पहाड़ों का मज़ा लिया होगा, पर क्या आप जानते हैं Mountain और Hill में फर्क?
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भारत प्राकृतिक खूबसूरती से भरा हुआ देश है। यहां आपको ऊंचे-ऊंचे पहाड़, हरी-भरी पहाड़ियां और खूबसूरत वादियां देखने को मिलेंगी। छुट्टियों में लोग अक्सर शिमला, मनाली या उत्तराखंड की वादियों का रुख करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिसे हम पहाड़ कहते हैं, वो सच में Mountain है या सिर्फ एक Hill? जी हां, Mountain और Hill अलग-अलग होते हैं और इन दोनों में कई रोचक फर्क छिपे हैं।
ऊंचाई का अंतर
सबसे बड़ा और मुख्य फर्क ऊंचाई का है। पहाड़ (Mountain) आमतौर पर समुद्र तल से 1,000 से 2,000 फीट (लगभग 300 से 600 मीटर) से ज्यादा ऊंचाई पर होते हैं। कुछ परिभाषाओं में पहाड़ों की ऊंचाई 2,000 फीट से भी ज्यादा बताई जाती है। इनकी चोटियां नुकीली होती हैं और अक्सर बर्फ से ढकी रहती हैं, खासकर हिमालय जैसे ऊंचे पर्वतों में।
वहीं, पहाड़ियां (Hills) 1,000 फीट (लगभग 300 मीटर) से कम ऊंचाई पर होती हैं। इनकी चोटियां बहुत नुकीली नहीं होतीं और ये देखने में अपेक्षाकृत कोमल लगती हैं।
ढलान और बनावट
माउंटेन की ढलानें काफी खड़ी और कठिन होती हैं। यहां गहरी घाटियां और ऊबड़-खाबड़ रास्ते देखने को मिलते हैं। इनकी संरचना काफी जटिल होती है और यहां यात्रा करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
इसके विपरीत, हिल्स की ढलानें ज्यादा सहज और कम खड़ी होती हैं। इन पर चढ़ना या घूमना अपेक्षाकृत आसान होता है। हिल्स की सतह पहाड़ों जितनी पथरीली नहीं होती।
जलवायु और मौसम
ऊंचाई के कारण पहाड़ों पर तापमान ठंडा होता है और मौसम तेजी से बदलता है। यहां देवदार और चीड़ जैसे पेड़ पाए जाते हैं, जो कठोर मौसम को सहन कर पाते हैं। ऊंचाई बढ़ने के साथ हरियाली कम होती जाती है और बर्फ का साम्राज्य शुरू हो जाता है।
इसके मुकाबले, पहाड़ियों पर मौसम सामान्य और सुहावना होता है। यहां घास, झाड़ियां और अलग-अलग प्रकार के पेड़ आसानी से पनपते हैं। मिट्टी और मौसम यहां की वनस्पति के लिए ज्यादा अनुकूल होते हैं।
यानी कि, Mountain और Hill दोनों ही प्रकृति के खूबसूरत तोहफे हैं, लेकिन इनके बीच ऊंचाई, ढलान, जलवायु और बनावट के आधार पर फर्क होता है। अब जब भी आप किसी वादियों में जाएंगे, तो आसानी से पहचान सकेंगे कि आपके सामने एक Mountain है या सिर्फ एक Hill।
ऊंचाई का अंतर
सबसे बड़ा और मुख्य फर्क ऊंचाई का है। पहाड़ (Mountain) आमतौर पर समुद्र तल से 1,000 से 2,000 फीट (लगभग 300 से 600 मीटर) से ज्यादा ऊंचाई पर होते हैं। कुछ परिभाषाओं में पहाड़ों की ऊंचाई 2,000 फीट से भी ज्यादा बताई जाती है। इनकी चोटियां नुकीली होती हैं और अक्सर बर्फ से ढकी रहती हैं, खासकर हिमालय जैसे ऊंचे पर्वतों में।
वहीं, पहाड़ियां (Hills) 1,000 फीट (लगभग 300 मीटर) से कम ऊंचाई पर होती हैं। इनकी चोटियां बहुत नुकीली नहीं होतीं और ये देखने में अपेक्षाकृत कोमल लगती हैं।
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ढलान और बनावट
माउंटेन की ढलानें काफी खड़ी और कठिन होती हैं। यहां गहरी घाटियां और ऊबड़-खाबड़ रास्ते देखने को मिलते हैं। इनकी संरचना काफी जटिल होती है और यहां यात्रा करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
इसके विपरीत, हिल्स की ढलानें ज्यादा सहज और कम खड़ी होती हैं। इन पर चढ़ना या घूमना अपेक्षाकृत आसान होता है। हिल्स की सतह पहाड़ों जितनी पथरीली नहीं होती।
जलवायु और मौसम
ऊंचाई के कारण पहाड़ों पर तापमान ठंडा होता है और मौसम तेजी से बदलता है। यहां देवदार और चीड़ जैसे पेड़ पाए जाते हैं, जो कठोर मौसम को सहन कर पाते हैं। ऊंचाई बढ़ने के साथ हरियाली कम होती जाती है और बर्फ का साम्राज्य शुरू हो जाता है।
इसके मुकाबले, पहाड़ियों पर मौसम सामान्य और सुहावना होता है। यहां घास, झाड़ियां और अलग-अलग प्रकार के पेड़ आसानी से पनपते हैं। मिट्टी और मौसम यहां की वनस्पति के लिए ज्यादा अनुकूल होते हैं।
यानी कि, Mountain और Hill दोनों ही प्रकृति के खूबसूरत तोहफे हैं, लेकिन इनके बीच ऊंचाई, ढलान, जलवायु और बनावट के आधार पर फर्क होता है। अब जब भी आप किसी वादियों में जाएंगे, तो आसानी से पहचान सकेंगे कि आपके सामने एक Mountain है या सिर्फ एक Hill।