दीपावली 2025: 5 दिनों का रोशनी मेला, देखें धनतेरस से भाई दूज का प्लान और शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में दीपावली या दीपोत्सव को रोशनी का पर्व कहा जाता है। यह त्योहार अंधेरे पर उजाले की विजय का प्रतीक है। 2025 में यह उत्सव पांच दिनों तक मनाया जाएगा, जिसमें लोग घरों की साफ-सफाई करते हैं, खरीदारी करते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं और अपनों के साथ खुशियां बांटते हैं। धार्मिक दृष्टि से ये दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, धन्वंतरि और अन्य देवताओं की आराधना के लिए शुभ हैं। 20 अक्टूबर से शुरू होकर 24 अक्टूबर तक यह सीरीज चलेगी। इस कैलेंडर को जानकर आप अपने परिवार के साथ बेहतर प्लानिंग कर पाएंगे।
धनतेरस: समृद्धि की शुरुआत
पहला दिन धनतेरस का है, जो 18अक्टूबर 2025 को आएगा। इस अवसर पर आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि की पूजा होती है। परिवार के स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना की जाती है। बाजारों में सोना, चांदी के आभूषण, बर्तन या नई वस्तुएं खरीदना शुभ माना जाता है। यह दिन त्योहार की धूम को बढ़ाने वाली शुरुआत करता है, जहां लोग नए कपड़े पहनकर बाजार घूमते हैं। धनतेरस का शुभ मुहूर्त 18 अक्टूबर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर 19 अक्टूबर (रविवार) दोपहर 1 बजे तक रहेगा।
20 अक्टूबर 2025 को नरक चतुर्दशी या चतुर्दशी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का संहार किया था। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर उबटन लगाना और स्नान करना पापों से मुक्ति दिलाता है। तुलसी देवी की पूजा भी की जाती है। लोग मानते हैं कि यह स्नान वर्ष भर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। घरों में दीप जलाकर बुराइयों को भगाया जाता है। यह दिवाली की रात से पहले का उत्साहपूर्ण दिन है।
दीपावली अमावस्या: मुख्य पूजा का दिन
मुख्य दिवाली 20 अक्टूबर 2025 को अमावस्या के दिन पड़ेगी। शाम को माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की विशेष पूजा होती है। घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है और चारों ओर दीये सजाए जाते हैं। मान्यता है कि इस रात देवी लक्ष्मी भ्रमण करती हैं, इसलिए रोशनी से उनका स्वागत किया जाता है। पटाखों की आतिशबाजी, स्वादिष्ट भोजन और मित्र-परिवार के साथ मिलन इस दिन की विशेषताएं हैं। यह त्योहार का सबसे चमकदार और खुशी भरा पल होता है। ज्योतिषाचार्य अजय कुमार तैलंग के अनुसार, अमावस्या तिथि सोमवार दोपहर 3 बजकर 45 मिनट से आरंभ होकर 21 अक्टूबर, मंगलवार शाम 5 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। इसी कारण दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन तीन ग्रहों का विशेष संयोग बन रहा है।
22 अक्टूबर 2025 को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा या गोवर्धन पूजा होगी। इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा याद की जाती है। गोबर से बनी गोवर्धन मूर्ति की पूजा कर अन्नकूट प्रसाद वितरित किया जाता है। यह पर्यावरण और कृषि के प्रति आभार व्यक्त करने का माध्यम है। वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 अक्टूबर शाम 5 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ होकर 22 अक्टूबर रात 8 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार, गोवर्धन पूजा का पर्व 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
भाई दूज: भाई-बहन का त्योहार
आखिरी दिन 23 अक्टूबर 2025 को द्वितीया या भाई दूज मनाया जाएगा। बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं। भाई बदले में बहनों को तोहफे देते हैं। यह पर्व पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने का प्रतीक है। तिलक का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 13 मिनट से लेकर 3 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।
धनतेरस: समृद्धि की शुरुआत
पहला दिन धनतेरस का है, जो 18अक्टूबर 2025 को आएगा। इस अवसर पर आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि की पूजा होती है। परिवार के स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना की जाती है। बाजारों में सोना, चांदी के आभूषण, बर्तन या नई वस्तुएं खरीदना शुभ माना जाता है। यह दिन त्योहार की धूम को बढ़ाने वाली शुरुआत करता है, जहां लोग नए कपड़े पहनकर बाजार घूमते हैं। धनतेरस का शुभ मुहूर्त 18 अक्टूबर दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से शुरू होकर 19 अक्टूबर (रविवार) दोपहर 1 बजे तक रहेगा।
नरक चतुर्दशी: पापों का नाश
20 अक्टूबर 2025 को नरक चतुर्दशी या चतुर्दशी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर का संहार किया था। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर उबटन लगाना और स्नान करना पापों से मुक्ति दिलाता है। तुलसी देवी की पूजा भी की जाती है। लोग मानते हैं कि यह स्नान वर्ष भर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। घरों में दीप जलाकर बुराइयों को भगाया जाता है। यह दिवाली की रात से पहले का उत्साहपूर्ण दिन है।
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दीपावली अमावस्या: मुख्य पूजा का दिन
मुख्य दिवाली 20 अक्टूबर 2025 को अमावस्या के दिन पड़ेगी। शाम को माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की विशेष पूजा होती है। घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है और चारों ओर दीये सजाए जाते हैं। मान्यता है कि इस रात देवी लक्ष्मी भ्रमण करती हैं, इसलिए रोशनी से उनका स्वागत किया जाता है। पटाखों की आतिशबाजी, स्वादिष्ट भोजन और मित्र-परिवार के साथ मिलन इस दिन की विशेषताएं हैं। यह त्योहार का सबसे चमकदार और खुशी भरा पल होता है। ज्योतिषाचार्य अजय कुमार तैलंग के अनुसार, अमावस्या तिथि सोमवार दोपहर 3 बजकर 45 मिनट से आरंभ होकर 21 अक्टूबर, मंगलवार शाम 5 बजकर 55 मिनट तक रहेगी। इसी कारण दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन तीन ग्रहों का विशेष संयोग बन रहा है। गोवर्धन पूजा: प्रकृति पूजा का महत्व
22 अक्टूबर 2025 को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा या गोवर्धन पूजा होगी। इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा याद की जाती है। गोबर से बनी गोवर्धन मूर्ति की पूजा कर अन्नकूट प्रसाद वितरित किया जाता है। यह पर्यावरण और कृषि के प्रति आभार व्यक्त करने का माध्यम है। वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 अक्टूबर शाम 5 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ होकर 22 अक्टूबर रात 8 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार, गोवर्धन पूजा का पर्व 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
भाई दूज: भाई-बहन का त्योहार
आखिरी दिन 23 अक्टूबर 2025 को द्वितीया या भाई दूज मनाया जाएगा। बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं। भाई बदले में बहनों को तोहफे देते हैं। यह पर्व पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने का प्रतीक है। तिलक का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 13 मिनट से लेकर 3 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।