नवरात्रि के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की आरती, जानें महत्व और लाभ
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नवरात्रि के पावन पर्व का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। इस दिन भक्तगण पूरी श्रद्धा और विधि-विधान के साथ मां के इस स्वरूप की पूजा करते हैं। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत शांत और तपस्यामय है, जो ज्ञान और वैराग्य का प्रतीक है। उनका वर्ण श्वेत है और वे भक्तों को ज्ञान और सुख प्रदान करती हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह और शाम को मां ब्रह्मचारिणी की आरती करने से भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं और वे सुख-समृद्धि प्राप्त करते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप और महत्व
मां ब्रह्मचारिणी, नवदुर्गा के नौ रूपों में से दूसरा स्वरूप हैं। 'ब्रह्म' शब्द का अर्थ है तपस्या, और 'चारिणी' का अर्थ है आचरण करने वाली। इस प्रकार, मां ब्रह्मचारिणी तपस्या का आचरण करने वाली देवी हैं। उनके एक हाथ में जपमाला और दूसरे हाथ में कमंडल होता है, जो उनकी तपस्या और वैराग्य को दर्शाता है। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की भावना जागृत होती है।
मां ब्रह्मचारिणी की आरती
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आरती का विशेष महत्व है। आरती के माध्यम से भक्त देवी के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करते हैं। यहां प्रस्तुत है मां ब्रह्मचारिणी की पवित्र आरती:
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
आरती का फल और लाभ
मां ब्रह्मचारिणी की आरती करने से भक्तों को कई लाभ मिलते हैं। इससे मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है। मान्यता है कि जो भक्त सच्ची निष्ठा से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा और आरती करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों को ज्ञान, बुद्धि और शक्ति प्रदान करती हैं, जिससे वे जीवन की बाधाओं को पार कर सकें।
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप और महत्व
मां ब्रह्मचारिणी, नवदुर्गा के नौ रूपों में से दूसरा स्वरूप हैं। 'ब्रह्म' शब्द का अर्थ है तपस्या, और 'चारिणी' का अर्थ है आचरण करने वाली। इस प्रकार, मां ब्रह्मचारिणी तपस्या का आचरण करने वाली देवी हैं। उनके एक हाथ में जपमाला और दूसरे हाथ में कमंडल होता है, जो उनकी तपस्या और वैराग्य को दर्शाता है। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की भावना जागृत होती है।
मां ब्रह्मचारिणी की आरती
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की आरती का विशेष महत्व है। आरती के माध्यम से भक्त देवी के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करते हैं। यहां प्रस्तुत है मां ब्रह्मचारिणी की पवित्र आरती:
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
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जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
आरती का फल और लाभ
मां ब्रह्मचारिणी की आरती करने से भक्तों को कई लाभ मिलते हैं। इससे मन को शांति मिलती है और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है। मान्यता है कि जो भक्त सच्ची निष्ठा से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा और आरती करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों को ज्ञान, बुद्धि और शक्ति प्रदान करती हैं, जिससे वे जीवन की बाधाओं को पार कर सकें।