छठी मईया की आरती से पाएं सुख-समृद्धि: जानें हर पंक्ति का महत्व
छठ पूजा का पावन पर्व सूर्य देव और छठ माता की आराधना से जुड़ा है। इस दौरान माता की आरती 'जय छठी मईया' गाना विशेष महत्व रखता है। यह आरती महापर्व की शुरुआत का संकेत देती है और चारों दिनों में दोहराई जाती है। इस आरती के माध्यम से भक्त माता से आशीर्वाद मांगते हैं, ताकि जीवन में खुशियां बनी रहें।
छठ महापर्व दीवाली के ठीक बाद आता है और षष्ठी तिथि से आरंभ होता है। इस दौरान छठ माता की पूजा के साथ उनकी आरती रोजाना की जाती है। यह भजन न केवल भक्ति जगाता है, बल्कि परिवार को एकजुट करने का माध्यम भी बनता है। चार दिनों की पूजा में हर शाम या सुबह इसे गाकर वातावरण पवित्र किया जाता है। भक्त मानते हैं कि इससे माता प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
जय छठी मईया आरती की पूरी पंक्तियां
यह आरती भोजपुरी शैली में रची गई है, जिसमें प्रकृति के तत्वों के जरिए माता की लीला का चित्रण है। इसे धीमी और भावपूर्ण स्वर में गाया जाता है। नीचे पूरी आरती दी गई है:
ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ॥जय छठी मईया॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए ॥जय छठी मईया॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ॥जय छठी मईया॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ॥जय छठी मईया॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए ॥जय छठी मईया॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ॥जय छठी मईया॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ॥जय छठी मईया॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए ॥जय छठी मईया॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ॥जय छठी मईया॥
आरती गाने का आसान तरीका
आरती को घाट पर या घर के आंगन में दीप जलाकर गाया जाता है। सभी परिवारजन मिलकर इसमें शामिल होते हैं। हर छंद के बाद 'जय छठी मईया' का उद्घोष भक्तिरस बढ़ाता है।
छठ पूजा में आरती का महत्व
छठ महापर्व दीवाली के ठीक बाद आता है और षष्ठी तिथि से आरंभ होता है। इस दौरान छठ माता की पूजा के साथ उनकी आरती रोजाना की जाती है। यह भजन न केवल भक्ति जगाता है, बल्कि परिवार को एकजुट करने का माध्यम भी बनता है। चार दिनों की पूजा में हर शाम या सुबह इसे गाकर वातावरण पवित्र किया जाता है। भक्त मानते हैं कि इससे माता प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
जय छठी मईया आरती की पूरी पंक्तियां
यह आरती भोजपुरी शैली में रची गई है, जिसमें प्रकृति के तत्वों के जरिए माता की लीला का चित्रण है। इसे धीमी और भावपूर्ण स्वर में गाया जाता है। नीचे पूरी आरती दी गई है:
ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ॥जय छठी मईया॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ।
ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए ॥जय छठी मईया॥
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मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ॥जय छठी मईया॥
अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ॥जय छठी मईया॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ।
शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए ॥जय छठी मईया॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ॥जय छठी मईया॥
ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए ।
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ॥जय छठी मईया॥
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ।
सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मेड़राए ॥जय छठी मईया॥
मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए ।
ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय ॥जय छठी मईया॥
आरती गाने का आसान तरीका
आरती को घाट पर या घर के आंगन में दीप जलाकर गाया जाता है। सभी परिवारजन मिलकर इसमें शामिल होते हैं। हर छंद के बाद 'जय छठी मईया' का उद्घोष भक्तिरस बढ़ाता है।