नवरात्रि 2025: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र और भोग

Hero Image
Share this article:
नवरात्रि का दूसरा दिन साधना और संयम का प्रतीक माना जाता है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। मां का यह स्वरूप तपस्या और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है। वे हाथों में जपमाला और कमंडल धारण करती हैं और नंगे पांव चलने वाली तपस्विनी देवी के रूप में जानी जाती हैं। उनकी पूजा से जीवन में आत्मविश्वास, धैर्य और अनुशासन का संचार होता है।


देवी ब्रह्मचारिणी का महत्व


देवी ब्रह्मचारिणी का नाम दो शब्दों के मेल से बना है: 'ब्रह्म' (तपस्या) और 'चारिणी' (स्त्री अनुयायी)। देवी को नंगे पैर चलते हुए दर्शाया गया है, उनके दाहिने हाथ में जप माला (रुद्राक्ष की माला) और बाएं हाथ में कमंडल (पानी का बर्तन) है। ये प्रतीक उनकी गहरी तपस्या और आध्यात्मिक समर्पण को दर्शाते हैं। उन्हें अपार शक्ति और दिव्य कृपा का प्रतीक माना जाता है, और उनकी पूजा करने से भक्तों को मजबूत इच्छाशक्ति और सभी बाधाओं को पार करने की क्षमता मिलती है।

पूजा विधि और अनुष्ठान


मां ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद पाने के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं:

You may also like



पूजा की तैयारी: दिन की शुरुआत देवी ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) से स्नान कराकर करें। उन्हें ताजे फूल, विशेषकर चमेली या सफेद कमल, अर्पित करें।
भोग: देवी को फल, मिठाइयां और सबसे महत्वपूर्ण, चीनी का सरल भोग (भोजन प्रसाद) चढ़ाएं। ऐसा माना जाता है कि देवी को साधारण और शुद्ध प्रसाद पसंद है।
मंत्र जाप: देवी का आशीर्वाद पाने के लिए इस मंत्र का जाप करें: ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः। यह मंत्र ध्यान और एकाग्रता के लिए एक शक्तिशाली साधन है।

नवरात्रि 2025 के शुभ रंग


दिन का रंग: नवरात्रि के दूसरे दिन का रंग लाल है। लाल रंग पहनना शुभ माना जाता है क्योंकि यह जुनून और प्रेम का प्रतीक है। जो व्यक्ति यह रंग पहनता है वह अधिक ऊर्जावान और जीवन से भरपूर महसूस करता है।


मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से साधक को संयम, धैर्य और आत्मबल प्राप्त होता है। नवरात्रि के दूसरे दिन उनका पूजन और आराधना करने से जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने की शक्ति मिलती है और भक्ति का मार्ग सरल हो जाता है।


Loving Newspoint? Download the app now
Newspoint