रोज़ाना करें मधुराष्टकम का पाठ और पाएं भक्ति का आनंद
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श्री वल्लभाचार्य द्वारा रचित मधुराष्टकम आरती, भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य भक्ति का अद्वितीय भजन है। इसका पाठ जीवन में आनंद, प्रेम और मधुरता का संचार करता है। जन्माष्टमी के अलावा इसे दैनिक भक्ति में शामिल कर भक्त श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।हिंदू धर्म में भक्ति गीतों और आरतियों का विशेष महत्व है। इस स्तुति में भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूप, वाणी, लीला, रूप और आचरण की मधुरता का अद्भुत वर्णन मिलता है। यही कारण है कि इसे कृष्ण भक्ति का एक अनमोल रत्न माना जाता है।
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरं।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरं।
दृष्टं मधुरं सृष्टं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
मधुराष्टकम आरती न केवल एक भजन है, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण की अनंत मधुरता का सजीव अनुभव है। इसका पाठ करने से आत्मा को भक्ति रस में डुबोने का अवसर मिलता है और भक्त जीवन में दिव्य आनंद का अनुभव करता है।
मधुराष्टकम आरती के लाभ
- इसके पाठ से मन और हृदय में आनंद और शांति का अनुभव होता है।
- जीवन में प्रेम, भक्ति और सकारात्मकता का संचार होता है।
- भक्त और भगवान के बीच गहरी आत्मिक कड़ी बनती है।
- इसे रोज़ाना गाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और मंगल का वातावरण बना रहता है।
मधुराष्टकम आरती (Lyrics in Hindi)
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
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करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरं।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरं।
दृष्टं मधुरं सृष्टं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं।।
मधुराष्टकम आरती न केवल एक भजन है, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण की अनंत मधुरता का सजीव अनुभव है। इसका पाठ करने से आत्मा को भक्ति रस में डुबोने का अवसर मिलता है और भक्त जीवन में दिव्य आनंद का अनुभव करता है।