हिंदी में कालरात्रि जी की आरती: दुष्ट नाशक माँ का गुणगान
नवरात्रि का पावन पर्व भक्तों को माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का अवसर देता है। सातवाँ दिन माँ कालरात्रि को समर्पित होता है, जो अपनी काली सूरत और भयंकर रूप के बावजूद भक्तों के लिए करुणामयी हैं। उनकी आरती गाकर पूजा करने से जीवन में सुख-शांति आती है। यह आरती माँ की शक्ति और रक्षा का गुणगान करती है।
माँ कालरात्रि नवरात्रि के सातवें रूप हैं। वे काल की सृष्टि करने वाली और दुष्टों का संहार करने वाली हैं। उनका नाम ही बताता है कि वे समय के अंधकार को दूर करती हैं। भक्तों पर उनकी कृपा होने पर कोई कष्ट नहीं सताता। आरती में उनकी महिमा का वर्णन है, जो हमें उनके चरणों में शरण लेने की प्रेरणा देती है।
यह आरती नवरात्रि पूजा का अहम हिस्सा है। इसे गाने से नकारात्मक शक्तियां भाग जाती हैं। माँ कालरात्रि को खड्ग और खप्पर धारण करने वाली बताया गया है। वे रक्त दंती और अन्नपूर्णा रूप में भक्तों को दुखों से मुक्ति दिलाती हैं। रोजाना इसकी स्तुति करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
कालरात्रि जय जय महाकाली।
काल के मुंह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतारा॥पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खड्ग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदन्ता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवे।
महाकाली माँ जिसे बचावे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि माँ तेरी जय॥
माँ कालरात्रि की आरती से नवरात्रि की पूजा अधूरी नहीं लगती। यह हमें सिखाती है कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है। भक्त प्रेम से इसे गाएं और माँ की कृपा पाएं।
माँ कालरात्रि कौन हैं?
माँ कालरात्रि नवरात्रि के सातवें रूप हैं। वे काल की सृष्टि करने वाली और दुष्टों का संहार करने वाली हैं। उनका नाम ही बताता है कि वे समय के अंधकार को दूर करती हैं। भक्तों पर उनकी कृपा होने पर कोई कष्ट नहीं सताता। आरती में उनकी महिमा का वर्णन है, जो हमें उनके चरणों में शरण लेने की प्रेरणा देती है।
माँ कालरात्रि की आरती का महत्व
यह आरती नवरात्रि पूजा का अहम हिस्सा है। इसे गाने से नकारात्मक शक्तियां भाग जाती हैं। माँ कालरात्रि को खड्ग और खप्पर धारण करने वाली बताया गया है। वे रक्त दंती और अन्नपूर्णा रूप में भक्तों को दुखों से मुक्ति दिलाती हैं। रोजाना इसकी स्तुति करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
माँ कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय जय महाकाली।
काल के मुंह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतारा॥पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खड्ग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
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सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदन्ता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवे।
महाकाली माँ जिसे बचावे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि माँ तेरी जय॥
माँ कालरात्रि की आरती से नवरात्रि की पूजा अधूरी नहीं लगती। यह हमें सिखाती है कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है। भक्त प्रेम से इसे गाएं और माँ की कृपा पाएं।