सुख-शांति के लिए गाएं महा अष्टमी पर महागौरी माँ की आरती

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शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन, जिसे महाअष्टमी कहते हैं, माँ महागौरी को समर्पित है। माँ का यह रूप श्वेत वस्त्रों और शांत स्वभाव वाला है, जो भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करता है। उनकी आरती गाकर भक्त नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति पाते हैं और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।


माँ महागौरी का स्वरूप और महत्व


माँ महागौरी का रूप अत्यंत शांत और सुंदर है। वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं और बैल पर सवार होती हैं। उनकी चार भुजाएं भक्तों को आशीर्वाद और रक्षा प्रदान करती हैं। नवरात्रि के आठवें दिन उनकी पूजा से सिद्धियां प्राप्त होती हैं और जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं। उनकी आरती भक्तों को माँ के चरणों में समर्पित होने की प्रेरणा देती है।

माँ महागौरी की आरती का महत्व


यह आरती नवरात्रि की पूजा का अभिन्न हिस्सा है। इसे गाने से मन शांत होता है और माँ की कृपा प्राप्त होती है। माना जाता है कि माँ महागौरी की स्तुति करने से भक्तों के सभी दुख, चिंता और बाधाएं खत्म हो जाती हैं। यह आरती माँ की शक्ति और दया का बखान करती है, जो भक्तों को हर संकट से बचाती है।


माँ महागौरी की आरती


जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।।

हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।।चंद्रकली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।

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भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।।

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।

सती 'सत' हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।


तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।

शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।

माँ महागौरी की आरती नवरात्रि के आठवें दिन की पूजा को और भी खास बनाती है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ गाएं ताकि माँ की कृपा बनी रहे। यह आरती न केवल पूजा को पूर्ण करती है, बल्कि भक्तों के जीवन में शांति और समृद्धि भी लाती है।


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