नवरात्रि 2025: मां स्कंदमाता की पूजा, मंत्र और पीले रंग का महत्व

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नवरात्रि का पांचवां दिन भक्तों के लिए खास होता है, जब मां स्कंदमाता की आराधना की जाती है। मां की चार भुजाएं हैं, दो में कमल पकड़े हैं, एक में भगवान कार्तिकेय हैं और एक वरदान मुद्रा में। हिंदू धर्म में उनकी कृपा से जीवन में खुशहाली आती है। इस दिन पीले रंग का महत्व है और केले का भोग लगाया जाता है। आइए जानें कैसे करें उनकी सच्ची पूजा।

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मां स्कंदमाता का महत्व


मां स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की मां हैं, जो शिव-पार्वती के पुत्र हैं। राक्षस तारकासुर ने अमरता का वर मांगा, लेकिन ब्रह्मा ने कहा कि मृत्यु निश्चित है। फिर तारकासुर ने वरदान लिया कि उसकी मृत्यु सिर्फ शिव के पुत्र से हो। शिव-पार्वती विवाह से कार्तिकेय का जन्म हुआ। मां स्कंदमाता ने उन्हें प्रशिक्षित किया और तारकासुर का संहार किया। उनकी पूजा से भक्तों को सुख, धन और संतान का आशीर्वाद मिलता है।

पूजा की सरल विधि


सुबह उठकर स्नान करें और ध्यान लगाएं। ईशान दिशा में चौकी रखें, उस पर हरा कपड़ा बिछाएं। मां की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। फिर फूल, फल, धूप, दीपक, चंदन, रोली, सिंदूर, हल्दी, दूर्वा, गहने, कपड़े और भोग चढ़ाएं। खास तौर पर केला अर्पित करें। अंत में आरती उतारें। प्रसाद सबको बांटें और खुद भी लें।


भोग और रंग का विशेष महत्व


इस दिन मां को केले का भोग चढ़ाना चाहिए, क्योंकि यह उनका सबसे प्रिय प्रसाद है। ऐसा करने से वे जल्दी प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं। साथ ही, पूजा में पीले रंग का आसन, वस्त्र और चुनरी इस्तेमाल करें। यह रंग दिन की शुभता बढ़ाता है।

मंत्र जाप से मिलेगी शक्ति


पूजा में मुख्य मंत्र "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कन्दमातायै नमः" का बार-बार उच्चारण करें। यह जाप भक्त को आध्यात्मिक ऊर्जा देता है और मां की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है।


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