मां चंद्रघंटा आरती गाने से मिलेगी शांति और सफलता

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नवरात्रि का पावन समय आते ही मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना शुरू हो जाती है। इनमें तीसरा रूप मां चंद्रघंटा का है, जो चंद्रमा जैसी शीतलता और घंटी की ध्वनि से प्रेरित हैं। उनका स्वरूप ममता और शक्ति से भरा होता है। पूजा के अंत में उनकी आरती उतारना जरूरी माना जाता है, क्योंकि इससे भक्ति पूर्ण होती है। आइए, इस आरती को समझें और गाएं, जो भक्तों को शांति और विजय का वरदान देती है।


मां चंद्रघंटा का स्वरूप और प्रतीक


मां चंद्रघंटा का रूप बहुत ही कोमल और उज्ज्वल है। वे चंद्रमा की तरह ठंडक देती हैं और अपने तेज से सबको आकर्षित करती हैं। उनका नाम घंटे की आकृति वाले चंद्रमा से आया है, जो साहस और शांति का संदेश देता है। नवरात्रि के तीसरे दिन इनकी पूजा से मन शांत होता है और क्रोध पर काबू आता है। वे मीठी वाणी सिखाती हैं और जीवन में सुंदर विचार लाती हैं।

मां चंद्रघंटा आरती


यह आरती भक्ति से गाई जाती है। नीचे सरल शब्दों में पूरी लिरिक्स दी गई है:


जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।

चंद्र समान तुम शीतल दाती।
चंद्र तेज किरणों में समाती। क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।

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मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।

सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।

हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।


शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।

कांची पुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।

नाम तेरा रटू महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।

पूजा विधि और लाभ


पूजा के दौरान मां की मूर्ति को चंद्र आकार में स्थापित करें। घी का दीपक जलाएं और मन की बातें श्रद्धा से कहें। हर बुधवार इनका ध्यान करने से विशेष फल मिलता है। कांचीपुर और कर्नाटक में इनका विशेष स्थान है। भक्तों को प्रसिद्धि, सफलता और हर मुश्किल से रक्षा का आशीर्वाद मिलता है। यह आराधना जीवन को सुखमय बनाती है।


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