभव और ज्ञान से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। बच्चों को बताएं कि उनका सम्मान करना, उनकी बातें ध्यान से सुनना और उनकी मदद करना कितना ज़रूरी है। जब बच्चे बड़ों का आदर करते हैं, तो उन्हें बदले में ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद मिलता है, जो उनके भविष्य के लिए बहुत मायने रखता है।
सच्चाई और सरलता का संस्कार
दिवाली माँ लक्ष्मी का स्वागत करने का पर्व है, लेकिन असली लक्ष्मी मेहनत, ईमानदारी और सादगी में बसती है। बच्चों को यह सिखाना जरूरी है कि सच्चे कर्म और साफ नीयत से ही जीवन में उजाला आता है।
एकजुटता और प्रेम का संदेश
दिवाली पर पूरा परिवार एक साथ आता है। यह बच्चों को रिश्तों का महत्व समझाने का सबसे अच्छा समय है। उन्हें बताएं कि परिवार के सभी सदस्य चाहे वे मामा-मामी हों, दादा-दादी हों या रिश्तेदार हों, एक-दूसरे के साथ मिलकर त्योहार मनाना कितना खास होता है। रिश्तों में प्यार, समझौता और एकजुटता ही हमें खुशी देती है। बच्चों को दूसरों के साथ मिलकर काम करना और सबके साथ प्रेम से रहना सिखाएं, ताकि वे एक सामाजिक और मिलनसार व्यक्ति बनें।
आजकल पर्यावरण की सुरक्षा बहुत ज़रूरी है। दिवाली पर पटाखों का कम से कम इस्तेमाल करने और ध्वनि व वायु प्रदूषण से बचने के बारे में बच्चों को समझाएं। उन्हें बताएं कि दीपक और दीये जलाना पर्यावरण के लिए ज़्यादा अच्छा है। पेड़-पौधों का महत्व बताएं और उन्हें सिखाएं कि हमें अपने आसपास की सफाई का ध्यान कैसे रखना चाहिए। इससे बच्चे प्रकृति से जुड़ेंगे और पर्यावरण को बचाने में अपनी भूमिका समझेंगे।
दान और साझा करने का संस्कार
दिवाली के समय ज़रूरतमंदों की मदद करना या मिठाइयाँ बाँटना बच्चों में करुणा और मानवता की भावना जगाता है। उन्हें बताएं कि असली खुशी दूसरों की मदद में है।
बड़े-बुजुर्गों का सम्मान और आशीर्वाद
दिवाली के दिन हम अपने बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं। यह एक बहुत ही सुंदर परंपरा है जो बच्चों को सिखाती है कि हमारे बड़े-बुजुर्ग हमारे परिवार की नींव हैं। उनके अनुभव और ज्ञान से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। बच्चों को बताएं कि उनका सम्मान करना, उनकी बातें ध्यान से सुनना और उनकी मदद करना कितना ज़रूरी है। जब बच्चे बड़ों का आदर करते हैं, तो उन्हें बदले में ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद मिलता है, जो उनके भविष्य के लिए बहुत मायने रखता है।
सच्चाई और सरलता का संस्कार
दिवाली माँ लक्ष्मी का स्वागत करने का पर्व है, लेकिन असली लक्ष्मी मेहनत, ईमानदारी और सादगी में बसती है। बच्चों को यह सिखाना जरूरी है कि सच्चे कर्म और साफ नीयत से ही जीवन में उजाला आता है।
एकजुटता और प्रेम का संदेश
दिवाली पर पूरा परिवार एक साथ आता है। यह बच्चों को रिश्तों का महत्व समझाने का सबसे अच्छा समय है। उन्हें बताएं कि परिवार के सभी सदस्य चाहे वे मामा-मामी हों, दादा-दादी हों या रिश्तेदार हों, एक-दूसरे के साथ मिलकर त्योहार मनाना कितना खास होता है। रिश्तों में प्यार, समझौता और एकजुटता ही हमें खुशी देती है। बच्चों को दूसरों के साथ मिलकर काम करना और सबके साथ प्रेम से रहना सिखाएं, ताकि वे एक सामाजिक और मिलनसार व्यक्ति बनें।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता
आजकल पर्यावरण की सुरक्षा बहुत ज़रूरी है। दिवाली पर पटाखों का कम से कम इस्तेमाल करने और ध्वनि व वायु प्रदूषण से बचने के बारे में बच्चों को समझाएं। उन्हें बताएं कि दीपक और दीये जलाना पर्यावरण के लिए ज़्यादा अच्छा है। पेड़-पौधों का महत्व बताएं और उन्हें सिखाएं कि हमें अपने आसपास की सफाई का ध्यान कैसे रखना चाहिए। इससे बच्चे प्रकृति से जुड़ेंगे और पर्यावरण को बचाने में अपनी भूमिका समझेंगे।
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