मां कूष्मांडा की आरती: भक्ति बढ़ाने वाले पवित्र बोल

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नवरात्रि का त्योहार देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का प्रतीक है। चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित होता है, जो सृष्टि की रचयिता मानी जाती हैं। उनके नाम का अर्थ है 'कुंभ में आसन रखने वाली'। मां का स्वरूप आठ भुजाओं वाला है, जिसमें कमल, अमृत कलश, धनुष-बाण जैसे दिव्य वस्तुएं हैं। सिंह पर सवार यह देवी भक्तों को ऊर्जा और प्रकाश प्रदान करती हैं। उनके दर्शन से अंधकार मिटता है और जीवन में नई शुरुआत होती है।


मां कूष्मांडा का स्वरूप और महत्व

मां कूष्मांडा का रूप अत्यंत मनोहर है। वे कमल पर विराजमान रहती हैं और उनके तेज से ब्रह्मांड की रचना हुई। नवरात्रि में इस दिन उनकी विशेष पूजा से भक्तों को शक्ति मिलती है। मां की कृपा से घर में सुख-शांति बनी रहती है और बाधाएं दूर होती हैं। भक्तों को ध्यान रखना चाहिए कि पूजा में फूल, फल और मिठाई चढ़ाएं। इससे मां प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं।


आरती के बोल: भक्ति का अमृत


मां कूष्मांडा की आरती गाने से मन को शांति मिलती है। ये बोल भक्तों को मां के चरणों में ले जाते हैं। नीचे दिए गए बोलों को ध्यान से पढ़ें और गाएं:

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥


पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥ लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥


माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

मां की कृपा से जीवन में बदलाव



मां कूष्मांडा भक्तों की पुकार सुनकर हमेशा दौड़ पड़ती हैं। उनकी आराधना से न केवल संकट टलते हैं, बल्कि सफलता भी मिलती है। नवरात्रि के इस पावन दिन पर आरती गाकर मां को याद करें। इससे परिवार में खुशहाली आती है और मन की शांति बनी रहती है।