महाकाल की आरती: जीवन से भय और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने वाली स्तुति
हिंदू धर्म में भगवान शिव को महाकाल के रूप में पूजा जाता है, जो काल के स्वामी हैं और मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले हैं। 'मृत्युंजय महाकाल की आरती' भक्तों को साहस और शांति प्रदान करती है। यह आरती विशेष रूप से उज्जैन के महाकाल मंदिर से जुड़ी हुई है, जहां इसे रोजाना गाया जाता है। इस आरती के माध्यम से शिवजी के भोले स्वभाव और दयालुता का वर्णन किया गया है, जो भक्तों के हृदय को छू लेता है।
महाकाल रूप में शिवजी को त्रिपुंडधारी और त्रिपुरारी कहा जाता है। वे पिता के समान पुष्पों से सुशोभित होकर बाघ की खाल धारण करते हैं और नंदी को अपना वाहन बनाते हैं। यह आरती बताती है कि कैसे शिवजी भव के भय को हरते हैं और तीनों लोकों के रक्षक हैं। कैलाश पति शिव का चंद्रमा सज्जित मस्तक भक्तों को मोक्ष का मार्ग दिखाता है। इस आरती का पाठ करने से जीवन में सुख-शांति आती है।
काल की विकराल की, त्रिलोकेश्वर त्रिकाल की,
भोले शिव कृपाल की, करो रे मंगल आरती।
मृत्युंजय महाकाल की, करो रे मंगल आरती,
मृत्युंजय महाकाल की, बाबा महाकाल की।
ओ मेरे महाकाल की, करो रे मंगल आरती।
मृत्युंजय महाकाल की...
पित पुष्प बाघम्बर धारी, नंदी तेरी सवारी,
त्रिपुंडधारी हे त्रिपुरारी, भोले भव भयहारी।
शंभु दिन दयाल की, तीन लोक दिगपाल की,
कैलाषी शशिभाल की, करो रे मंगल आरती।
मृत्युंजय महाकाल की...
डमरू बाजे डम डम डम, नाचे शंकर भोला,
बम भोले शिव बमबम बमबम, चढ़ा भंग का गोला।
जय जय हृदय विशाल की, आशुतोष प्रतिपाल की,
नैना धक धक ज्वाल की, करो रे मंगल आरती।।
मृत्युंजय महाकाल की...
आरत हरि पालनहारी, तू है मंगलकारी,
मंगल आरती करे नर नारी, पाएं पदारथ चारि।
कालरूप महाकाल की, कृपासिंधु महाकाल की,
उज्जैनी महाकाल की, करो रे मंगल आरती।।
मृत्युंजय महाकाल की...
काल की विकराल की, त्रिलोकेश्वर त्रिकाल की,
भोले शिव कृपाल की, करो रे मंगल आरती।
मृत्युंजय महाकाल की, करो रे मंगल आरती,
मृत्युंजय महाकाल की, बाबा महाकाल की।।
मृत्युंजय महाकाल की...
करो रे मंगल आरती, मृत्युंजय महाकाल की।।
लाभ और पाठ विधि
यह आरती गाने से भक्तों को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। शाम के समय दीप जलाकर इसे गाएं तो फल जल्दी मिलता है। शिवजी की यह स्तुति जीवन को मंगलमय बनाती है।
महाकाल की महिमा
महाकाल रूप में शिवजी को त्रिपुंडधारी और त्रिपुरारी कहा जाता है। वे पिता के समान पुष्पों से सुशोभित होकर बाघ की खाल धारण करते हैं और नंदी को अपना वाहन बनाते हैं। यह आरती बताती है कि कैसे शिवजी भव के भय को हरते हैं और तीनों लोकों के रक्षक हैं। कैलाश पति शिव का चंद्रमा सज्जित मस्तक भक्तों को मोक्ष का मार्ग दिखाता है। इस आरती का पाठ करने से जीवन में सुख-शांति आती है।
आरती के बोल
काल की विकराल की, त्रिलोकेश्वर त्रिकाल की,
भोले शिव कृपाल की, करो रे मंगल आरती।
मृत्युंजय महाकाल की, करो रे मंगल आरती,
मृत्युंजय महाकाल की, बाबा महाकाल की।
ओ मेरे महाकाल की, करो रे मंगल आरती।
मृत्युंजय महाकाल की...
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पित पुष्प बाघम्बर धारी, नंदी तेरी सवारी,
त्रिपुंडधारी हे त्रिपुरारी, भोले भव भयहारी।
शंभु दिन दयाल की, तीन लोक दिगपाल की,
कैलाषी शशिभाल की, करो रे मंगल आरती।
मृत्युंजय महाकाल की...
डमरू बाजे डम डम डम, नाचे शंकर भोला,
बम भोले शिव बमबम बमबम, चढ़ा भंग का गोला।
जय जय हृदय विशाल की, आशुतोष प्रतिपाल की,
नैना धक धक ज्वाल की, करो रे मंगल आरती।।
मृत्युंजय महाकाल की...
आरत हरि पालनहारी, तू है मंगलकारी,
मंगल आरती करे नर नारी, पाएं पदारथ चारि।
कालरूप महाकाल की, कृपासिंधु महाकाल की,
उज्जैनी महाकाल की, करो रे मंगल आरती।।
मृत्युंजय महाकाल की...
काल की विकराल की, त्रिलोकेश्वर त्रिकाल की,
भोले शिव कृपाल की, करो रे मंगल आरती।
मृत्युंजय महाकाल की, करो रे मंगल आरती,
मृत्युंजय महाकाल की, बाबा महाकाल की।।
मृत्युंजय महाकाल की...
करो रे मंगल आरती, मृत्युंजय महाकाल की।।
लाभ और पाठ विधि
यह आरती गाने से भक्तों को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। शाम के समय दीप जलाकर इसे गाएं तो फल जल्दी मिलता है। शिवजी की यह स्तुति जीवन को मंगलमय बनाती है।









