हजारों साल पुराना है पैनकेक का इतिहास, कैसे बना ये दुनिया का फेवरेट ब्रेकफास्ट

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जब भी हम पैनकेक का नाम सुनते हैं तो लगता है यह सिर्फ मॉडर्न फूड है, लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है। पैनकेक का इतिहास हजारों साल पुराना है। वैज्ञानिकों के अनुसार, पत्थर युग के लोग भी पैनकेक जैसी डिश खाते थे। उस समय वे पौधों की जड़ों और बीजों को पीसकर आटा बनाते और पानी मिलाकर गर्म पत्थरों पर सेंकते थे।


पैनकेक की शुरुआती झलक


शुरुआती दौर में पैनकेक बेहद साधारण होते थे। इनमें न दूध, न अंडा और न चीनी डाली जाती थी। ग्रीस और रोम के लोग इन्हें स्वादिष्ट बनाने के लिए शहद और ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करते थे। धीरे-धीरे यह साधारण डिश अलग-अलग सभ्यताओं में अपनी जगह बनाने लगी।

इंग्लैंड और यूरोप में पैनकेक


एलिजाबेथ काल में इंग्लैंड में पैनकेक को और खास बनाया जाने लगा। इसमें मसाले, गुलाबजल, सेब और शराब मिलाई जाती थी। यूरोप में पैनकेक डे मनाने की परंपरा भी शुरू हुई, जहां लोग उपवास से पहले दूध, अंडे और मक्खन जैसी चीजों से बने पैनकेक खाते थे।

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अमेरिका का सफर


अमेरिका में पैनकेक को "हो केक" और "जॉनी केक" कहा जाता था। ये मक्का या कुट्टू के आटे से बनाए जाते थे। अमेरिका की पहली कुकबुक अमेरिकन कुकरी (1796) में पैनकेक की दो रेसिपी दर्ज हैं। इतना ही नहीं, अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन भी इसके शौकीन थे और उन्होंने फ्रांस से इसकी एक खास रेसिपी मंगाई थी।

मध्यकाल से आधुनिक काल तक


मध्यकाल में पैनकेक के स्वाद और टेक्सचर में बड़ा बदलाव आया। दूध, अंडा और मक्खन के इस्तेमाल से यह और भी सॉफ्ट और टेस्टी हो गया। लोग इसमें मसाले, फल और हर्ब्स भी मिलाने लगे। 15वीं सदी तक आते-आते पैनकेक इंग्लैंड और यूरोप के कई हिस्सों में आम भोजन का हिस्सा बन गया।


दुनिया भर में अलग-अलग रूप


आज पैनकेक सिर्फ नाश्ते की डिश नहीं, बल्कि हर देश की संस्कृति का हिस्सा है। कहीं इसे मीठा बनाया जाता है, तो कहीं नमकीन। कहीं यह मोटा और नरम होता है, तो कहीं पतला और कुरकुरा। यही विविधता इसे खास बनाती है और दिखाती है कि एक साधारण सी डिश कैसे पूरी दुनिया की खानपान परंपराओं का हिस्सा बन गई।


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