भारत ही नहीं इन 9 देशों में भी देखने को मिलता हैं दिवाली का जोश
दीपावली भारत में सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। रोशनी से जगमगाते घर, मिठाई की मिठास और पटाखों की गूँज इस पर्व को खास बनाती है। लेकिन भारत के बाहर भी कई ऐसे देश हैं जहाँ भारतीय समुदाय के लोग अपनी संस्कृति और परंपरा को जीवित रखते हुए दिवाली मनाते हैं। इन देशों में दिवाली सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक संगम का प्रतीक बन गई है, जहाँ स्थानीय और भारतीय परंपराएं मिलकर एक अनूठा उत्सव बनाती हैं। आइए जानते हैं भारत के बाहर उन 9 देशों के बारे में जहाँ दिवाली मनाई जाती है।
नेपाल: तिहार के रूप में पांच दिनों का जश्न
नेपाल में दीपावली को तिहार कहा जाता है और इसे पांच दिनों तक धूमधाम से निभाया जाता है। पहले दिन गायों को पूजते और खिलाते हैं, दूसरे दिन कुत्तों का सम्मान किया जाता है। तीसरा दिन भगवान राम की जीत के उपलक्ष्य में दीये जलाए जाते हैं, चौथा दिन यमराज की आराधना का होता है, जबकि पांचवां दिन भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने वाला भाई दूज जैसा है। लक्ष्मी-गणेश की पूजा यहां भी मुख्य है।
श्रीलंका: तमिल समुदाय का प्रमुख पर्व
श्रीलंका में दिवाली मुख्य रूप से हिंदू तमिल समुदाय द्वारा मनाई जाती है। यहाँ इसे 'दीपावली' कहते हैं। उत्सव के दौरान तेल के दीये जलाए जाते हैं, मिठाइयाँ बनाई जाती हैं और मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना की जाती है। परिवार अपने घरों को सजाते हैं और चावल के आटे से सुंदर कोलम बनाते हैं। इस मौके पर लोग अपने पड़ोसियों और दोस्तों के साथ भोजन और मिठाइयाँ साझा करते हैं, जो आपसी मेल-जोल को बढ़ावा देता है।
सिंगापुर: लिटिल इंडिया की चमक
सिंगापुर के बड़े भारतीय समुदाय के कारण दीपावली यहां खास रंग लाती है। लिटिल इंडिया इलाका त्योहार से पहले ही रंग-बिरंगी लाइटों और सजावट से नहा जाता है। सांस्कृतिक शो, बाजार और मेले लगते हैं, जो पूरे शहर को उत्सवी माहौल देते हैं।
फिजी में एक बड़ी भारतीय आबादी रहती है, इसलिए यहाँ दिवाली को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। सुवा और लाउतोका जैसे शहरों में सामुदायिक उत्सव, सांस्कृतिक कार्यक्रम और आतिशबाजी होती है। भारतीय मूल के फिजीवासी अपने घरों को दीयों और सजावट से रोशन करते हैं, और भारतीय व्यंजन बनाते हैं। यहाँ पारंपरिक नृत्य और संगीत भी होते हैं, जो फिजी की संस्कृति में भारतीय विरासत के सुंदर मिश्रण को दर्शाते हैं।
दक्षिण अफ्रीका के भारतीय प्रवासियों के बीच दीपावली प्रमुख त्योहार है और जल्द ही राष्ट्रीय अवकाश बन सकती है। घरों में दीये जलाए जाते हैं, पूजा होती है, मंदिर जाते हैं और सांस्कृतिक आयोजन किए जाते हैं।
मलेशिया में दीपावली 'दीपवली' के नाम से मनाई जाती है और यह एक सार्वजनिक अवकाश है। कुआलालंपुर और पेनांग जैसे बड़े शहरों में रंगीन सजावट, रोशनी और उत्सव के बाज़ार देखने को मिलते हैं। यह परिवार के साथ समय बिताने का समय होता है, जहाँ लोग नए कपड़े पहनते हैं, मंदिरों में जाते हैं और विशेष भोजन करते हैं। यहाँ के हिंदू मंदिरों में पूजा-अर्चना के साथ-साथ पारंपरिक नृत्य और संगीत का भी आयोजन होता है।
मॉरीशस में आधी आबादी हिंदू है, इसलिए दीपावली यहां राष्ट्रीय अवकाश है। घर, मंदिर और सड़कें रंगोली और रोशनी से सजी नजर आती हैं। लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर पूजा-अर्चना करते हैं और खुशियां बांटते हैं।
त्रिनिदाद और टोबैगो: संगीत और व्यंजनों का मेला
त्रिनिदाद और टोबैगो में दिवाली को 'दिवाली' के रूप में मनाया जाता है। यहाँ भी हिंदू समुदाय इस त्योहार को बहुत धूमधाम से मनाता है। तेल के दीये जलाए जाते हैं, घर सजाए जाते हैं और खास व्यंजन बनाए जाते हैं। यहाँ भी सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ जैसे नृत्य और संगीत आयोजित किए जाते हैं। सरकार ने दिवाली को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है, जिससे लोग अपने परिवारों के साथ उत्सव मना सकें।
गुयाना: सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा
गुयाना में हिंदू कैलेंडर के अनुसार दीपावली राष्ट्रीय अवकाश है। 1980 के दशक से शुरू हुई यह परंपरा अब देश की सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग है। घर रोशन करते हैं, मिठाइयां बांटते हैं और अपनों से मिलते हैं।
नेपाल: तिहार के रूप में पांच दिनों का जश्न
नेपाल में दीपावली को तिहार कहा जाता है और इसे पांच दिनों तक धूमधाम से निभाया जाता है। पहले दिन गायों को पूजते और खिलाते हैं, दूसरे दिन कुत्तों का सम्मान किया जाता है। तीसरा दिन भगवान राम की जीत के उपलक्ष्य में दीये जलाए जाते हैं, चौथा दिन यमराज की आराधना का होता है, जबकि पांचवां दिन भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने वाला भाई दूज जैसा है। लक्ष्मी-गणेश की पूजा यहां भी मुख्य है।
श्रीलंका: तमिल समुदाय का प्रमुख पर्व
श्रीलंका में दिवाली मुख्य रूप से हिंदू तमिल समुदाय द्वारा मनाई जाती है। यहाँ इसे 'दीपावली' कहते हैं। उत्सव के दौरान तेल के दीये जलाए जाते हैं, मिठाइयाँ बनाई जाती हैं और मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना की जाती है। परिवार अपने घरों को सजाते हैं और चावल के आटे से सुंदर कोलम बनाते हैं। इस मौके पर लोग अपने पड़ोसियों और दोस्तों के साथ भोजन और मिठाइयाँ साझा करते हैं, जो आपसी मेल-जोल को बढ़ावा देता है।
सिंगापुर: लिटिल इंडिया की चमक
सिंगापुर के बड़े भारतीय समुदाय के कारण दीपावली यहां खास रंग लाती है। लिटिल इंडिया इलाका त्योहार से पहले ही रंग-बिरंगी लाइटों और सजावट से नहा जाता है। सांस्कृतिक शो, बाजार और मेले लगते हैं, जो पूरे शहर को उत्सवी माहौल देते हैं।
फिजी: सभी समुदायों का साझा जश्न
फिजी में एक बड़ी भारतीय आबादी रहती है, इसलिए यहाँ दिवाली को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। सुवा और लाउतोका जैसे शहरों में सामुदायिक उत्सव, सांस्कृतिक कार्यक्रम और आतिशबाजी होती है। भारतीय मूल के फिजीवासी अपने घरों को दीयों और सजावट से रोशन करते हैं, और भारतीय व्यंजन बनाते हैं। यहाँ पारंपरिक नृत्य और संगीत भी होते हैं, जो फिजी की संस्कृति में भारतीय विरासत के सुंदर मिश्रण को दर्शाते हैं।
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दक्षिण अफ्रीका: प्रवासियों का गौरवशाली पर्व
दक्षिण अफ्रीका के भारतीय प्रवासियों के बीच दीपावली प्रमुख त्योहार है और जल्द ही राष्ट्रीय अवकाश बन सकती है। घरों में दीये जलाए जाते हैं, पूजा होती है, मंदिर जाते हैं और सांस्कृतिक आयोजन किए जाते हैं।
मलेशिया: सुबह-सुबह तेल स्नान की रस्म
मलेशिया में दीपावली 'दीपवली' के नाम से मनाई जाती है और यह एक सार्वजनिक अवकाश है। कुआलालंपुर और पेनांग जैसे बड़े शहरों में रंगीन सजावट, रोशनी और उत्सव के बाज़ार देखने को मिलते हैं। यह परिवार के साथ समय बिताने का समय होता है, जहाँ लोग नए कपड़े पहनते हैं, मंदिरों में जाते हैं और विशेष भोजन करते हैं। यहाँ के हिंदू मंदिरों में पूजा-अर्चना के साथ-साथ पारंपरिक नृत्य और संगीत का भी आयोजन होता है।
मॉरीशस: हिंदू बहुल देश का राष्ट्रीय उत्सव
मॉरीशस में आधी आबादी हिंदू है, इसलिए दीपावली यहां राष्ट्रीय अवकाश है। घर, मंदिर और सड़कें रंगोली और रोशनी से सजी नजर आती हैं। लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर पूजा-अर्चना करते हैं और खुशियां बांटते हैं।
त्रिनिदाद और टोबैगो: संगीत और व्यंजनों का मेला
त्रिनिदाद और टोबैगो में दिवाली को 'दिवाली' के रूप में मनाया जाता है। यहाँ भी हिंदू समुदाय इस त्योहार को बहुत धूमधाम से मनाता है। तेल के दीये जलाए जाते हैं, घर सजाए जाते हैं और खास व्यंजन बनाए जाते हैं। यहाँ भी सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ जैसे नृत्य और संगीत आयोजित किए जाते हैं। सरकार ने दिवाली को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है, जिससे लोग अपने परिवारों के साथ उत्सव मना सकें।
गुयाना: सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा
गुयाना में हिंदू कैलेंडर के अनुसार दीपावली राष्ट्रीय अवकाश है। 1980 के दशक से शुरू हुई यह परंपरा अब देश की सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग है। घर रोशन करते हैं, मिठाइयां बांटते हैं और अपनों से मिलते हैं।