केले का आकार हमेशा टेढ़ा क्यों होता है? जानें इसके पीछे का साइंस

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हम सबने बचपन से ही देखा है कि केले का आकार हमेशा थोड़ा टेढ़ा या मुड़ा हुआ होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? यह सिर्फ एक संयोग नहीं बल्कि कुदरत का कमाल है। केले का यह अनोखा आकार उसे बढ़ने और पकने में मदद करता है।


केला सिर्फ एक फल नहीं, बल्कि सेहत का खजाना भी है। यह हमें तुरंत ऊर्जा देता है, मसल बिल्डिंग में मदद करता है और शरीर में इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन बनाए रखता है। लेकिन उसके टेढ़ेपन के पीछे जो विज्ञान छिपा है, वह जानना दिलचस्प है।

सूरज की ओर झुकता है केला


केले के टेढ़े होने की सबसे बड़ी वजह है फोटो-ट्रॉपिज्म (Phototropism) यानी पौधों का सूर्य की ओर झुकाव।


  • जब केले की ग्रोथ शुरू होती है, तब फल गुरुत्वाकर्षण की वजह से नीचे की ओर झुकता है।
  • लेकिन बढ़ने के साथ, केले के सेल्स उसे सूर्य की रोशनी की ओर मोड़ना शुरू कर देते हैं।
  • यही कारण है कि केला सीधा न होकर टेढ़ा और ऊपर की ओर झुका दिखाई देता है।

क्या है 'निगेटिव जियोट्रॉपिज्म'?


आसान भाषा में समझें तो, ज्यादातर पौधे गुरुत्वाकर्षण के अनुसार बढ़ते हैं – जड़ें नीचे और तना ऊपर।

  • केले का फल शुरू में नीचे की ओर बढ़ता है।
  • लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा होता है, रोशनी पाने के लिए ऊपर की ओर मुड़ जाता है।
  • इस प्रक्रिया को निगेटिव जियोट्रॉपिज्म कहा जाता है।

स्वाद पर नहीं पड़ता असर


बहुत लोग सोचते हैं कि क्या टेढ़ेपन से केले के स्वाद पर असर पड़ता है।


  • इसका जवाब है – बिल्कुल नहीं।
  • केले का स्वाद उसकी प्रजाति, मिट्टी, मौसम और पकने की अवस्था पर निर्भर करता है।
  • चाहे केला सीधा हो या टेढ़ा, अगर पका है तो मीठा और पौष्टिक ही होगा।

इंसानों के लिए क्यों खास है यह गुण?


  • टेढ़े आकार की वजह से केले के अंदर मौजूद पोषक तत्व और बीज सुरक्षित रहते हैं।
  • यह आसानी से छिल जाता है और खाने में सुविधाजनक होता है।
  • साथ ही यह हमें एक सीख भी देता है – सीधा रास्ता हमेशा जरूरी नहीं होता, कभी-कभी टेढ़े रास्ते भी हमें सही मंज़िल तक ले जाते हैं।