जय बृहस्पति देवा आरती: पाप नाश और फल प्राप्ति के बोल
हिंदू धर्म में गुरुवार को देवगुरु बृहस्पति की पूजा का दिन माना जाता है। वे भगवान विष्णु का अंश हैं और जगत के पिता कहलाते हैं। बृहस्पति देव की आरती गाने से भक्तों को दुखों से मुक्ति मिलती है। परिवार के साथ इसे गाकर घर में सुख-शांति का वास होता है। पुराणों के अनुसार, मन लगाकर यह भजन करने से कष्ट हर जाते हैं। यह आरती सरल शब्दों में रची गई है, जो भक्ति जगाती है। आइए जानें इसकी पूरी स्तुति और फायदे।
बृहस्पति देव कौन हैं?
देवगुरु बृहस्पति पूर्ण परमात्मा और जगदीश्वर हैं। वे सबके स्वामी हैं और अंतर्यामी कहलाते हैं। उनके चरणों का अमृत पापों को नष्ट करता है। वे भक्तों के मनोरथ पूरे करने वाले हैं। गुरुवार का स्वामी होने से इस दिन उनकी आराधना विशेष फल देती है। वे दीनदयाल और दयानिधि हैं, जो भवबंधन से मुक्ति दिलाते हैं।
यह आरती भक्ति भाव से गाई जाती है। नीचे पूरे शब्द दिए गए हैं:
ओम जय बृहस्पति देवा, जय जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।
ओम जय बृहस्पति देवा।। प्रभु जय बृहस्पति देवा।
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।
ओम जय बृहस्पति देवा।। प्रभु जय बृहस्पति देवा।
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।
ओम जय बृहस्पति देवा।। प्रभु जय बृहस्पति देवा।
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण धरे।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।
ओम जय बृहस्पति देवा।। प्रभु जय बृहस्पति देवा।
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।
ओम जय बृहस्पति देवा।। प्रभु जय बृहस्पति देवा।
सकल मनोरथ दायक, सब संशय टारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।
ओम जय बृहस्पति देवा।। प्रभु जय बृहस्पति देवा।
जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे।
हे गुरु मन को लगाके गावे।
कष्ट हरो तुम उनके, मन इच्छित फल पावे।
ओम जय बृहस्पति देवा।। प्रभु जय बृहस्पति देवा।
आरती गाने के लाभ
गुरुवार को यह आरती मन लगाकर गाने से दुख-कष्ट दूर हो जाते हैं। भक्तों को इच्छित फल मिलता है। पाप और दोष नष्ट होते हैं। संशय मिटते हैं और विषय-विकार समाप्त हो जाते हैं। घर में सुख-समृद्धि आती है। जो प्रेम से गाते हैं, वे भवबंधन से मुक्त हो जाते हैं।
आरती कैसे करें?
गुरुवार के दिन परिवार सहित आरती गाएं। भोग में फल और मेवा चढ़ाएं। मन को लगाकर भजन करें। इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं और कृपा बरसाते हैं।
बृहस्पति देव कौन हैं?
देवगुरु बृहस्पति पूर्ण परमात्मा और जगदीश्वर हैं। वे सबके स्वामी हैं और अंतर्यामी कहलाते हैं। उनके चरणों का अमृत पापों को नष्ट करता है। वे भक्तों के मनोरथ पूरे करने वाले हैं। गुरुवार का स्वामी होने से इस दिन उनकी आराधना विशेष फल देती है। वे दीनदयाल और दयानिधि हैं, जो भवबंधन से मुक्ति दिलाते हैं।
बृहस्पति देव की आरती के बोल
यह आरती भक्ति भाव से गाई जाती है। नीचे पूरे शब्द दिए गए हैं:
ओम जय बृहस्पति देवा, जय जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।
ओम जय बृहस्पति देवा।। प्रभु जय बृहस्पति देवा।
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
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जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।
ओम जय बृहस्पति देवा।। प्रभु जय बृहस्पति देवा।
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।
ओम जय बृहस्पति देवा।। प्रभु जय बृहस्पति देवा।
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण धरे।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।
ओम जय बृहस्पति देवा।। प्रभु जय बृहस्पति देवा।
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।
ओम जय बृहस्पति देवा।। प्रभु जय बृहस्पति देवा।
सकल मनोरथ दायक, सब संशय टारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।
ओम जय बृहस्पति देवा।। प्रभु जय बृहस्पति देवा।
जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे।
हे गुरु मन को लगाके गावे।
कष्ट हरो तुम उनके, मन इच्छित फल पावे।
ओम जय बृहस्पति देवा।। प्रभु जय बृहस्पति देवा।
आरती गाने के लाभ
गुरुवार को यह आरती मन लगाकर गाने से दुख-कष्ट दूर हो जाते हैं। भक्तों को इच्छित फल मिलता है। पाप और दोष नष्ट होते हैं। संशय मिटते हैं और विषय-विकार समाप्त हो जाते हैं। घर में सुख-समृद्धि आती है। जो प्रेम से गाते हैं, वे भवबंधन से मुक्त हो जाते हैं।
आरती कैसे करें?
गुरुवार के दिन परिवार सहित आरती गाएं। भोग में फल और मेवा चढ़ाएं। मन को लगाकर भजन करें। इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं और कृपा बरसाते हैं।