Karwa Chauth Special Aarti: चांदनी रात में गाएं करवा माता की पवित्र आरती और पाएं सुहाग और खुशहाली की सुरक्षा

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हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ मनाया जाता है। यह त्योहार विवाहित महिलाओं का प्रिय पर्व है, जहां वे दिन भर निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को चंद्रमा दर्शन के बाद व्रत खोलती हैं। इस दौरान करवा माता की पूजा और आरती का विशेष स्थान है। यह आरती न केवल व्रत की पूर्णता का प्रतीक है, बल्कि पति-पत्नी के बीच बंधन को मजबूत बनाती है।
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करवा माता की आरती का महत्व


करवा माता को सुहाग की देवी माना जाता है। कार्तिक कृष्ण चतुर्थी पर रखे जाने वाले इस व्रत से पति को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। आरती गाने से व्रत की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह गान महिलाओं को सुख, संपत्ति और संतान सुख प्रदान करता है। गणपति जी की कृपा से सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। इस आरती को व्रत के दौरान गाकर माता का आह्वान किया जाता है, जो जीवन के दुखों को हर लेती है।

करवा माता की आरती के बोल


नीचे करवा माता की पूर्ण आरती के शब्द दिए जा रहे हैं। इन्हें भक्ति भाव से गाएं:

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ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया.. ओम जय करवा मैया।

सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी.. ओम जय करवा मैया।


कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती.. ओम जय करवा मैया।

होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे.. ओम जय करवा मैया।

करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे.. ओम जय करवा मैया।

आरती गाने की विधि


आरती को शाम के समय, चंद्रमा उदय होने पर गाना चाहिए। पूजा स्थल पर करवा माता की मूर्ति या चित्र रखें। दीप जलाकर आरती करें। व्रत रखने वाली महिलाएं इसे सामूहिक रूप से गा सकती हैं। इससे व्रत फल की प्राप्ति होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।


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