धनतेरस के अवसर पर धन्वंतरि स्तोत्र का जादू: स्वास्थ्य और समृद्धि का पवित्र मंत्र!

भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है। धनतेरस के दिन उनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है। धन्वंतरि स्तोत्र एक पवित्र मंत्र है, जो उनके आशीर्वाद से स्वास्थ्य, समृद्धि और रोगों से मुक्ति दिलाता है। यह स्तोत्र सरल और शक्तिशाली है, जिसे कोई भी पढ़ सकता है। इसे नियमित पढ़ने से मानसिक और शारीरिक लाभ मिलता है।
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धन्वंतरि स्तोत्र के बोल


धन्वंतरि स्तोत्र के बोल इस प्रकार हैं:

ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम।


कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम
वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम।

ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय।


त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धन्वं‍तरि स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः।

पूजा का महत्व और लाभ


धन्वंतरि स्तोत्र का जाप स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए बहुत प्रभावी है। इसे धनतेरस या रोज सुबह पढ़ने से बीमारियां दूर होती हैं और मानसिक शांति मिलती है। यह मंत्र नकारात्मक ऊर्जा को हटाता है और जीवन में सकारात्मकता लाता है। खासकर चिकित्सकों और आयुर्वेद से जुड़े लोगों के लिए यह विशेष है। पूजा के समय तुलसी, चंदन और फूल चढ़ाएं। मंत्र जाप के बाद जरूरतमंदों को दान देना शुभ माना जाता है।

कैसे करें धन्वंतरि स्तोत्र का पाठ


सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्वच्छ कपड़े पहनें और पूजा स्थल को साफ करें। धन्वंतरि की तस्वीर या मूर्ति सामने रखें। एक दीपक और अगरबत्ती जलाएं। फिर शांत मन से धन्वंतरि स्तोत्र का 108 बार जाप करें। अगर समय कम हो, तो 11 या 21 बार भी पढ़ सकते हैं। जाप के बाद भगवान से स्वास्थ्य और कल्याण की प्रार्थना करें। इसे नियमित करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।यह स्तोत्र भक्ति और स्वास्थ्य का अनमोल उपहार है। इसे नियमित पढ़ें और धन्वंतरि का आशीर्वाद पाएं।