दिवाली पर गणेश भगवान की आरती गाए और अपने घर के सारे विघन मिटाए

दिवाली का त्योहार रोशनी, पूजा और भक्ति का प्रतीक है। इस दौरान भगवान गणेश की आरती विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि वे विघ्नहर्ता हैं और नई शुरुआत के लिए शुभ माने जाते हैं। गणेश चतुर्थी के अलावा दिवाली पर भी उनकी पूजा और आरती से घर-परिवार में मंगलकारी प्रभाव पड़ता है। परिवार के सदस्य एक साथ यह आरती गाकर भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
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गणेश आरती का महत्व


गणेश जी की आरती रोजाना सुबह या शाम करना अच्छा रहता है, लेकिन दिवाली जैसे त्योहार पर पूजा के बाद परिवार के साथ इसे गाना बहुत ही पुण्यकारी होता है। इससे भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं। भक्ति भाव से आरती करने वाले लोगों के घर में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसे अपनाने से आध्यात्मिक जुड़ाव बढ़ता है।

आरती गाने के सरल निर्देश


आरती शुरू करने से पहले गणेश जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं। सभी सदस्य एकजुट होकर भक्ति से बोल गाएं। आरती के अंत में सब मिलकर भगवान की जयकारा लगाएं। इससे न केवल मन शांत होता है, बल्कि परिवार में एकता का बंधन मजबूत होता है। कोई विशेष सामग्री की जरूरत नहीं, बस श्रद्धा ही काफी है।


गणेश जी की आरती के बोल


यहां दी गई है गणेश भगवान की लोकप्रिय आरती के शब्द। इन्हें बिल्कुल वैसा ही गाएं जैसे परंपरा है:

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी। माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी॥ जय गणेश जय गणेश…


पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अन्धे को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

सूर, श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

बोलिए सब मिलकर गणेश भगवान की जय, मंगल मूर्ति मोरया की जय, शिव परिवार की जय। विघ्नहर्ता की जय।