मां दुर्गा की पवित्र आरती, दैनिक पूजा के लिए हिंदी बोल

Hero Image
Newspoint
देवी दुर्गा हिंदू धर्म में शक्ति की प्रतीक हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देती हैं। उनकी आराधना से भक्तों को असीम ऊर्जा और सुरक्षा प्राप्त होती है। मां का स्वरूप सिंह पर सवार, अष्टभुजाओं से सुसज्जित, त्रिशूल धारण किए हुए अत्यंत भयंकर और करुणामय है। वे राक्षसों का संहार करती हैं और भक्तों की रक्षा करती हैं। मान्यता है कि उनकी आरती से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में मंगल आता है। इस लेख में मां दुर्गा की प्रसिद्ध आरती के बोल दिए गए हैं, जो भक्ति के भाव को जगाते हैं।


मां दुर्गा की आराधना के लाभ


मां दुर्गा की पूजा से व्यक्ति में साहस, बुद्धि और विवेक का संचार होता है। वे अपने भक्तों के दुखों को हर लेती हैं और घर में सुख-शांति की बहार लाती हैं। विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान उनकी आरती गाने से पूजा का फल दोगुना हो जाता है। भक्तों को चाहिए कि वे फूल, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें। इससे मां की कृपा बनी रहती है और सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।

आरती के बोल: भक्ति का स्रोत


मां दुर्गा की आरती गाने से हृदय में दिव्य ज्योति प्रज्वलित होती है। ये पंक्तियां मां के चरणों में समर्पण का भाव जगाती हैं। नीचे दिए गए बोलों को उत्साह से गाएं:

You may also like



आरती मां दुर्गा की गावें। चरण कमल में शीश नवावें।
दिव्य प्रभा मां जग की माया, यह सब जग तेरी द्युतिछाया,
कण-कण में मां की छवि पावें। आरती मां दुर्गे की गावें।
मां के मस्तक मुकुट विराजे, मांग सिंदुर भाल शशि साजे,
रक्ताम्बर पट पर बलि जावें। आरती मां दुर्गे की गावें।

कर त्रिशूल केहरि पर सोहें, दुष्ट डरें मुनि जन मन मोहे,
मात उमा के चरण गहावें। आरती मां दुर्गे की गावें।
अष्टभुजा मां खप्पर वाली, दुर्गा जया त्रिनेत्र काली,
कितने मां के नाम गिनावें। आरती मां दुर्गे की गावें।
ब्रह्माणी रुद्राणी कमला, आगम निगम बखानी विमला,
सरस्वती मां को सिर नावें। आरती मां दुर्गे की गावें।


शुंभ-निशुंभ-महिष को मारा, चण्ड-मुण्ड धूम्राक्ष संहारा,
कितने माँ के सुयश सुनावें। आरती मां दुर्गे की गावें।
पट्टाम्बर परिधान निराले, गल मोतियन की माला डाले।
नूपुर धुनि सुन-सुन हर्षावें। आरती मां दुर्गे की गावें।
भैरव योगिनी गुण-गान गावें, डमरू ताल मृदंग बजावें।

हम भी उस धुन में रम जावें। आरती मां दुर्गे की गावें।
शाकम्भरी वैष्णवी माता, उत्पादक पालक गति दाता,
धूप दीप गन्धादि चढ़ावें। आरती मां दुर्गे की गावें।
भव बाधा से त्राण करो मां, मंगलमय 'कल्याण' करो मां,
करें आरती ध्यान लगावें।आरती मां दुर्गे की गावें।

पूजा में आरती का स्थान


आरती पूजा का अंतिम चरण है, जो भगवान को विदाई देते हुए आशीर्वाद मांगता है। मां दुर्गा की इस आरती से न केवल संकट दूर होते हैं, बल्कि आत्मिक शक्ति भी मिलती है। रोजाना इसे गाने से जीवन में स्थिरता आती है और परिवार सुरक्षित रहता है। भक्तों को सलाह है कि इसे सामूहिक रूप से गाएं, ताकि भक्ति का वातावरण बने।


Loving Newspoint? Download the app now
Newspoint