कृष्ण भक्ति में नंद के आनंद भयो के बोल और उसका महत्व

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भारत में कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रतीक है। जब वासुदेव उन्हें मथुरा से गोकुल लेकर आए और उनका आगमन नंद बाबा के घर हुआ, तो खुशी की लहर दौड़ गई। इसी खुशी के पल को अमर करने के लिए "नंद के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की" भजन गाया जाता है। यह भजन ब्रज के उस ऐतिहासिक क्षण का वर्णन करता है, जब नंद के घर आनंद और उत्सव का माहौल था। यह भजन कृष्ण भक्ति की भावना को जागृत करता है और मन को शांति प्रदान करता है।


भजन का महत्व और संदेश


"नंद के आनंद भयो" भजन सिर्फ एक साधारण भजन नहीं है, बल्कि यह जन्माष्टमी के उत्सव का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह भगवान कृष्ण के जन्म के बाद ब्रजवासियों की खुशी, उमंग और प्रेम को दर्शाता है। भजन में "हाथी घोडा पालकी, जय कन्हिया लाल की" का जयकारा भगवान के आगमन के प्रति लोगों के उत्साह और भक्ति को दिखाता है। यह भजन हमें सिखाता है कि भक्ति और प्रेम में कितनी शक्ति होती है। यह भजन सुनकर भक्तों का मन भक्ति से भर जाता है और उन्हें एक अलग ही सुकून का अनुभव होता है।

"नंद के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की" भजन के बोल


!!श्रीकृष्ण आरती भजन!!


आनंद उमंग भयो, जय हो नन्द लाल की ।
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

बृज में आनंद भयो, जय यशोदा लाल की ।
हाथी घोडा पालकी, जय कन्हिया लाल की ॥


जय हो नंदलाल की, जय यशोदा लाल की ।
गोकुल में आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

आनंद उमंग भयो, जय हो नन्द लाल की ।
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

बृज में आनंद भयो, जय यशोदा लाल की ।
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

आनंद उमंग भयो, जय हो नन्द लाल की ।
गोकुल में आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥


जय हो नंदलाल की, जय यशोदा लाल की ।
हाथी घोडा पालकी, जय कन्हिया लाल की ॥

आनंद उमंग भयो, जय हो नन्द लाल की ।
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

बृज में आनंद भयो, जय यशोदा लाल की ।
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

आनंद उमंग भयो, जय हो नन्द लाल की ।
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

कोटि ब्रह्माण्ड के, अधिपति लाल की ।
हाथी घोडा पालकी, जय कन्हिया लाल की ॥


गौ चराने आये, जय हो पशुपाल की ।
गोकुल में आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

कोटि ब्रह्माण्ड के, अधिपति लाल की ।
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

गौ चराने आये, जय हो पशुपाल की ।
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

पूनम के चाँद जैसी, शोभी है बाल की ।
हाथी घोडा पालकी, जय कन्हिया लाल की ॥

आनंद उमंग भयो, जय हो नन्द लाल की ।
गोकुल में आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥


कोटि ब्रह्माण्ड के, अधिपति लाल की ।
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

गौ चराने आये, जय हो पशुपाल की ।
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

भक्तो के आनंदकंद, जय यशोदा लाल की ।
हाथी घोडा पालकी, जय कन्हिया लाल की ॥

जय हो यशोदा लाल की, जय हो गोपाल की ।
गोकुल में आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

कोटि ब्रह्माण्ड के, अधिपति लाल की ।
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

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गौ चराने आये, जय हो पशुपाल की ।
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

आनंद से बोलो सब, जय हो बृज लाल की ।
हाथी घोडा पालकी, जय कन्हिया लाल की ॥

जय हो बृज लाल की, पावन प्रतिपाल की ।
गोकुल में आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

कोटि ब्रह्माण्ड के, अधिपति लाल की ।
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

गौ चराने आये, जय हो पशुपाल की ।
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की॥


आनंद उमंग भयो, जय हो नन्द लाल की ।
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥

जय हो नंदलाल की, जय यशोदा लाल की ।
हाथी घोडा पालकी, जय कन्हिया लाल की ॥.

बृज में आनंद भयो, जय यशोदा लाल की ।
नन्द के आनंद भयो, जय कन्हिया लाल की ॥


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