एकादशी माता की पूर्ण आरती: भक्ति भरी स्तुति हिंदी में
हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बहुत पवित्र माना जाता है। यह हर माह दो बार आता है, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में। भगवान विष्णु को समर्पित यह उपवास पापों से मुक्ति और मोक्ष का द्वार खोलता है। एकादशी माता को विष्णु की शक्ति के रूप में पूजा जाता है। उनकी आरती गाने से मन शुद्ध होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। यह भजन न केवल भक्ति जगाता है, बल्कि सभी एकादशी व्रतों के नामों से परिचित कराता है। रोजाना या व्रत के दिन इसे गाएं, तो घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
एकादशी व्रत का महत्व
एकादशी व्रत रखने से भक्तों को शक्ति और मुक्ति मिलती है। यह विष्णु पूजा का विशेष समय है। साल में 24 एकादशी होती हैं, प्रत्येक का अलग नाम और लाभ। जैसे मोक्षदा से मोक्ष, पुत्रदा से संतान सुख। इन व्रतों से पाप मिटते हैं, सुख बढ़ता है। आरती इन्हीं का गुणगान करती है। ज्योतिषी कहते हैं कि एकादशी पर आरती गाने से स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है।
यह आरती सरल शब्दों में रची गई है। इसे भक्ति भाव से गाएं। नीचे पूरे बोल दिए गए हैं:
ओम जय एकादशी माता, मैया जय जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ओम जय एकादशी माता।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ओम।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ओम।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ओम ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ओम ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ओम ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ओम ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ओम ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ओम ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ओम ।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ओम ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ओम ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ओम ।।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्रय हरनी ।। ओम ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ओम ।।
आरती गाने के फायदे
इस आरती को भक्ति से गाने वाला स्वर्ग प्राप्त करता है। यह दुख हरती है और जीवन को सुखमय बनाती है। व्रत के दिन सुबह-शाम गाएं, तो विष्णु प्रसन्न होते हैं। घर में समृद्धि आती है और बाधाएं दूर होती हैं।
एकादशी व्रत का महत्व
एकादशी व्रत रखने से भक्तों को शक्ति और मुक्ति मिलती है। यह विष्णु पूजा का विशेष समय है। साल में 24 एकादशी होती हैं, प्रत्येक का अलग नाम और लाभ। जैसे मोक्षदा से मोक्ष, पुत्रदा से संतान सुख। इन व्रतों से पाप मिटते हैं, सुख बढ़ता है। आरती इन्हीं का गुणगान करती है। ज्योतिषी कहते हैं कि एकादशी पर आरती गाने से स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है।
एकादशी माता की आरती के बोल
यह आरती सरल शब्दों में रची गई है। इसे भक्ति भाव से गाएं। नीचे पूरे बोल दिए गए हैं:
ओम जय एकादशी माता, मैया जय जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ओम जय एकादशी माता।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ओम।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ओम।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ओम ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ओम ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ओम ।।
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चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ओम ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ओम ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ओम ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ओम ।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ओम ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ओम ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ओम ।।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्रय हरनी ।। ओम ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ओम ।।
आरती गाने के फायदे
इस आरती को भक्ति से गाने वाला स्वर्ग प्राप्त करता है। यह दुख हरती है और जीवन को सुखमय बनाती है। व्रत के दिन सुबह-शाम गाएं, तो विष्णु प्रसन्न होते हैं। घर में समृद्धि आती है और बाधाएं दूर होती हैं।